कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने वाजपेयी सरकार की पारदर्शिता और तत्परता को मौजूदा सरकार से बेहतर बताया।
New Delhi: कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व की तुलना वर्तमान सरकार से करते हुए कहा कि तब भाजपा और प्रधानमंत्री दोनों अलग थे। रमेश ने राष्ट्रीय संकट के समय सर्वदलीय संवाद की कमी और पारदर्शिता पर सरकार की नीयत पर भी सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस का सीधा हमला
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जब देश संकट में होता है, तो सरकार को सहयोगात्मक रवैया अपनाना चाहिए, न कि केवल एकतरफा फैसले लेने चाहिए। रमेश ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व की मिसाल देते हुए कहा कि 1999 के कारगिल युद्ध के बाद उन्होंने चार सदस्यीय समीक्षा समिति बनाई थी, जिससे पारदर्शिता बनी रही। उन्होंने कहा कि उस समय के प्रधानमंत्री अलग थे, भाजपा अलग थी और राजनीति में संवाद का माहौल था।
कारगिल युद्ध के बाद बना था समीक्षा तंत्र
रमेश ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि 30 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध के समाप्त होने के तीन दिन बाद, अटल सरकार ने कारगिल समीक्षा समिति बनाई। इसका नेतृत्व के. सुब्रह्मण्यम ने किया, जिनके बेटे एस. जयशंकर आज भारत के विदेश मंत्री हैं। समिति ने दिसंबर 1999 में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी, जिसे फरवरी 2000 में संसद में पेश किया गया था और उस पर खुली चर्चा भी हुई थी।
अब हालात बदल गए हैं: रमेश का आरोप
कांग्रेस नेता का कहना है कि अब ऐसा माहौल नहीं रहा। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता नहीं की, जिससे सरकार की गंभीरता पर सवाल उठते हैं। रमेश ने कहा कि 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ हमला कोई साधारण घटना नहीं थी। इसमें निर्दोष नागरिक मारे गए और अब तक जिम्मेदार आतंकवादियों को सजा नहीं मिली है।
पहले से जुड़ी घटनाओं से तार जुड़े
रमेश ने दावा किया कि पहलगाम हमला उन आतंकियों ने किया, जो पहले पुंछ (दिसंबर 2023) और गंगागीर व गुलमर्ग (अक्टूबर 2024) में हुए हमलों में शामिल थे। उन्होंने सवाल किया कि आखिर खुफिया तंत्र ने समय रहते क्यों नहीं सतर्क किया। उनका आरोप है कि सरकार इस पूरे मामले को लेकर जवाबदेही से बच रही है।
सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति
रमेश ने बताया कि कांग्रेस के अनुरोध पर 22 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई, लेकिन इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल नहीं हुए। बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री ने की। बैठक में खुफिया तंत्र की विफलता और राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर चर्चा हुई। रमेश ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री खुद बैठक की अध्यक्षता करते, तो एक मजबूत राजनीतिक संदेश जाता और सभी दलों को विश्वास में लेने की कोशिश होती।
अमेरिका की भूमिका और ट्रंप के दावे
जयराम रमेश ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों का हवाला देते हुए एक और बड़ा सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि ट्रंप अब तक 26 बार दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष को रोकने में भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने यह तक कहा कि उन्होंने पाकिस्तान को व्यापार रोकने की धमकी दी थी, जिससे ऑपरेशन सिंदूर रुक गया।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख के लिए भोज पर भी उठाए सवाल
रमेश ने अमेरिकी नीतियों और पाकिस्तान से संबंधों पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ एक 'अभूतपूर्व साझेदार' बताया है। इसके अलावा अमेरिकी विदेश मंत्री ने हाल ही में पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री से मुलाकात कर उनकी प्रशंसा की।