पासकी एक आधुनिक डिजिटल सुरक्षा प्रणाली है जिसे FIDO Alliance द्वारा विकसित किया गया है। यह तकनीक पारंपरिक पासवर्ड और OTP सिस्टम की कमजोरियों को दूर करने के लिए बनाई गई है।
टेक्नोलॉजी: फेसबुक ने अपने करोड़ों यूजर्स को एक बड़ी राहत देते हुए Passkey (पासकी) सपोर्ट की शुरुआत कर दी है। अब फेसबुक यूजर्स को लॉगिन के लिए पासवर्ड याद रखने की जरूरत नहीं होगी। यह सुविधा फिलहाल केवल iOS और Android मोबाइल ऐप पर उपलब्ध है, लेकिन इसे एक महत्वपूर्ण सुरक्षा बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है, जो आने वाले समय में डेस्कटॉप और अन्य सेवाओं के लिए भी मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
फेसबुक का यह कदम न केवल लॉगिन प्रक्रिया को आसान बनाने वाला है, बल्कि यह डिजिटल सुरक्षा के नए मानकों की ओर एक बड़ी छलांग भी है। Passkey तकनीक पारंपरिक पासवर्ड और OTP आधारित लॉगिन सिस्टम की तुलना में अधिक सुरक्षित और उपयोगकर्ता के अनुकूल मानी जा रही है।
क्या है Passkey और क्यों है यह खास?
Passkey एक आधुनिक और फिशिंग-प्रूफ लॉगिन सिस्टम है, जिसे FIDO Alliance और World Wide Web Consortium (W3C) के सहयोग से विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य पासवर्ड आधारित लॉगिन प्रक्रिया को समाप्त करना और डिजिटल सुरक्षा को अधिक मजबूत बनाना है। इसमें हर यूजर के लिए एक यूनिक डिजिटल कुंजी (Cryptographic Key) तैयार की जाती है, जो डिवाइस में सुरक्षित रहती है और केवल बायोमेट्रिक या डिवाइस पिन के माध्यम से ही सक्रिय होती है।
सबसे बड़ी बात यह है कि Passkey को कहीं ट्रांसमिट नहीं किया जाता, जिससे यह फिशिंग, ब्रूट फोर्स अटैक, और डेटा ब्रीच जैसी समस्याओं से बचाव करता है।
फेसबुक पर कैसे करेगा काम?
फेसबुक ने बताया कि अब यूजर्स फिंगरप्रिंट, फेस स्कैन या डिवाइस पिन के माध्यम से अपने अकाउंट में लॉगिन कर सकते हैं। यह प्रक्रिया बेहद आसान और तेज होगी। जब कोई यूजर लॉगिन करेगा, तो ऐप उसे Passkey सेटअप करने का सुझाव देगा। Passkey सेटअप करने के दो तरीके हैं:
- लॉगिन के समय खुद ऐप एक पॉपअप के जरिए Passkey बनाने का विकल्प देगा।
- यूजर चाहें तो Settings > Accounts Centre > Password and Security > Passkey में जाकर इसे मैन्युअली भी सेट कर सकते हैं।
- Passkey अकाउंट से जुड़ी ईमेल आईडी या फोन नंबर के आधार पर बनाई जाएगी। यह सुनिश्चित करेगा कि हर Passkey यूनिक हो और केवल उसी यूजर के डिवाइस पर काम करे।
Meta Pay और Messenger में भी होगा इस्तेमाल
Passkey फीचर सिर्फ लॉगिन तक सीमित नहीं रहेगा। फेसबुक ने यह भी बताया है कि Meta Pay के जरिए जब यूजर पेमेंट करेंगे, तो Passkey के माध्यम से उनकी भुगतान जानकारी सुरक्षित ऑटोफिल की जाएगी। इसका मतलब है कि ट्रांजैक्शन न केवल तेज होंगे, बल्कि अतिरिक्त सुरक्षा के साथ भी आएंगे।फेसबुक आने वाले महीनों में Messenger में भी Passkey इंटीग्रेशन शुरू करेगा, जिससे एन्क्रिप्टेड चैट बैकअप और लॉगिन प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित बनाया जा सकेगा।
क्या पासवर्ड पूरी तरह खत्म हो जाएंगे?
हालांकि यह सुविधा लॉगिन के लिए एक नया विकल्प देती है, फेसबुक ने साफ किया है कि पासवर्ड आधारित लॉगिन विकल्प फिलहाल खत्म नहीं किए जा रहे हैं। यानी यूजर्स चाहें तो पहले की तरह पासवर्ड से लॉगिन कर सकते हैं। Passkey सिर्फ एक सिक्योर, फास्ट और फिशिंग-रेजिस्टेंट विकल्प है। फेसबुक का दावा है कि Passkey और उससे जुड़ी सभी बायोमेट्रिक जानकारियां पूरी तरह से यूजर के डिवाइस में सुरक्षित रहती हैं। यहां तक कि खुद फेसबुक के पास भी इन जानकारियों तक कोई पहुंच नहीं है।
यह सिस्टम इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यदि कोई हैकर या फिशिंग अटैकर लॉगिन की कोशिश करे, तो भी वह पासकी तक नहीं पहुंच पाएगा। इससे यूजर अकाउंट की सुरक्षा कई गुना बढ़ जाती है। Passkey फीचर का आगमन इस संकेत के रूप में देखा जा रहा है कि पासवर्ड-फ्री भविष्य अब दूर नहीं रहा।
जैसे-जैसे साइबर क्राइम और डेटा ब्रीच की घटनाएं बढ़ रही हैं, कंपनियों पर यह दबाव बढ़ रहा है कि वे सुरक्षा को अधिक बायोमेट्रिक और हार्डवेयर आधारित बनाएं। गूगल, एपल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज टेक कंपनियां पहले ही इस दिशा में कदम बढ़ा चुकी हैं और अब फेसबुक का जुड़ना बताता है कि Passkey सिस्टम धीरे-धीरे डिजिटल सुरक्षा का नया मानक बनने जा रहा है।