दिवाली पर नवजात बच्चों की सेहत पर शोर, धुआं और प्रदूषण के कारण खतरा रहता है। डॉ. मितुल गुप्ता के अनुसार माता-पिता को बच्चे को पटाखों, तेज रोशनी और भीड़ से दूर रखना चाहिए। कमरे को साफ, हवादार और सुरक्षित बनाए रखें, कपड़े मौसम के अनुसार पहनाएं और फीडिंग व नींद का ध्यान रखें।
Care of a newborn during Diwali: जयपुर के ककून हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मितुल गुप्ता बताते हैं कि दिवाली के दौरान नवजात शिशु की देखभाल बेहद जरूरी है। पटाखों का धुआं, तेज आवाजें और भीड़ बच्चे के फेफड़े और कानों के लिए हानिकारक हो सकते हैं। माता-पिता को बच्चे को सुरक्षित कमरे में रखें, साफ-सफाई और हवादारी का ध्यान रखें, हल्की रोशनी और मुलायम कपड़े पहनाएं, फीडिंग और नींद का समय नियमित रखें और आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टर से सलाह लें।
शोर और धुएं से सुरक्षा
दिवाली पर घरों और आस-पास के इलाकों में पटाखों और आतिशबाजी की वजह से तेज आवाजें और धुआं होता है। नवजात बच्चों की सांस लेने की क्षमता अभी पूरी तरह विकसित नहीं होती, इसलिए धुआं और प्रदूषण उनके फेफड़ों पर असर डाल सकता है। धुएं से खांसी, एलर्जी और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। डॉ. गुप्ता के अनुसार, बच्चों को पटाखों और शोर से दूर रखना सबसे जरूरी कदम है। यदि संभव हो, तो बच्चा पटाखों की दूरी पर किसी बंद कमरे में सुरक्षित रखा जाए।
घर के अंदर सुरक्षित वातावरण
त्योहार के दौरान घर में सजावट, रोशनी और खुशबूदार अगरबत्तियां या मोमबत्तियां बहुत होती हैं। नवजात बच्चों की त्वचा और आंखें अत्यंत संवेदनशील होती हैं। डॉ. गुप्ता कहते हैं कि कमरे में हल्की और नरम रोशनी रखें, ताकि बच्चे की आंखें प्रभावित न हों। घर के अंदर साफ-सुथरा और हवादार वातावरण बनाए रखें। यदि एयर प्यूरिफायर उपलब्ध हो, तो उसका उपयोग करें। साथ ही, बच्चे को ठंडी हवा या प्रदूषण से बचाना जरूरी है।
भीड़ और संक्रमण से बचाव
दिवाली पर घर में मेहमानों का आना-जाना बढ़ जाता है। नवजात बच्चे का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। अधिक लोगों के संपर्क में आने से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। डॉक्टर की सलाह है कि बच्चे को ज्यादा लोगों से दूर रखें और उन्हें ज्यादा छूने से बचाएं। बच्चे को मुलायम कपड़े पहनाएं और मौसम के अनुसार ढककर रखें।
नींद और फीडिंग का ध्यान
त्योहार के दौरान परिवार और मेहमानों की व्यस्तता के कारण बच्चे की दिनचर्या प्रभावित हो सकती है। डॉ. गुप्ता का कहना है कि बच्चे की नींद और दूध पिलाने की समयसारणी को किसी भी हालत में प्रभावित न होने दें। नियमित फीडिंग और पर्याप्त नींद बच्चे की सेहत और विकास के लिए जरूरी है।
स्वास्थ्य समस्याओं पर ध्यान
यदि बच्चा बहुत छोटा है या उसे सांस लेने में दिक्कत, खांसी या सर्दी जैसे लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। कोई भी मामूली समस्या नजरअंदाज न करें।
दिवाली के दौरान खास सावधानियां
- नवजात को पटाखों के धुएं और तेज आवाज से दूर रखें।
- कमरे में एयर प्यूरिफायर या हरे पौधे रखें।
- घर में अगरबत्ती या खुशबूदार मोमबत्तियों का उपयोग सीमित करें।
- बच्चे को मौसम और कमरे के अनुसार पूरी तरह ढककर रखें।
- मेहमानों को बच्चे को अधिक छूने से रोकें।
- बच्चे का कमरा साफ और हवादार रखें।
- जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से तुरंत सलाह लें।
दिवाली का उत्सव भले ही आनंद और रंगों से भरा हो, लेकिन नवजात बच्चों के लिए यह समय अतिरिक्त सावधानी का मांग करता है। शोर, धुआं और भीड़-भाड़ से बच्चे की सेहत पर प्रभाव पड़ सकता है। डॉ. मिथुल गुप्ता की सलाह के अनुसार, उचित देखभाल और सुरक्षा उपाय अपनाकर माता-पिता अपने नवजात को इस त्योहार के दौरान सुरक्षित रख सकते हैं।