पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ से रिटायरमेंट के 8 महीने बाद भी सरकारी बंगला न खाली करने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तत्काल खाली कराने का आदेश दिया है। चंद्रचूड़ ने घर की मरम्मत को वजह बताया।
DY Chandrachud Bungalow Controversy: देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ को उनके सरकारी आवास से जल्द हटाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सख्त निर्देश दिया है। कोर्ट ने 1 जुलाई को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि दिल्ली के कृष्णा मेनन मार्ग स्थित बंगला नंबर 5 को बिना किसी देरी के खाली करवाया जाए। यह निर्देश तब आया है जब चंद्रचूड़ को रिटायर हुए 8 महीने हो चुके हैं।
बंगले में रहने की समयसीमा पूरी
नियमों के अनुसार, किसी भी मुख्य न्यायाधीश को सेवानिवृत्ति के बाद अधिकतम 6 महीने तक सरकारी आवास में रहने की अनुमति होती है। डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर हुए थे। उन्हें 6 महीने की तय अवधि के अलावा 31 मई 2025 तक का अतिरिक्त समय भी दिया गया था। लेकिन अब यह समयसीमा भी समाप्त हो चुकी है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने हस्तक्षेप करते हुए बंगले को तुरंत खाली करवाने के लिए केंद्र सरकार से कहा है।
सुप्रीम कोर्ट का आधिकारिक पत्र
1 जुलाई 2025 को भेजे गए पत्र में सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने लिखा है – "आपसे आग्रह किया जाता है कि कृष्णा मेनन मार्ग स्थित बंगला नंबर 5 को माननीय डीवाई चंद्रचूड़ जी से तत्काल प्रभाव से खाली करवाया जाए। 2022 के नियम 3बी के अनुसार उन्हें अधिकतम 6 महीने तक रहने की छूट दी गई थी जो 10 मई 2025 को समाप्त हो गई। इसके बाद 31 मई तक का अतिरिक्त समय दिया गया, जो अब समाप्त हो चुका है।"
चंद्रचूड़ की सफाई – बंगले की मरम्मत जारी है
पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मुद्दे पर सफाई दी है। एक समाचार एजेंसी से बातचीत में उन्होंने बताया कि उन्हें सरकार की ओर से एक किराए का आवास आवंटित किया गया है, लेकिन वह कई वर्षों से खाली पड़ा था। इसी कारण उसमें भारी मरम्मत और रखरखाव की आवश्यकता थी। उन्होंने कहा – "मैंने सुप्रीम कोर्ट को इस स्थिति की जानकारी पहले ही दे दी थी। जैसे ही मरम्मत का कार्य पूरा होगा, मैं बिना किसी देरी के वहां शिफ्ट हो जाऊंगा।"
नियमों की अनदेखी पर सवाल
यह मामला इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि चंद्रचूड़ के बाद देश के 51वें CJI जस्टिस संजीव खन्ना और वर्तमान मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई अभी भी अपने पूर्व आवंटित बंगलों में रह रहे हैं। इससे यह संकेत मिलते हैं कि सरकारी आवासों के आवंटन और खाली कराने की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी हो सकती है।