भारतीय क्रिकेट की शान और टेस्ट टीम के मजबूत स्तंभ चेतेश्वर पुजारा ने 24 अगस्त, 2025 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की। 37 वर्षीय पुजारा ने अपने 15 साल लंबे करियर में भारतीय क्रिकेट को कई यादगार पल दिए।
स्पोर्ट्स न्यूज़: भारतीय टेस्ट क्रिकेट के अनुभवी बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने रविवार, 24 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी। 37 साल के पुजारा ने अपने करियर में कुल 103 टेस्ट मैच खेले और 7195 रन बनाए। उनके बल्ले से 19 शतक निकले और उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 43 से अधिक की औसत बनाई।
पिछले दो साल से पुजारा टेस्ट क्रिकेट से बाहर थे और अब उन्होंने बिना किसी पछतावे के संन्यास लेने का फैसला किया। पुजारा ने स्पष्ट किया कि यह सही समय है जब उन्हें आगे बढ़ जाना चाहिए और उन्होंने यह भी कहा कि इस फैसले से उन्हें कोई अफसोस नहीं है।
रिटायरमेंट के बाद पुजारा का बयान
संन्यास के बाद पुजारा ने अपने होमटाउन में मीडिया से बातचीत में कहा,
'मुझे कोई पछतावा नहीं है। मुझे लंबे समय तक भारत के लिए खेलने का मौका मिला, जो हर खिलाड़ी को नहीं मिलता। मैं अपने परिवार और सभी लोगों का आभारी हूं जिन्होंने मुझे सपोर्ट किया।'
पुजारा ने यह भी स्पष्ट किया कि अब सही समय है जब उन्हें आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब वे क्रिकेट के मैदान पर बैट नहीं उठाएंगे, लेकिन खेल से जुड़े रहेंगे। पुजारा पहले ही इंग्लैंड सीरीज में कमेंट्री कर चुके हैं और अब कमेंट्री और क्रिकेट से जुड़ी अन्य गतिविधियों में सक्रिय रहेंगे।
पुजारा के करियर की प्रमुख उपलब्धियां
चेतेश्वर पुजारा ने साल 2010 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया। 2012 में राहुल द्रविड़ के संन्यास के बाद उन्होंने टीम का नंबर-3 स्थान मजबूती से संभाला। पुजारा के करियर की सबसे यादगार उपलब्धि 2018-19 की ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज मानी जाती है। इस श्रृंखला में उन्होंने तीन शतक लगाए और कुल 521 रन बनाए, साथ ही 1258 गेंदों का सामना कर टीम को मजबूत स्थिति में रखा। उनके इस खेल को क्रिकेट जगत में अत्यधिक सराहा गया।
पुजारा ने अपने डेब्यू के दिन को भी याद किया। उन्होंने बताया कि जब वे ड्रेसिंग रूम में गए, तब सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर जैसे दिग्गज मौजूद थे। पुजारा के लिए यह पल उनके करियर का सबसे गर्व वाला अनुभव था।
पुजारा ने मां का सपना किया पूरा
पुजारा ने अपने माता-पिता के प्रति भावुकता जताई। उनकी मां रीना पुजारा का साल 2005 में कैंसर के कारण निधन हो गया था। पुजारा ने कहा कि उनकी मां हमेशा कहती थीं कि एक दिन बेटा भारत के लिए खेलेगा। आज वह गर्व से कह सकते हैं कि मां का सपना पूरा हुआ। पुजारा ने अपने आध्यात्मिक गुरु हरिचरण दास जी महाराज का भी आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि गुरुजी ने उन्हें हमेशा सिखाया कि दबाव वाली परिस्थितियों में भी शांत और संतुलित रहना जरूरी है। यही सिद्धांत पुजारा के करियर और जीवन का मार्गदर्शन करता रहा। चेतेश्वर पुजारा को भारतीय टेस्ट टीम का ‘द वॉल’ कहा जाता है। उनका खेल विशेष रूप से लंबी पारियों और कठिन परिस्थितियों में टिकने के लिए प्रसिद्ध है। पुजारा की तकनीक, धैर्य और मानसिक मजबूती ने भारतीय टीम को कई मैचों में मुश्किल हालात से उबारने में मदद की।
पुजारा ने कुल 103 टेस्ट मैचों में 19 शतक और 43 अर्धशतक बनाए। उनकी औसत 43 से अधिक रही, जो टेस्ट क्रिकेट में निरंतरता का संकेत है। उनका नाम हमेशा उन खिलाड़ियों में गिना जाएगा जिन्होंने भारतीय क्रिकेट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती दी।