कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बुधवार को पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि धनखड़ ने अपने इस्तीफे के बाद पिछले 100 दिनों से पूरी तरह मौन साध रखा है।
नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के इस्तीफे के बाद जारी “मौन” को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और संचार प्रभारी जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने कहा कि पूर्व उपराष्ट्रपति को पद छोड़े हुए 100 दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन न तो वे सार्वजनिक रूप से दिखाई दिए हैं और न ही सरकार ने उनके सम्मान में कोई विदाई समारोह आयोजित किया है।
जयराम रमेश ने उठाए सवाल
जयराम रमेश ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,
'भारतीय राजनीति के इतिहास में यह एक अभूतपूर्व घटना है। ठीक 100 दिन पहले, 21 जुलाई की रात, तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा दे दिया था। यह स्पष्ट था कि उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया, भले ही वह लगातार प्रधानमंत्री की प्रशंसा करते रहे हों। अब वे 100 दिनों से पूरी तरह खामोश हैं — न कहीं देखे गए, न सुने गए।'
उन्होंने आगे कहा कि धनखड़ जैसे उपराष्ट्रपति, जो अक्सर विपक्ष पर टिप्पणियों के चलते चर्चा में रहते थे, अचानक पूरी तरह मौन क्यों हो गए, यह अपने आप में सवाल खड़ा करता है।
पूर्व उपराष्ट्रपति को विदाई समारोह का अधिकार

कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि लोकतांत्रिक परंपराओं के तहत हर उपराष्ट्रपति को पद छोड़ने के बाद एक औपचारिक विदाई समारोह (Farewell Ceremony) दिया जाता है। रमेश ने कहा, भले ही धनखड़ विपक्ष के लिए कभी सहज नहीं रहे हों और उन्होंने अक्सर विपक्षी सांसदों को अनुचित तरीके से फटकारा हो, लेकिन एक संवैधानिक परंपरा के तहत उन्हें भी वैसी ही विदाई मिलनी चाहिए थी जैसी उनके सभी पूर्ववर्तियों को दी गई थी। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब तक ऐसा कोई समारोह आयोजित नहीं हुआ।”
कांग्रेस ने पहले दिन से ही धनखड़ के इस्तीफे को लेकर सवाल उठाए हैं। 21 जुलाई की देर रात धनखड़ ने अपने पद से स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया था, जो तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया गया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपा था। हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि मामला सिर्फ स्वास्थ्य से जुड़ा नहीं है। पार्टी ने तब कहा था कि “धनखड़ का इस्तीफा उनकी परिस्थितियों का परिणाम है, जो इस पद के लिए उन्हें चुनने वालों पर भी सवाल उठाता है।”
कांग्रेस ने केंद्र सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की थी कि आखिर किन कारणों से धनखड़ को अपने कार्यकाल के बीच में इस्तीफा देना पड़ा, जबकि उनका कार्यकाल 2027 तक था।
धनखड़ का कार्यकाल और विवाद
जगदीप धनखड़, जिन्होंने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पद संभाला था, राज्यसभा के सभापति (Chairman of Rajya Sabha) के तौर पर कई बार विपक्ष से टकराव में रहे। संसद सत्रों के दौरान उनके और विपक्षी दलों के बीच तीखी बहसें आम हो गई थीं। कई मौकों पर उन्होंने विपक्षी सांसदों को फटकार लगाई, जिसे लेकर उन्हें आलोचना का सामना भी करना पड़ा।
मई 2024 में विपक्षी दलों ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव भी लाया था, जिसे राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने नियमों के तहत खारिज कर दिया था। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि धनखड़ का इस्तीफा और उसके बाद का मौन भारतीय राजनीति में एक असामान्य घटना है — खासकर तब, जब वह पद छोड़ने से पहले तक नियमित रूप से मीडिया की सुर्खियों में रहते थे।













