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डोनाल्ड ट्रंप का दावा: 'भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा', MEA ने किया खारिज

डोनाल्ड ट्रंप का दावा: 'भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा', MEA ने किया खारिज

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 को व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की से बैठक के दौरान फिर से दावा किया कि भारत अब रूस से तेल का आयात नहीं करेगा।

वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 को व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की से बैठक के दौरान दावा किया कि भारत अब रूस से तेल का आयात बंद कर देगा। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने पहले ही भारत से आयात में कमी आने की बात सुनी है और इसे “बड़ा कदम” बताया। इससे पहले बुधवार, 15 अक्टूबर को भी ट्रंप ने यह दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें रूस से तेल न खरीदने का आश्वासन दिया।

हालांकि, भारत का विदेश मंत्रालय (MEA) ने ट्रंप के दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिका के बीच हाल ही में इस विषय पर कोई बातचीत या टेलीफोन कॉल नहीं हुई है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच किसी भी तरह की बातचीत नहीं हुई है, इसलिए तेल खरीद पर कोई आश्वासन देने का सवाल ही नहीं उठता।

ट्रंप ने चीन पर भी दबाव डालने की बात कही

रूसी तेल को लेकर ट्रंप ने केवल भारत ही नहीं, बल्कि चीन पर भी दबाव डालने की बात कही। उन्होंने कहा कि अब वे चीन को भी यह सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करेंगे कि वह रूस से कच्चा तेल न खरीदे। ट्रंप का यह रुख अमेरिका की वैश्विक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य मॉस्को को यूक्रेन युद्ध के वित्त पोषण से रोकना है।

भारत ने बार-बार स्पष्ट किया है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है। भारत अभी भी रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल खरीद रहा है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में आयात में कमी आई है। आंकड़ों के अनुसार, जून 2025 में भारत ने रूस से लगभग 20 लाख बैरल प्रतिदिन तेल आयात किया था, जो सितंबर में घटकर 16 लाख बैरल प्रतिदिन रह गया। 

अक्टूबर के पहले पखवाड़े में यह आंकड़ा फिर से मजबूत हुआ, जिससे जुलाई-सितंबर के दौरान तीन महीने की गिरावट रुक गई। यह रफ्तार त्योहारी मांग और रिफाइनरियों की सक्रियता के कारण बढ़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका की चेतावनी और दावे के बावजूद, भारत की ऊर्जा रणनीति स्थिर है और यह केवल वैश्विक दबावों के आधार पर बदलने वाली नहीं है।

हंगरी पर नरम, भारत पर सख्त रुख

ट्रंप ने पत्रकारों से बातचीत में हंगरी के रूसी तेल आयात पर नरम रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि हंगरी एक विशेष स्थिति में है क्योंकि उसके पास समुद्री मार्ग नहीं हैं और तेल लाने के लिए केवल पाइपलाइन पर निर्भर रहना पड़ता है। ट्रंप ने कहा कि हंगरी अब लगभग आयात रोक चुका है और अमेरिकी दृष्टिकोण से यह स्वीकार्य है।

उन्होंने हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन को “महान नेता” बताते हुए कहा कि आने वाले हफ्तों में उनसे मुलाकात करेंगे। इस तुलना से यह साफ हो गया कि ट्रंप भारत को लेकर अपेक्षाकृत सख्त हैं, जबकि हंगरी जैसी सीमित विकल्प वाली स्थिति वाले देशों के मामले में नरमी बरत रहे हैं।

अमेरिका का मानना है कि भारत की तरफ से रूस से तेल खरीद जारी रहने से मॉस्को को यूक्रेन युद्ध में वित्तीय मदद मिलती है। भारत के रियायती तेल आयात ने उसे वैश्विक ऊर्जा बाजार में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बना दिया है। रूसी तेल के निरंतर आयात से भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होती है, विशेषकर घरेलू मांग और रिफाइनरियों की क्षमता को देखते हुए।

 

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