Pune

Dengue shock syndrome: डेंगू शॉक सिंड्रोम क्या है? जानें कैसे यह बन जाता है जानलेवा खतरा

Dengue shock syndrome: डेंगू शॉक सिंड्रोम क्या है? जानें कैसे यह बन जाता है जानलेवा खतरा

देश में डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं और विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि डेंगू शॉक सिंड्रोम जानलेवा साबित हो सकता है। इसमें वायरस खून की नलियों को नुकसान पहुंचाकर ब्लड प्रेशर गिरा देता है, जिससे कई अंग काम करना बंद कर देते हैं। समय पर जांच, हाइड्रेशन और डॉक्टर की सलाह से इससे बचाव संभव है।

Dengue shock syndrome: अक्टूबर के महीने में देश के कई राज्यों में डेंगू के मामलों में तेजी आई है और कुछ मौतें भी दर्ज की गई हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, डेंगू का सबसे खतरनाक रूप “डेंगू शॉक सिंड्रोम” होता है, जिसमें खून की नलियां कमजोर होकर ब्लड प्रेशर गिरा देती हैं और शरीर के ऑर्गन्स तक रक्त प्रवाह रुक जाता है। नोएडा में डीजीएम आशीष भाटी की इसी कारण मौत हुई। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि बुखार, कमजोरी, उल्टी या बेचैनी जैसे लक्षण दिखते ही जांच कराएं और खुद से दवा न लें।

डेंगू शॉक सिंड्रोम क्या होता है

डेंगू शॉक सिंड्रोम दरअसल डेंगू वायरस का एक गंभीर रूप है। यह तब होता है जब वायरस शरीर की खून की नलियों को नुकसान पहुंचाने लगता है। इस वजह से खून और प्लाज्मा बाहर निकलने लगते हैं, जिससे शरीर में ब्लड प्रेशर अचानक गिर जाता है। जब ब्लड प्रेशर बहुत नीचे चला जाता है तो दिल, दिमाग, किडनी और लिवर जैसे जरूरी अंगों तक खून की सप्लाई रुकने लगती है। यही स्थिति शॉक सिंड्रोम कहलाती है। अगर वक्त पर इलाज न मिले तो शरीर के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं और मरीज की मौत हो सकती है।

कैसे बनता है यह खतरा

अक्सर लोग डेंगू के शुरुआती लक्षणों को हल्के में ले लेते हैं। शुरुआत में बुखार आता है, जो तीन से चार दिन तक बना रहता है। इसके साथ सिरदर्द, बदन दर्द और आंखों के पीछे दर्द होता है। कुछ लोग इसे साधारण वायरल समझकर दवा ले लेते हैं या आराम नहीं करते। यही लापरवाही आगे चलकर शॉक सिंड्रोम का कारण बन सकती है।

जब डेंगू वायरस शरीर में तेजी से बढ़ता है, तो यह खून की नलियों को कमजोर कर देता है। धीरे-धीरे खून का बहाव कम होने लगता है और ब्लड प्रेशर गिर जाता है। कई बार मरीज को ठंड लगने, बेचैनी, उल्टियां या पेट दर्द की शिकायत होती है। यह डेंगू शॉक सिंड्रोम की शुरुआत के संकेत हो सकते हैं।

कौन से लक्षण होते हैं खतरनाक

डेंगू शॉक सिंड्रोम में सबसे पहले मरीज को कमजोरी महसूस होती है। हाथ-पैर ठंडे पड़ जाते हैं और बेचैनी बढ़ने लगती है। ब्लड प्रेशर गिरने के साथ ही नाक या मसूड़ों से खून आने लगता है। कई बार शरीर पर नीले या काले धब्बे भी दिखने लगते हैं, जो अंदरूनी ब्लीडिंग का संकेत हैं। मरीज को उल्टियां होती हैं, पेट में दर्द रहता है और पसीना आने लगता है। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए क्योंकि यह स्थिति जानलेवा हो सकती है।

क्या हर डेंगू मरीज में होता है शॉक सिंड्रोम

डॉक्टरों के अनुसार हर डेंगू मरीज को शॉक सिंड्रोम नहीं होता। करीब 90 फीसदी मामलों में मरीज कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं। लेकिन जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है या पहले भी डेंगू हो चुका होता है, उनमें गंभीर रूप देखने को मिलता है। बच्चों और बुजुर्गों में यह खतरा ज्यादा होता है क्योंकि उनका शरीर वायरस से जल्दी नहीं लड़ पाता।

डॉक्टर क्या कहते हैं

दिल्ली एमसीडी के डॉक्टर अजय कुमार के अनुसार, डेंगू का शॉक सिंड्रोम तभी होता है जब वायरस शरीर की नसों को कमजोर कर देता है। इससे ब्लड वेसल्स से प्लाज्मा लीक होने लगता है और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन गड़बड़ा जाता है। इस कारण ब्लड प्रेशर गिरता है और ऑर्गन फेल्योर शुरू हो जाता है।

गाजियाबाद जिला अस्पताल के डॉक्टर एके विश्वकर्मा कहते हैं कि डेंगू के मरीजों को शुरुआत से ही मॉनिटरिंग में रखना जरूरी है। अगर किसी को तीन दिन तक लगातार बुखार बना हुआ है, तो उसे तुरंत डेंगू टेस्ट और सीबीसी टेस्ट कराना चाहिए। इसके अलावा ब्लड प्रेशर और प्लेटलेट्स की जांच नियमित करनी चाहिए।

इलाज के दौरान क्या जरूरी है

डेंगू शॉक सिंड्रोम के इलाज में सबसे अहम है समय पर पहचान। अगर मरीज को डिहाइड्रेशन हो रहा है, तो तुरंत शरीर में पानी की मात्रा बनाए रखनी चाहिए। डॉक्टर की सलाह पर ही दवा लें और किसी भी स्थिति में खुद से दर्द निवारक या एस्पिरिन जैसी दवा न लें क्योंकि यह खून पतला कर देती है और ब्लीडिंग का खतरा बढ़ा देती है।

डेंगू से बचने के आसान तरीके

डेंगू से बचाव ही इसका सबसे अच्छा उपाय है। घर के आसपास पानी जमा न होने दें क्योंकि एडीज मच्छर साफ पानी में ही पनपते हैं। पूरी बाजू के कपड़े पहनें और मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। घर में मच्छर अगरबत्ती या कॉइल का प्रयोग किया जा सकता है। सबसे जरूरी यह है कि अगर बुखार तीन दिन से ज्यादा बना रहे या शरीर पर लाल दाने दिखें तो तुरंत जांच कराएं और डॉक्टर से सलाह लें।

डेंगू शॉक सिंड्रोम एक गंभीर स्थिति है, लेकिन सतर्कता और समय पर इलाज से इसे जानलेवा बनने से रोका जा सकता है। बदलते मौसम में थोड़ी सावधानी और जागरूकता से बड़ी परेशानी से बचा जा सकता है।

Leave a comment