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Chor Panchak 2025: अक्टूबर में फिर लगेगा ‘चोर पंचक’, इन 5 दिनों में भूलकर भी न करें ये काम

Chor Panchak 2025: अक्टूबर में फिर लगेगा ‘चोर पंचक’, इन 5 दिनों में भूलकर भी न करें ये काम

अक्टूबर 2025 में एक बार फिर पंचक योग बन रहा है। इस बार 31 अक्टूबर से ‘चोर पंचक’ की शुरुआत हो रही है, जो 4 नवंबर तक चलेगा। ज्योतिष शास्त्र में इसे बेहद अशुभ माना गया है। इस दौरान यात्रा, निवेश, व्यापार और निर्माण कार्य करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह काल धन हानि और विवाद की संभावनाएं बढ़ा सकता है।

Chor Panchak: अक्टूबर महीने के अंत में 31 अक्टूबर से चोर पंचक शुरू हो रहा है, जो 4 नवंबर 2025, मंगलवार तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह काल अत्यंत अशुभ माना गया है, क्योंकि इस दौरान चंद्रमा पांच नक्षत्रों में भ्रमण करता है। माना जाता है कि इन पांच दिनों में किए गए कुछ कार्य असफल हो सकते हैं और धन संबंधी नुकसान का खतरा बढ़ जाता है। इस अवधि में यात्रा, व्यापार, निवेश और शुभ कार्यों से दूरी बनाए रखना ही बुद्धिमानी है।

अक्टूबर में दो बार बन रहा पंचक योग

पंचांग के अनुसार, अक्टूबर 2025 में पंचक योग दूसरी बार बन रहा है। जहां महीने की शुरुआत में 3 से 8 अक्टूबर तक पंचक का योग बना था, वहीं अब माह के अंत में 31 अक्टूबर से ‘चोर पंचक’ की शुरुआत होने जा रही है। यह काल 4 नवंबर 2025, मंगलवार तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में पंचक को अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली समय माना गया है, लेकिन ‘चोर पंचक’ को खास तौर पर अशुभ बताया गया है। इस दौरान की गई कुछ गतिविधियां न केवल असफल होती हैं, बल्कि व्यक्ति को आर्थिक हानि और मानसिक तनाव का सामना भी करना पड़ सकता है।

हिंदू परंपरा में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त और अशुभ समय की गणना की जाती है। इसके लिए पंचांग का अध्ययन किया जाता है, जिसमें तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण जैसे पांच तत्वों को देखा जाता है। इन्हीं से पता चलता है कि कौन-सा समय शुभ है और कौन-सा नहीं। पंचक इन्हीं कालखंडों में से एक है, जिसे विशेष रूप से अशुभ काल कहा गया है।

क्या होता है पंचक और क्यों माना जाता है अशुभ?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के उत्तरार्ध से लेकर शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्रों में भ्रमण करता है, तो इस अवधि को पंचक कहा जाता है। चंद्रमा को इन पांच नक्षत्रों में गोचर करने में लगभग पांच दिन लगते हैं। इसलिए इसे पांच दिनों की अशुभ अवधि के रूप में देखा जाता है।

मान्यता है कि इस दौरान किए गए कुछ कार्य शुभ फल नहीं देते। खासकर नए निर्माण, लेन-देन, यात्राएं या बड़े फैसले लेने से परहेज करना चाहिए। कई ज्योतिषियों का कहना है कि पंचक काल में किए गए कामों का परिणाम सामान्य समय से बिल्कुल विपरीत हो सकता है, इसलिए सावधानी बरतना जरूरी है।

पंचक के प्रकार और ‘चोर पंचक’ का महत्व

पंचक को कुल पांच प्रकारों में विभाजित किया गया है, और यह विभाजन इस आधार पर किया जाता है कि पंचक किस वार से शुरू हो रहा है।

  • रोग पंचक: रविवार से शुरू होने वाला पंचक, जो स्वास्थ्य समस्याएं और शारीरिक कष्ट लाता है।
  • राज पंचक: सोमवार से आरंभ होने वाला, जो शासन और प्रशासनिक मामलों में रुकावटें ला सकता है।
  • अग्नि पंचक: मंगलवार से शुरू होने वाला, जिसे अग्नि या विवाद से संबंधित हानियों का कारण माना जाता है।
  • चोर पंचक: शुक्रवार से आरंभ होने वाला पंचक, जो चोरी और धन हानि से जुड़ा है।
  • मृत्यु पंचक: शनिवार से शुरू होने वाला पंचक, जो स्वास्थ्य संकट और मृत्यु योग से संबंधित माना गया है।

इन पांचों में से चोर पंचक को विशेष रूप से अशुभ माना गया है। इसका नाम ही संकेत देता है कि इस अवधि में आर्थिक सतर्कता जरूरी है।

चोर पंचक क्यों माना गया है अशुभ?

