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दिल्ली पुलिस ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ ठगी गिरोह का किया भंडाफोड़, गुजरात से दो आरोपी गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ ठगी गिरोह का किया भंडाफोड़, गुजरात से दो आरोपी गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने 'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर लाखों की ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया। गुजरात से दो आरोपियों सोया और असलम भाई मुल्तानी को गिरफ्तार किया गया; ठगी में इस्तेमाल मोबाइल और सिम कार्ड बरामद।

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने 'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर लाखों रुपये की ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गुजरात से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया, जो ठगों को बैंक अकाउंट उपलब्ध कराकर ठगे गए पैसे की निकासी और उन्हें अन्य साथियों तक पहुंचाने का काम करते थे।

पुलिस के मुताबिक, गिरोह के शिकार बने लोग ज्यादातर सरकारी और निजी कर्मचारी थे, जिन्हें फोन कॉल और व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए डराया गया। इस मामले में अब पुलिस गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश में जुटी हुई है।

डिजिटल अरेस्ट के झांसे में नर्सिंग ऑफिसर से 7 लाख की ठगी

दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल की नर्सिंग ऑफिसर देबजानी दास चौधरी 19 जुलाई 2025 को इस गिरोह की चपेट में आईं। कॉलर ने खुद को जांच एजेंसी का अधिकारी बताया और उन्हें कहा कि उनका नाम मनी लॉन्ड्रिंग केस में शामिल है।

इसके बाद, आरोपी ने व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट दिखाकर पीड़िता को डराया और झांसा देकर उनके खाते से 7 लाख रुपये निकालवा लिए। इस तरह की फर्जी डिजिटल अरेस्ट तकनीक लोगों को डराने और पैसे ऐंठने के लिए इस्तेमाल की जाती रही है।

गिरोह की वित्तीय लेन-देन की पहचान

दिल्ली पुलिस की जांच में पता चला कि ठगी की रकम झारखंड और गुजरात के विभिन्न खातों में गई। जांच के दौरान पाया गया कि 30% रकम झारखंड के एक गोल्ड लोन अकाउंट में और 70% रकम गुजरात के सुरेंद्रनगर स्थित एसबीआई खाते में ट्रांसफर की गई।

बैंक सीसीटीवी और अन्य साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने सोया भाई मुल्तानी और असलम भाई मुल्तानी को गिरफ्तार किया। दोनों आरोपियों का कहना था कि वे हर ट्रांजेक्शन पर 2-4% कमीशन लेते थे।

पुलिस ने ठगी गिरोह से मोबाइल और सिम बरामद किए

गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने आरोपियों के पास से तीन मोबाइल फोन और पांच सिम कार्ड बरामद किए। शुरुआती जांच में यह भी सामने आया कि इस गिरोह से जुड़े देशभर में 14 अन्य ठगी के मामले दर्ज हैं।

पुलिस अब पूरे नेटवर्क की पहचान कर बाकी आरोपियों को पकड़ने की कोशिश कर रही है। अधिकारियों ने चेताया है कि ऐसे डिजिटल फ्रॉड से सावधान रहना बेहद जरूरी है और किसी भी अज्ञात कॉल या संदेश पर तुरंत भरोसा नहीं करना चाहिए।

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