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बॉम्बे हाईकोर्ट से मनोज जरांगे को बड़ा झटका, आजाद मैदान में मराठा आंदोलन पर लगाई रोक

बॉम्बे हाईकोर्ट से मनोज जरांगे को बड़ा झटका, आजाद मैदान में मराठा आंदोलन पर लगाई रोक

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मनोज जरांगे पाटिल को मुंबई के आजाद मैदान में 29 अगस्त से शुरू होने वाले मराठा आरक्षण विरोध प्रदर्शन पर रोक लगाई है। कोर्ट ने खारघर या नवी मुंबई में वैकल्पिक स्थल उपलब्ध कराने का सुझाव दिया।

मुंबई: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन की तैयारी के बीच मनोज जरांगे पाटिल को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने मुंबई के आजाद मैदान में विरोध प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी है और कहा कि राज्य सरकार को जरांगे के लिए खारघर या नवी मुंबई में वैकल्पिक स्थान आवंटित करना चाहिए।

हाईकोर्ट ने यह कदम गणेश उत्सव के दौरान मुंबई में जनजीवन और यातायात में व्यवधान पैदा होने से रोकने के लिए उठाया। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की बेंच ने कहा कि लोकतंत्र और असहमति साथ-साथ चलते हैं, लेकिन प्रदर्शन केवल निर्धारित स्थानों पर ही होना चाहिए।

आजाद मैदान में प्रदर्शन पर रोक 

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि मनोज जरांगे अधिकारियों की पूर्व अनुमति के बिना आजाद मैदान में प्रदर्शन नहीं कर सकते। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए नवी मुंबई के खारघर में वैकल्पिक स्थान तय कर सकती है, ताकि मुंबई में जनजीवन बाधित न हो।

कोर्ट ने यह भी बताया कि सार्वजनिक सभाओं और आंदोलन के लिए नए नियमों के तहत अनुमति मिलने के बाद ही शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया जा सकता है।

मनोज जरांगे ने मुंबई में भूख हड़ताल की चेतावनी दी

मनोज जरांगे पाटिल ने सोमवार को जालना में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि 29 अगस्त से वे मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी थी कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे मुंबई नहीं छोड़ेंगे।

जरांगे ने कहा, “मराठा समाज के साथ अन्याय बंद होना चाहिए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एक व्यक्ति की बात मानकर मराठा समाज के खिलाफ गलत निर्णय कर रहे हैं। यह लड़ाई हम जीतकर ही लौटेंगे। मराठा समाज के लोग हमारे साथ हैं।”

मराठा आरक्षण पर आंदोलन की तैयारी

मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मुंबई में प्रदर्शन करने का आह्वान कर चुके हैं। जरांगे ने लोगों से भारी संख्या में आंदोलन में भाग लेने की अपील की थी। बॉम्बे हाईकोर्ट की रोक से अब आंदोलन मुंबई के बजाय नवी मुंबई या खारघर में सीमित रह सकता है।

कोर्ट का निर्देश महाराष्ट्र सरकार और प्रदर्शनकारियों दोनों के लिए संतुलित समाधान खोजने का प्रयास है, ताकि लोकतांत्रिक अधिकारों और शांति एवं कानून-व्यवस्था दोनों का संरक्षण हो सके।

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