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दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को भेजा नोटिस, CAPF और BSF जवानों से घरेलू काम करवाने वाली याचिका पर मांगा जवाब

दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को भेजा नोटिस, CAPF और BSF जवानों से घरेलू काम करवाने वाली याचिका पर मांगा जवाब

दिल्ली हाई कोर्ट ने सीएपीएफ (CAPF) और बीएसएफ (BSF) जवानों के कथित गलत इस्तेमाल के मामले में केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। यह नोटिस बीएसएफ के पूर्व डीआईजी संजय यादव की याचिका पर जारी किया गया है।

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने सीएपीएफ और बीएसएफ जवानों के गलत इस्तेमाल को लेकर दायर याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। यह नोटिस बीएसएफ के पूर्व डीआईजी संजय यादव की याचिका पर जारी किया गया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि वरिष्ठ अधिकारियों के घरों में सीमा सुरक्षा बल और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के कर्मियों से घरेलू काम करवाया जा रहा है, जबकि ये जवान देश की सीमाओं की रक्षा के लिए नियुक्त हैं। बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव की बेंच ने मामले की सुनवाई की।

कोर्ट की सुनवाई और नोटिस

बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि जिन सैनिकों को देश की सीमाओं की रक्षा करनी चाहिए, उनसे निजी और घरेलू काम करवाया जा रहा है। कोर्ट ने इस याचिका पर गृह मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए पूछा कि इस तरह का कथित दुरुपयोग कैसे हो रहा है और इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।

पूर्व डीआईजी संजय यादव ने अपनी याचिका में कहा कि सीएपीएफ में 83,000 से अधिक पद खाली होने के बावजूद जवानों को वरिष्ठ अधिकारियों के घरों में तैनात किया जा रहा है। उन्होंने इसे मानवशक्ति का घोर दुरुपयोग बताया। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि जवानों को वरिष्ठ अधिकारियों के घरों में कुत्तों की देखभाल, घर की साफ-सफाई और अन्य निजी कार्यों के लिए तैनात किया जा रहा है, जो उनकी मुख्य जिम्मेदारी यानी सीमा सुरक्षा और देश की रक्षा के काम में बाधा डालता है।

डीओपीटी के आदेशों का हवाला

हालांकि संजय यादव को 2021 में सामान्य सुरक्षा बल न्यायालय द्वारा एक मामले में दंडित किया गया था। उस समय उन्हें दोषी ठहराया गया था क्योंकि उन्होंने निजी कार्य के लिए बीएसएफ कांस्टेबल को घर पर तैनात किया था। इस बार यादव ने अदालत में स्पष्ट किया कि यह केवल एक व्यक्तिगत मामला नहीं है, बल्कि एक प्रणालीगत समस्या है। उनका कहना है कि यह प्रथा जवानों के अधिकारों और कर्तव्यों का उल्लंघन करती है।

संजय यादव ने अपनी याचिका में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के 2016 के आदेश का हवाला दिया। इस आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि सेवानिवृत्त अधिकारियों के लिए जवानों को निजी काम में तैनात करने का विशेषाधिकार समाप्त किया जाए। याचिकाकर्ता ने कहा कि बीएसएफ ने 131 ऐसे कर्मियों की पहचान की है जिन्हें डीओपीटी के आदेश का उल्लंघन करते हुए सेवानिवृत्त अधिकारियों के लिए नियुक्त किया गया था। उनका दावा है कि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है।

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