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Flipkart पर ED की फेमा कार्रवाई: मामला बंद करने के लिए रखीं ये शर्तें, जानिए पूरी डिटेल

Flipkart पर ED की फेमा कार्रवाई: मामला बंद करने के लिए रखीं ये शर्तें, जानिए पूरी डिटेल

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट को फेमा उल्लंघन के मामले को कंपाउंड करने का प्रस्ताव दिया है। इसके तहत फ्लिपकार्ट को अपनी गलती स्वीकार करनी होगी, जुर्माना भरना होगा और संबंधित विक्रेता नेटवर्क को खत्म करना होगा। अमेजन इंडिया की स्थिति की भी ED जांच कर रही है।

Flipkart: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने फ्लिपकार्ट को फेमा (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) के कंपाउंडिंग नियमों के तहत उल्लंघन के मामले को बंद करने का विकल्प दिया है। इसके लिए कंपनी को अपनी गलती स्वीकार करने, जुर्माना अदा करने और संबंधित विक्रेता नेटवर्क को समाप्त करने की शर्त रखी गई है। ED ने अमेजन इंडिया की स्थिति की भी जांच की है। फ्लिपकार्ट और अमेजन पर आरोप हैं कि वे बिक्री बढ़ाने के लिए अपने प्लेटफॉर्म पर छूट देती रही हैं।

फ्लिपकार्ट पर आरोप

फ्लिपकार्ट और अमेजन इंडिया फेमा के प्रावधानों के कथित उल्लंघनों के लिए जांच के दायरे में हैं। आरोप है कि इन कंपनियों ने अपने प्लेटफॉर्म पर बिक्री बढ़ाने के लिए नियमों की अवहेलना करते हुए छूट और विशेष प्रोत्साहन दिए। कंपाउंडिंग नियम कंपनियों को फेमा के तहत प्रावधानों का उल्लंघन स्वीकार करने और लंबी प्रवर्तन प्रक्रिया के बिना जुर्माना देकर मामले का निपटारा करने का विकल्प देते हैं।

ED की जांच के अनुसार, फ्लिपकार्ट ने अपनी अमेरिकी मूल कंपनी वॉलमार्ट के अधिग्रहण के बाद कुछ व्यापारिक गतिविधियों में फेमा के नियमों का पालन नहीं किया। अमेरिकी रिटेल दिग्गज वॉलमार्ट ने साल 2018 में भारतीय ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट का अधिग्रहण किया था।

अमेजन इंडिया की स्थिति

इस मामले में ED ने अमेजन इंडिया की स्थिति की भी समीक्षा के लिए कंपनी को तलब किया था। अमेजन इंडिया के प्रवक्ता ने मीडिया से कहा कि वे चल रही जांच पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। मामले में ईडी को भेजे गए सवालों के जवाब भी अभी तक नहीं मिले हैं।

कंपाउंडिंग का प्रस्ताव 

कंपाउंडिंग का विकल्प कंपनियों के लिए जांच प्रक्रिया को सरल और तेज बनाने का तरीका है। ED ने फ्लिपकार्ट से कहा कि यदि कंपनी अपनी गलती स्वीकार करती है और जुर्माना भरती है, तो मामले को लंबी कानूनी प्रक्रिया के बिना निपटाया जा सकता है। एक ई-कॉमर्स अधिकारी ने बताया कि यह कदम अमेरिका के साथ चल रही द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में भारत के हित में भी माना जा रहा है।

ED के प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि फ्लिपकार्ट को अपने प्लेटफॉर्म पर जुड़े विक्रेता नेटवर्क के उन हिस्सों को बंद करना होगा जो फेमा उल्लंघन के लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं। यह कार्रवाई आने वाले समय में ई-कॉमर्स सेक्टर में नियमों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

संभावित असर

यदि फ्लिपकार्ट ED की शर्तों को मानती है, तो यह कंपनी और ई-कॉमर्स सेक्टर के लिए लंबी कानूनी लड़ाई से बचने का मौका होगा। वहीं, जांच के इस तरीके से निपटान से अमेरिका और भारत के व्यापारिक संबंधों में भी सकारात्मक संकेत मिल सकते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि कंपाउंडिंग नियम का यह इस्तेमाल न सिर्फ फेमा उल्लंघनों को जल्दी निपटाने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य में कंपनियों के लिए नियमों के पालन का भी उदाहरण बनेगा। ED का यह कदम ई-कॉमर्स कंपनियों को फेमा के प्रावधानों के प्रति सजग और सतर्क करने की दिशा में भी देखा जा रहा है।

फिलहाल, फ्लिपकार्ट की ओर से ED को कोई आधिकारिक जवाब नहीं मिला है। अब यह देखना होगा कि कंपनी इस प्रस्ताव को स्वीकार करती है या मामले में लंबी कानूनी प्रक्रिया शुरू होती है।

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