आयुर्वेद में मोटापा धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारी के रूप में देखा जाता है और इसे नियंत्रित करना भी समय लेता है। विशेषज्ञों के अनुसार पाचन सुधारना, कफ दोष को संतुलित करना और आयुर्वेदिक नुस्खे जैसे त्रिफला, गुग्गल, ग्रीन टी और नींबू-शहद वाला पानी मदद कर सकते हैं। खानपान और नियमित व्यायाम के साथ ये उपाय प्रभावी रहते हैं।
Ayurveda for weight loss: 23 सितंबर 2025 को मनाए गए आयुर्वेद दिवस के मौके पर विशेषज्ञों ने बताया कि आयुर्वेद मोटापे को स्थूलता के रूप में देखता है, जिसमें शरीर में चर्बी असंतुलित रूप से जमा हो जाती है। डॉ. आरपी पराशर के अनुसार, पाचन को सुधारकर और कफ दोष को संतुलित करके मोटापे पर नियंत्रण पाया जा सकता है। आयुर्वेदिक उपाय जैसे त्रिफला, गुग्गल, ग्रीन टी और नींबू-शहद पानी के सेवन के साथ हल्का भोजन, व्यायाम, योग और प्राणायाम मोटापा घटाने में मदद करते हैं, लेकिन परिणाम धीरे-धीरे और लंबे समय में आते हैं।
मोटापे के कारण
आयुर्वेद के अनुसार शरीर में मोटापा तब बढ़ता है जब कफ दोष बढ़ जाता है और अग्नि यानी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। डॉ. आरपी पराशर, पूर्व चीफ आयुर्वेदिक ऑफिसर दिल्ली एमसीडी, बताते हैं कि पाचन शक्ति को सही रखना और कफ को नियंत्रित करना मोटापे पर काबू पाने का पहला कदम है। आयुर्वेद मोटापे को धीरे-धीरे कम करने पर जोर देता है। यह एलोपैथी की तरह त्वरित समाधान नहीं है, बल्कि शरीर को संतुलित करके लंबे समय तक असर देने वाला तरीका है।
आयुर्वेदिक नुस्खे मोटापा घटाने के लिए
- त्रिफला चूर्ण – त्रिफला तीन जड़ी-बूटियों का मिश्रण है, जिसमें आंवला, हरड़ और बहेड़ा शामिल हैं। इसे गुनगुने पानी के साथ रात में लेने से पाचन शक्ति बढ़ती है और धीरे-धीरे शरीर की चर्बी घटती है।
- गुग्गल – आयुर्वेद में गुग्गल को फैट कम करने वाली औषधि माना जाता है। यह मेटाबॉलिज्म को तेज करता है और शरीर से अतिरिक्त फैट कम करने में मदद करता है।
- ग्रीन टी – हर्बल चाय या ग्रीन टी शरीर से टॉक्सिन निकालने में मदद करती है। यह फैट घटाने और मेटाबॉलिज्म को एक्टिव करने का प्राकृतिक तरीका है।
- नींबू-शहद वाला पानी – सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में नींबू और थोड़ा शहद मिलाकर पीने से मेटाबॉलिज्म सक्रिय होता है और वजन घटाने में मदद मिलती है।
खानपान और दिनचर्या में बदलाव
आयुर्वेद केवल दवाओं और जड़ी-बूटियों पर निर्भर नहीं करता। मोटापा घटाने के लिए दिनचर्या और खानपान में सुधार भी जरूरी है।
- हल्का और सुपाच्य भोजन लें।
- तला-भुना और अत्यधिक मीठा कम करें।
- भोजन समय पर करें और देर रात खाने से बचें।
- नियमित व्यायाम करें। योग और प्राणायाम की आदत डालें।
- सूर्य नमस्कार, कपालभाति और धनुरासन जैसे योगासन वजन घटाने में मदद करते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार वजन घटाने का समय
डॉ. पराशर बताते हैं कि मोटापा एक दिन में कम नहीं होता। यह धीरे-धीरे बढ़ता है और इसी तरह धीरे-धीरे घटता है। आयुर्वेदिक नुस्खे शरीर को अंदर से संतुलित करते हैं और इसके परिणाम लंबे समय तक टिकते हैं। हालांकि, आयुर्वेदिक इलाज के साथ नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली आवश्यक है।
प्राकृतिक और सुरक्षित इलाज का महत्व
आज के समय में लोग तेजी से मोटापे के प्राकृतिक और साइड इफेक्ट फ्री इलाज की ओर बढ़ रहे हैं। आयुर्वेदिक तरीके शरीर को भीतर से संतुलित करते हैं और यह वजन घटाने के साथ-साथ स्वास्थ्य भी सुधारते हैं। यह तरीका शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाता और लंबे समय तक असर देता है।
आयुर्वेद दिवस पर मोटापे के आयुर्वेदिक उपायों को समझना और अपनाना लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। यह तरीका न केवल वजन घटाने में मदद करता है, बल्कि शरीर की पूरी कार्यप्रणाली को संतुलित करता है और स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। आयुर्वेद के अनुसार सही खानपान, नियमित व्यायाम और जड़ी-बूटियों के सेवन से मोटापा नियंत्रित किया जा सकता है।