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DRDO का नया हथियार: CDS जनरल अनिल चौहान ने कहा- 'पाकिस्तान और चीन की उड़ेगी नींद'

DRDO का नया हथियार: CDS जनरल अनिल चौहान ने कहा- 'पाकिस्तान और चीन की उड़ेगी नींद'

भारत की रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने रक्षा तकनीक के क्षेत्र में नई छलांग लगाई है। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने मध्य प्रदेश के महू में आयोजित आर्मी वॉर कॉलेज के रण संवाद सेमिनार के दौरान खुलासा किया कि DRDO ऐसे हथियारों और तकनीकों पर काम कर रहा है, जो पाकिस्तान और चीन के लिए भारी नुकसानदेह साबित हो सकते हैं।

नई दिल्ली: पाकिस्तान और चीन की सैन्य ताकत को ध्यान में रखते हुए डीआरडीओ के वैज्ञानिक दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। देश की सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए डीआरडीओ इस समय कई अत्याधुनिक और घातक हथियार प्रणालियों पर काम कर रहा है, जो पूरी तरह विकसित होने के बाद पाकिस्तान और चीन दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होंगी।

मध्य प्रदेश के महु में आयोजित आर्मी वॉर कॉलेज के रण संवाद सेमिनार में सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने बताया कि डीआरडीओ किन तकनीकों और हथियार प्रणालियों पर काम कर रहा है। इनमें लंबी दूरी की प्रिसिजन मिसाइलें, अत्याधुनिक ड्रोन तकनीक, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम और अन्य उन्नत रक्षा उपकरण शामिल हैं।

DRDO का विशेष इंटीग्रेटेड सिस्टम 

जनरल अनिल चौहान ने छात्रों को संबोधित करते हुए बताया कि DRDO वर्तमान में एक विशेष इंटीग्रेटेड सिस्टम का परीक्षण कर रहा है। इसमें शामिल हैं:

  • QRSAM (Quick Reaction Surface to Air Missile) – यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जो हवाई हमलों को तुरंत नष्ट करने की क्षमता रखती है।
  • VSHORADS (Very Short Range Air Defense System) – यह छोटे और मध्यम दूरी की हवाई धमकियों से रक्षा करता है।
  • 5 किलोवाट लेजर – अत्याधुनिक लेजर तकनीक जो लक्ष्य को सटीक और तीव्र ढंग से नष्ट कर सकती है।

इन सभी प्रणालियों को एक में एकीकृत किया जा रहा है, ताकि मल्टी-डोमेन रक्षा क्षमता विकसित की जा सके।

मल्टी-डोमेन ISR की आवश्यकता

सीडीएस ने कहा कि आधुनिक युद्ध में मल्टी-डोमेन ISR (Intelligence, Surveillance, Reconnaissance) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें जमीन, हवा, समुद्र, समुद्र के नीचे और अंतरिक्ष के सेंसर और तकनीकों का एकीकृत नेटवर्क तैयार करना आवश्यक है। जनरल चौहान ने बताया कि इस तकनीक के लिए बड़े पैमाने पर डेटा एकत्रीकरण और विश्लेषण की जरूरत होगी। वास्तविक समय में निर्णय लेने के लिए भारी मात्रा में डेटा का विश्लेषण करना अनिवार्य है।

DRDO इस परियोजना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), एडवांस्ड कम्प्यूटेशन, बिग डेटा, लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) और क्वांटम तकनीक का उपयोग कर रहा है। इसका उद्देश्य रक्षा तंत्र को तेज, प्रभावी और कम लागत में सक्षम बनाना है। जनरल चौहान ने भरोसा जताया कि भारत इन तकनीकों को न्यूनतम लागत और उच्च दक्षता के साथ पूरी तरह विकसित कर लेगा।

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