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OTA गया: 27वीं पासिंग आउट परेड में 207 सैन्य अधिकारियों ने संभाला अंतिम पग, शौर्य और कौशल का किया प्रदर्शन

OTA गया: 27वीं पासिंग आउट परेड में 207 सैन्य अधिकारियों ने संभाला अंतिम पग, शौर्य और कौशल का किया प्रदर्शन

ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (ओटीए), गया में शनिवार को 27वीं पासिंग आउट परेड का आयोजन किया गया। अंतिम पग पर कदम रखते ही 207 कैडेट्स भारतीय सेना के सैन्य अधिकारी बन गए। इस परेड में दूसरी बार गया ओटीए से 23 युवतियों ने भी सेना में शामिल होकर इतिहास रचा।

गया, बिहार: ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) गया में शनिवार को 27वीं पासिंग आउट परेड का आयोजन हुआ, जिसमें कुल 207 कैडेट्स भारतीय सेना के अधिकारी बनकर अंतिम पग पर कदम रखा। इस बार की परेड में 23 युवतियों ने भी सेना में शामिल होकर महिला कैडेट्स की संख्या में इजाफा किया। परेड के अवसर पर कैडेट्स ने न केवल सैन्य अनुशासन दिखाया, बल्कि अपने बहुमुखी कौशल और शौर्य का भी प्रदर्शन किया। 

पासिंग आउट परेड की पूर्व संध्या, 5 सितंबर की शाम, मल्टी एक्टिविटी डिस्प्ले का आयोजन किया गया, जिसमें घुड़सवारी, जिमनास्टिक, स्काई ड्राइविंग, एरियल स्टंट, आर्मी डॉग शो और रोबोटिक म्यूल डिस्प्ले जैसे आकर्षक प्रदर्शन शामिल थे।

बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले कैडेट्स को मिला सम्मान

परेड के मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्यसेन गुप्ता, भारतीय सेना के सेंट्रल कमांड के कमांडिंग ऑफिसर, ने प्रशिक्षण के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कैडेट्स को सम्मानित किया। ड्रिल, फिजिकल ट्रेनिंग, वेपन ट्रेनिंग, सर्विस सब्जेक्ट्स और अकादमिक क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने वाले कैडेट्स को पुरस्कार दिए गए। इस बार बेस्ट परफॉर्मेंस देने वाली खेतरपाल बटालियन को कमांडेंट बैनर सौंपा गया।

पासिंग आउट परेड के बाद पीपिंग सेरेमनी का आयोजन किया गया, जिसमें कैडेट्स के माता-पिता ने उनके कंधों पर बैज लगाकर उन्हें राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित किया। इस बार पहली बार गौरव पदक सम्मान भी प्रदान किया गया। साथ ही, अपने नौनिहालों को देश सेवा में सौंपने वाले अभिभावकों को सम्मानित किया गया, जो समारोह का एक विशेष आकर्षण रहा।

रिव्यूइंग ऑफिसर का संबोधन

परेड में कैडेट्स को संबोधित करते हुए रिव्यूइंग ऑफिसर ने उन्हें युवा सेना नायकों के रूप में नए अन्वेषणों को अपनाने, निरंतर ज्ञान बढ़ाने और उभरती प्रौद्योगिकियों में प्रवीण बनने की प्रेरणा दी। उन्होंने उद्देश्यपूर्ण नेतृत्व, परंपरा और दूरदृष्टि को संतुलित रूप से अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि शांति और युद्ध दोनों परिस्थितियों में प्रभावी कमान सुनिश्चित की जा सके।

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