ज्योतिष मान्यता के अनुसार, जब पंचक शुक्रवार से शुरू होता है तो यह ‘चोर पंचक’ कहलाता है। कहा जाता है कि इस दौरान व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में अस्थिरता आ सकती है। व्यापार में घाटा, चोरी की संभावना और निवेश में नुकसान जैसी परिस्थितियां बन सकती हैं।

इस काल में यात्रा, व्यापारिक सौदे या बड़े निर्णय लेने से बचना चाहिए। कई बार यह भी देखा गया है कि इस अवधि में की गई योजना सफल नहीं होती और धन संबंधी विवाद बढ़ जाते हैं। इसलिए ज्योतिषाचार्य सलाह देते हैं कि इस समय कोई नया काम या वित्तीय कदम उठाने से पहले शुभ मुहूर्त का इंतजार करना चाहिए।

चोर पंचक में किन कामों से बचना चाहिए

  • दक्षिण दिशा की यात्रा न करें: पंचक काल में दक्षिण दिशा की यात्रा अशुभ मानी जाती है। दक्षिण दिशा यमराज और पितरों की दिशा मानी जाती है। इस दौरान यात्रा करने से दुर्घटना या चोरी की संभावना बढ़ जाती है। यदि बहुत जरूरी यात्रा करनी ही पड़े, तो घर से निकलने से पहले भगवान हनुमान या पितरों का आशीर्वाद जरूर लें।
  • व्यापार या बड़ा सौदा न करें: ज्योतिष के अनुसार, चोर पंचक में व्यापार शुरू करना या किसी बड़े अनुबंध पर हस्ताक्षर करना ठीक नहीं माना जाता। इस समय में धन निवेश या नई संपत्ति खरीदने से नुकसान की आशंका रहती है। पुराने कामों को पूरा किया जा सकता है, लेकिन नए उपक्रमों से बचना चाहिए।

घर और निर्माण कार्य भी टालें

  • लकड़ी या ज्वलनशील वस्तुएं न एकत्र करें: पंचक काल में लकड़ी, घास या ज्वलनशील वस्तुएं इकट्ठा करना वर्जित माना गया है। मान्यता है कि इससे घर में अग्नि दुर्घटना या किसी अन्य प्रकार की परेशानी उत्पन्न हो सकती है। इसलिए इस समय किसी भी तरह की रिपेयरिंग या निर्माण कार्य स्थगित रखना ही बेहतर है।
  • छत या पलंग बनवाने से बचें: पंचक के दौरान घर की छत बनवाना, चारपाई तैयार कराना या किसी भी तरह का नया निर्माण कार्य करवाना शुभ नहीं होता। ज्योतिषीय दृष्टि से ऐसा करने से परिवार में क्लेश, मतभेद और आर्थिक संकट आने की संभावना रहती है।

शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक

  • विवाह और गृह प्रवेश न करें: पंचक काल में शादी, सगाई, गृह प्रवेश या किसी भी तरह का मांगलिक कार्य शुरू करने से बचना चाहिए। यह समय स्थायित्व और सफलता के लिए उचित नहीं माना जाता। इसके बजाय पंचक समाप्त होने के बाद ही शुभ कार्य करना बेहतर है।
  • आर्थिक निर्णयों में सतर्क रहें: यदि जरूरी हो तो लेन-देन या निवेश सोच-समझकर करें। किसी भी वित्तीय फैसले से पहले परिवार या विशेषज्ञ से परामर्श लेना समझदारी होगी।

क्या करें इस दौरान?

हालांकि पंचक को अशुभ माना जाता है, लेकिन यह काल पूर्णतः नकारात्मक नहीं है। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि इस दौरान व्यक्ति को आध्यात्मिक और सत्कर्मों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

  • सूर्यास्त के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देना
  • गायत्री मंत्र या गुरु मंत्र का जप करना
  • दान, सेवा और भक्ति से जुड़े कार्य करना

इन कार्यों को करने से पंचक के दुष्प्रभाव कम माने जाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

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