जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आज (6 सितंबर) ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के मौके पर लोगों को दिल से मुबारकबाद दी। उन्होंने कहा कि यह दिन मोहब्बत, रहमत और भाईचारे का संदेश लेकर आता है।
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 6 सितंबर को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के अवसर पर लोगों को मुबारकबाद दी और इस अवसर को मोहब्बत, रहमत और भाईचारे का प्रतीक बताया। मुख्यमंत्री ने दुआ की कि पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की शिक्षाएँ हर दिल को रोशन करें और पूरे क्षेत्र में अमन और सौहार्द कायम रहे।
उमर अब्दुल्ला ने यह संदेश सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी साझा किया। उन्होंने लिखा, ईद मिलाद-उन-नबी मुबारक। इस रोशनी और याद के दिन पर, हमारे नबी की मोहब्बत, रहमत और करुणा की शिक्षाएँ हमारे दिलों को रोशन करें, हमारे कर्मों को राह दिखाएं और हमें अमन व भाईचारे में एकजुट करें।
छुट्टी को लेकर विवाद
त्योहार की खुशियों के बीच इस बार छुट्टी का मुद्दा विवाद का केंद्र बन गया। प्रशासन ने चांद दिखने के अनुसार ईद-ए-मिलाद-उन-नबी की छुट्टी 5 सितंबर से 6 सितंबर करने का अनुरोध ठुकरा दिया। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस फैसले को “जानबूझकर किया गया” करार दिया और कहा कि यह निर्णय आम लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाला है।
विशेषज्ञों और स्थानीय संगठनों का कहना है कि धार्मिक अवसरों पर प्रशासन को अधिक संवेदनशील और सामंजस्यपूर्ण निर्णय लेने चाहिए। उनका तर्क है कि छुट्टी का मसला केवल सरकारी कर्मचारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे समुदाय की भावनाओं से जुड़ा होता है।
पिछले साल भी हुआ था विवाद
यह मामला नया नहीं है। साल 2024 में भी ईद-उल-फितर की छुट्टी को लेकर कर्मचारियों और प्रशासन के बीच विवाद हुआ था। उस समय, जो कर्मचारी नमाज या धार्मिक कारणों से ड्यूटी पर उपस्थित नहीं हुए, उन्हें गैरहाजिर दर्ज किया गया था। इस बार भी समान परिस्थितियों के चलते लोगों में नाराजगी बढ़ गई है।
विवाद के बावजूद, जम्मू-कश्मीर में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का उत्सव पूरे जोश और श्रद्धा के साथ मनाया गया। मस्जिदों और दरगाहों में भव्य आयोजन हुए। जुलूसों और इबादत में लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने पहुंचे।