बिहार की राजनीति में एक साधारण जन्मदिन की शुभकामना ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। मौका था मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के जन्मदिन का और इस मौके को मंच बनाया उपेंद्र कुशवाहा ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट के जरिए।
पटना: बिहार की राजनीति में एक साधारण सी जन्मदिन की बधाई ने बड़ा सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। मौका था मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के जन्मदिन का और मंच बना उपेंद्र कुशवाहा का सोशल मीडिया पोस्ट। हालांकि यह पोस्ट बधाई के बहाने बिहार की सियासत में एक बड़ा सवाल छोड़ गया – क्या नीतीश कुमार अब रिटायर होंगे?
उपेंद्र कुशवाहा की पोस्ट बनी सियासी बहस की वजह
राष्ट्रिय लोक जनता दल (RLJD) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने निशांत कुमार को जन्मदिन की बधाई देते हुए अपने पोस्ट में अप्रत्यक्ष रूप से नीतीश कुमार को राजनीतिक संन्यास लेने की सलाह दे डाली। कुशवाहा ने अपने पोस्ट में लिखा, इस सच को स्वीकार करने की कृपा करें कि अब सरकार और पार्टी दोनों का संचालन स्वयं आपके लिए उचित नहीं है। पार्टी की जिम्मेदारी का हस्तांतरण अब आवश्यक हो गया है। देरी से अपूरणीय नुकसान हो सकता है।
इतना ही नहीं, उन्होंने निशांत कुमार को जेडीयू की नई उम्मीद बताया। उनके इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि क्या नीतीश कुमार अपने बेटे के लिए सियासी मंच तैयार कर रहे हैं?
जेडीयू नेताओं का तीखा पलटवार: ‘अभी दस साल और चाहिए’
उपेंद्र कुशवाहा के इस बयान पर जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) के नेताओं ने करारा जवाब दिया। पार्टी के वरिष्ठ नेता और एमएलसी नीरज कुमार ने कहा, उपेंद्र कुशवाहा को पहचान नीतीश कुमार ने ही दी थी। यह उनका निजी नजरिया है, पार्टी इससे इत्तेफाक नहीं रखती। वहीं मंत्री महेश्वर हजारी ने साफ तौर पर कहा कि, नीतीश कुमार जहां खड़े हैं वहीं मुख्यमंत्री हैं। रिटायरमेंट की सलाह देने का अधिकार पार्टी के अलावा किसी को नहीं। जो फैसला होगा, पार्टी लेगी।
नीतीश कुमार के समर्थकों ने भी मोर्चा संभालते हुए कहा, नीतीश कुमार के बाद अंधेरा है। जब तक वे हैं, तब तक बिहार में उजाला है। रिटायर होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन नीतीश अभी पूरी तरह प्रासंगिक हैं। उन्हें अभी दस साल और चाहिए।
क्या निशांत कुमार राजनीति में आ सकते हैं?
उपेंद्र कुशवाहा के बयान से यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार जल्द राजनीति में कदम रख सकते हैं? नीतीश समर्थकों ने भी इस बात के इशारे दिए कि जैसे आईएएस का बेटा आईएएस होता है, नेता का बेटा नेता क्यों नहीं? निशांत कुमार को ‘जेडीयू की नई उम्मीद’ बताया जाना इस संभावना को और हवा देता है।
नीतीश कुमार के कार्यकर्ताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री में आज भी वही ऊर्जा है जो कभी शुरुआती दिनों में थी। वे न सिर्फ बिहार की राजनीति में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रासंगिक बने हुए हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं ने जेडीयू कार्यालय के बाहर बकायदा मोर्चा संभाल लिया और उपेंद्र कुशवाहा की पोस्ट को उनकी निजी राय बताकर खारिज कर दिया।