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स्टारलिंक मिशन 26: स्पेसएक्स ने पृथ्वी की निचली कक्षा में 26 नए इंटरनेट उपग्रह भेजे, वैश्विक इंटरनेट नेटवर्क को मिला नया आयाम

स्टारलिंक मिशन 26: स्पेसएक्स ने पृथ्वी की निचली कक्षा में 26 नए इंटरनेट उपग्रह भेजे, वैश्विक इंटरनेट नेटवर्क को मिला नया आयाम

स्पेसएक्स ने 16 जून को कैलिफोर्निया से 26 स्टारलिंक उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजे। यह मिशन रीयूज़ेबल फाल्कन 9 रॉकेट से पूरा हुआ, जिसने ड्रोनशिप पर सफल लैंडिंग की। इससे स्टारलिंक नेटवर्क और मज़बूत हुआ है। 

Starlink mission 26: स्पेस तकनीक के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली कंपनी स्पेसएक्स ने एक बार फिर अपने महत्वाकांक्षी स्टारलिंक प्रोजेक्ट के तहत 26 नए इंटरनेट उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में तैनात किए हैं। यह लॉन्च 16 जून को अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से किया गया। इस सफल मिशन के जरिए स्पेसएक्स ने ना केवल वैश्विक इंटरनेट कनेक्टिविटी को एक और कदम आगे बढ़ाया है, बल्कि दोबारा प्रयोग में लाए जाने वाले रॉकेट्स की अपनी तकनीक की दक्षता भी दोहराई है।

मिशन की अहम जानकारियाँ

स्टारलिंक उपग्रहों को लेकर गया फाल्कन 9 रॉकेट भारतीय समयानुसार 17 जून की सुबह 4:06 बजे उड़ान भरा। लॉन्च के केवल 8.5 मिनट के भीतर ही सभी उपग्रह अपनी प्रारंभिक कक्षा में पहुंच गए। यह रॉकेट बूस्टर (सीरियल नंबर B1093) की यह तीसरी उड़ान थी, जो पहले भी दो बार मिशनों का हिस्सा रह चुका है।

बूस्टर ने वापसी के दौरान प्रशांत महासागर में मौजूद ऑटोमैटिक ड्रोनशिप 'Of Course I Still Love You' पर सटीक लैंडिंग की। यह लैंडिंग स्पेसएक्स की रीयूज़ेबिलिटी (पुन: प्रयोग) नीति की एक और बड़ी सफलता मानी जा रही है, जो भविष्य में लागत कम करने और मिशनों की फ्रीक्वेंसी बढ़ाने में मदद करेगी।

फाल्कन 9 और रीयूज़ेबल टेक्नोलॉजी

फाल्कन 9 रॉकेट की सबसे खास बात यही है कि यह बार-बार इस्तेमाल हो सकता है। यही नहीं, यह लॉन्च इस बात का प्रमाण भी है कि स्पेसएक्स कैसे हर प्रक्षेपण के साथ अपने सिस्टम को और कुशल और किफायती बना रही है। रॉकेट के पहले चरण को सुरक्षित लैंड करवा कर अगली उड़ानों के लिए तैयार रखना अब कंपनी की नियमित प्रक्रिया बनती जा रही है।

स्टारलिंक नेटवर्क का विस्तार

इस समय स्पेसएक्स के पास 7,760 से अधिक सक्रिय उपग्रह हैं, जो पहले से ही काम कर रहे हैं। इस लॉन्च से यह आंकड़ा और मजबूत हो गया है। हालांकि 16 जून का यह प्रक्षेपण डायरेक्ट-टू-सेल पेलोड नहीं ले जा रहा था, लेकिन यह स्टारलिंक के मूल नेटवर्क को सशक्त बना रहा है। 

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही, 13 जून को स्पेसएक्स ने फ्लोरिडा के केप कैनावेरल से डायरेक्ट-टू-सेल सेवा के अंतिम बैच को लॉन्च किया था, जो सुदूर इलाकों में सीधे मोबाइल कनेक्टिविटी देने वाला एक क्रांतिकारी कदम था। अब 16 जून का यह मिशन उस कार्यनीति को आगे बढ़ाता है, जहां उपग्रहों का आधारभूत नेटवर्क और मज़बूत किया जा रहा है।

स्पेसएक्स की तेजी से बढ़ती लॉन्च क्षमता

स्पेसएक्स की लॉन्च रणनीति की सबसे बड़ी ताकत उसका मल्टी-साइट लॉन्च इंफ्रास्ट्रक्चर है। कंपनी अमेरिका के दोनों तटों — कैलिफोर्निया और फ्लोरिडा — से अपने रॉकेट्स को भेज सकती है। इससे वह तेज़ी से अलग-अलग मिशनों के लिए रॉकेट्स को तैयार कर सकती है।

इसके अलावा, पुनः प्रयोज्यता के चलते कंपनी कम समय में अधिक मिशन कर पा रही है, जिससे उपग्रह नेटवर्क का सघन और भरोसेमंद विस्तार हो रहा है। जैसे-जैसे स्टारलिंक सैटेलाइट की संख्या बढ़ेगी, उपयोगकर्ताओं को अधिक स्पीड, कम विलंबता (latency) और बेहतर सेवा मिलने लगेगी।

भविष्य की दिशा और नई तकनीकों की संभावना

स्पेसएक्स का अगला फोकस स्टारलिंक V2 और डायरेक्ट-टू-सेल की अगली पीढ़ी पर है। ये सैटेलाइट्स न केवल मोबाइल से सीधे कनेक्ट होंगे, बल्कि यह स्मार्ट डिवाइसेज़ के लिए एक नया इंटरनेट अनुभव प्रदान करेंगे।

इसके साथ ही, कंपनी कस्टम बिज़नेस सॉल्यूशंस, IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) नेटवर्क, और रिमोट शिक्षा जैसी सेवाओं के लिए भी सैटेलाइट बैंडविड्थ प्रदान करने की योजना पर काम कर रही है।

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