हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतलाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार मासिक शीतलाष्टमी शुक्रवार, 18 जुलाई को मनाई जाएगी। यह दिन देवी शीतला माता को समर्पित होता है। मान्यता है कि इस दिन मां शीतला की पूजा करने से बीमारियां दूर होती हैं, घर में सुख-शांति बनी रहती है और हर तरह की परेशानी से छुटकारा मिल सकता है।
इस खास दिन को बासौड़ा या बूढ़ा बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन खासतौर पर बासी यानी एक दिन पहले बना भोजन खाया जाता है और ठंडे जल से स्नान किया जाता है। इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों कारण हैं। यह पर्व साफ-सफाई और स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ माना जाता है।
क्यों मनाते हैं शीतलाष्टमी
शीतलाष्टमी का पर्व मां शीतला को समर्पित है, जिन्हें रोगों की देवी भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, शीतला माता का वाहन गधा होता है और उनके हाथों में झाड़ू, कलश और सूप रहता है। इन प्रतीकों को स्वच्छता, ठंडक और रक्षा से जोड़ा जाता है। मान्यता है कि इस दिन पूजा और व्रत करने से संक्रामक बीमारियों से रक्षा होती है। साथ ही यह व्रत माताएं अपने बच्चों और परिवार की भलाई के लिए करती हैं।
इन खास उपायों से बनेंगे बिगड़े काम
सफलता के लिए शीतला वंदना
अगर आप जीवन में निरंतर सफलता चाहते हैं तो शीतला माता की विशेष वंदना करें और इस मंत्र का जाप करें
“वन्देहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बराम्।
मार्जनी कलशोपेतां सूर्प अलंकृत मस्तकाम्॥”
इस वंदना से मां शीतला प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सफलता का आशीर्वाद देती हैं।
हर काम में लाभ के लिए खीर का भोग लगाएं
शीतलाष्टमी के दिन दूध और चावल से बनी खीर तैयार करें और उसे मां शीतला को भोग लगाएं। फिर इस खीर को बच्चों में बांट दें और थोड़ा-सा प्रसाद खुद भी ग्रहण करें। मान्यता है कि इस उपाय से कार्यों में बाधाएं दूर होती हैं और हर काम में लाभ मिलता है।
नौकरी की समस्या से राहत के लिए चालीसा का पाठ करें
अगर आप अपनी नौकरी को लेकर परेशान हैं या काम में स्थायित्व नहीं मिल रहा तो शीतला चालीसा का पाठ करें। पूजा के बाद माता को पुष्प अर्पित करें। मान्यता है कि इस उपाय से करियर में रुकावटें दूर होती हैं और स्थायित्व आता है।
तरक्की के लिए दीपक और आरती करें
यदि आप दिन-दोगुनी, रात-चौगुनी तरक्की चाहते हैं तो शीतला माता के समक्ष शुद्ध घी का दीपक जलाएं और उनकी आरती करें। यह उपाय विशेष रूप से शुक्रवार को करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और विकास के नए रास्ते खुलते हैं।
लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए विशेष मंत्र का जप करें
शीतलाष्टमी पर मां शीतला का यह विशेष मंत्र जपने से न सिर्फ स्वास्थ्य अच्छा रहता है बल्कि दीर्घायु का वरदान भी प्राप्त होता है
“मृणाल तन्तु सदृशीं नाभि हृन्मध्य संस्थिताम्।
यस्त्वां संचिन्तयेत्त्वां देवि तस्य मृत्युर्न जायते॥”
इस मंत्र का श्रद्धा पूर्वक जाप करने से रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
शीतलाष्टमी पर क्यों खाया जाता है बासी खाना
इस दिन घरों में एक दिन पहले बना खाना यानी बासी भोजन खाने की परंपरा है। इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों वजहें हैं। धार्मिक मान्यता है कि मां शीतला को ठंडा खाना प्रिय है, इसलिए उन्हें ठंडा या बासी भोग लगाया जाता है। वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह मौसम संक्रामक रोगों का होता है, ऐसे में एक दिन पहले का ठीक से पकाया गया और ढका हुआ भोजन खाने से पाचन में मदद मिलती है और संक्रमण से बचाव होता है।
शीतलाष्टमी का लोकपरंपरा से जुड़ाव
ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व का विशेष महत्व होता है। कई जगहों पर महिलाएं समूह में एकत्र होकर शीतला माता की कथा सुनती हैं और व्रत करती हैं। सुबह जल्दी उठकर घर और रसोई की सफाई की जाती है, फिर मिट्टी के चूल्हे पर पहले से पकाया गया खाना परोसा जाता है। यह परंपरा स्वच्छता और सामूहिकता की भावना को बढ़ावा देती है।