उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 अभी करीब डेढ़ साल दूर है, लेकिन सियासी हलचल पहले ही तेज हो गई है। राजनीतिक पार्टियों के बीच गठजोड़ और रणनीतियों को लेकर चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में फिर से हलचल देखने को मिल रही है। पूर्व कैबिनेट मंत्री और लोक मोर्चा के अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्या ने बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती को लेकर बड़ा बयान दिया है, जिससे उनके बसपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या वे फिर से मायावती के साथ हाथ मिलाकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
इसके साथ ही 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों के संकेत भी साफ नजर आ रहे हैं। पहले बस्ती मंडल में लोक मोर्चा के बैनर तले आयोजित विशाल कार्यकर्ता सम्मेलन में लगभग 10 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
बस्ती में हुआ विशाल कार्यकर्ता सम्मेलन
उत्तर प्रदेश के बस्ती मंडल में हाल ही में लोक मोर्चा के बैनर तले एक 10 राजनीतिक दलों का शक्ति प्रदर्शन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और समर्थक शामिल हुए। भीड़ से यह साफ संदेश मिला कि आगामी विधानसभा चुनाव में नई राजनीतिक जंग होने वाली है। इस सम्मेलन में मुख्य वक्ता के रूप में स्वामी प्रसाद मौर्या ने शिरकत की।
उन्होंने बीएसपी और मायावती को लेकर अपनी स्पष्ट राय रखी। मौर्या ने कहा कि बहन जी (मायावती) ने यदि अपने पुराने मिशन और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के आदर्शों पर वापस लौटकर काम करना शुरू किया, तो वह खुशी-खुशी उनके साथ मिलकर राजनीतिक और सामाजिक कार्य करेंगे।
मौर्या ने मायावती के साथ गठबंधन को लेकर जताई खुशी
स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा,
'हमें खुशी होगी कि बहन जी अपने मिशन पर पुराने रास्ते पर लौटें। अगर ऐसा हुआ, तो हम स्वाभाविक रूप से उनके साथ मिलकर काम करेंगे। बीएसपी से अलग होने का मुख्य कारण यही था कि बहन जी बाबा साहब के मिशन और कांशीराम के सामाजिक परिवर्तन आंदोलन से दूरी बना रही थीं।'
इस बयान से राजनीतिक गलियारों में कयास तेज हो गए हैं कि मौर्या और मायावती के बीच संभावित गठजोड़ आगामी चुनाव में बड़ा असर डाल सकता है। बता दें कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्या समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हुए थे। हालांकि, वहां उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने अपनी खुद की पार्टी बनाई और छोटे दलों को साथ जोड़कर लोक मोर्चा का गठन किया।
लोक मोर्चा अब उत्तर प्रदेश की सियासी तस्वीर में एक नया विकल्प पेश कर रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि मौर्या का मायावती के साथ जुड़ना कितना कारगर साबित होता है।