आपने भी जरूर सुना होगा — “हिचकी आ रही है? कोई याद कर रहा होगा!” बचपन से लेकर अब तक जब भी अचानक हिचकी आती है, हमारे आसपास के लोग यही कहते हैं। कुछ लोग तो हिचकी आने पर अपने किसी खास का नाम लेना शुरू कर देते हैं, ताकि अंदाजा लगाया जा सके कि आखिर कौन याद कर रहा है। मगर क्या वाकई हिचकी का लेना-देना किसी इंसान की याद से है? या इसके पीछे शरीर का कोई खास मेकैनिकल और मेडिकल कारण छुपा है?
आज हम इसी पर विस्तार से चर्चा करेंगे — हिचकी क्यों आती है, इसके प्रकार क्या हैं, इसके असली कारण क्या हैं, और कब हिचकी डॉक्टर को दिखानी चाहिए। साथ ही यह भी समझेंगे कि आखिर इसे रोकने के आसान घरेलू उपाय कौन से हैं।
हिचकी आखिर होती क्या है?
हिचकी यानी Hiccups दरअसल एक साधारण लेकिन कभी-कभी परेशान करने वाली शारीरिक प्रक्रिया है। यह तब होती है जब डायाफ्राम (Diaphragm) नाम की मसल्स अचानक सिकुड़ जाती है। डायाफ्राम हमारे फेफड़ों के नीचे एक गुंबदनुमा मांसपेशी होती है, जो सांस लेने में मदद करती है। जब डायाफ्राम अचानक खिंचती है, तो तेजी से हवा अंदर जाती है और हमारी वोकल कॉर्ड्स (Voice box) अचानक बंद हो जाती हैं। इससे “हिक” जैसी आवाज आती है, जिसे हम हिचकी कहते हैं। हिचकी कुछ सेकंड में ठीक भी हो सकती है और कई बार घंटों या दिनों तक भी रह सकती है।
हिचकी के बारे में आम मिथक: कोई याद कर रहा है?
भारतीय समाज में प्रचलित मान्यता है कि अगर हिचकी आ रही है, तो कोई आपको याद कर रहा है। इस धारणा के पीछे कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। असल में हिचकी का संबंध पूरी तरह शारीरिक गतिविधियों और न्यूरोलॉजिकल सिस्टम से होता है। यह सच है कि किसी का नाम लेने के दौरान ध्यान बंटने से आपका डायाफ्राम शांत हो सकता है, जिससे हिचकी रुक जाती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वास्तव में कोई दूर बैठा आपको याद कर रहा है।
क्यों आती है हिचकी? असली वजह जानें
क्लीवलैंड क्लिनिक समेत कई रिसर्च संस्थानों के मुताबिक हिचकी के पीछे कुछ सामान्य कारण होते हैं, जैसे-
- बहुत जल्दी खाना खाना
- ज्यादा मसालेदार या गरम-ठंडा खाना
- गैस्ट्रिक प्रॉब्लम
- शराब या कार्बोनेटेड ड्रिंक का ज्यादा सेवन
- अचानक बहुत ज्यादा हंसना या रोना
- कुछ दवाओं का साइड इफेक्ट
- पेट में एसिडिटी
इसके अलावा लंबे समय तक चलने वाली हिचकी (48 घंटे से ज्यादा) के पीछे गंभीर कारण भी हो सकते हैं, जैसे:
- न्यूरोलॉजिकल समस्या
- डायबिटीज
- स्ट्रोक
- ब्रेन या स्पाइनल कॉर्ड में चोट
- लंग इन्फेक्शन
- किडनी या लिवर डिसऑर्डर
हिचकी के प्रकार (Types of Hiccups)
डॉक्टर हिचकी को चार श्रेणियों में बांटते हैं:
- Transient Hiccups — कुछ सेकंड या मिनटों तक रहने वाली हिचकी।
- Persistent Hiccups — 48 घंटे से ज्यादा लेकिन 1 महीने से कम चलने वाली।
- Intractable Hiccups — एक महीने से ज्यादा लगातार रहने वाली हिचकी।
- Recurrent Hiccups — जो बार-बार आती हैं, लेकिन हर बार थोड़ी देर में रुक जाती हैं।
हिचकी के लक्षण (Symptoms)
- अचानक “हिक” जैसी आवाज निकलना
- डायाफ्राम के पास मरोड़ या खिंचाव महसूस होना
- कुछ मामलों में आवाज के बिना भी डायाफ्राम में झटका महसूस होना
- लंबे समय तक हिचकी में बोलने, निगलने, या सांस लेने में कठिनाई होना
कब हो जाएं अलर्ट?
यदि आपकी हिचकी 48 घंटे से ज्यादा समय तक चल रही है, तो इसे हल्के में न लें। यह किसी अंदरूनी बीमारी का संकेत हो सकती है। अगर हिचकी के साथ ये लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से मिलें:
- बोलने में परेशानी
- निगलने में तकलीफ
- सांस फूलना
- सीने में दर्द
- लगातार वजन कम होना
- बार-बार थकान महसूस होना
हिचकी को रोकने के घरेलू उपाय
हिचकी को कंट्रोल करने के लिए कुछ आसान घरेलू नुस्खे आजमाए जा सकते हैं, जैसे:
- धीरे-धीरे खाना खाएं
- बहुत ठंडा या बहुत गर्म खाना एकदम न खाएं
- कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और शराब से बचें
- पानी के छोटे-छोटे घूंट लें
- गहरी सांस लेकर कुछ सेकंड रोककर छोड़ें
- नींबू या शहद को हल्के गुनगुने पानी में मिलाकर पिएं
- चीनी का एक चम्मच चूसना भी कुछ मामलों में मददगार माना जाता है
हिचकी का साइंटिफिक एंगल: नर्वस सिस्टम की गड़बड़ी
दरअसल हिचकी आने में हमारे शरीर की दो मुख्य नसें शामिल होती हैं — वेगस नर्व (Vagus nerve) और फ्रेनिक नर्व (Phrenic nerve)। यह नसें हमारे ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम का हिस्सा हैं, जो दिल की धड़कन, सांस, पाचन आदि पर नजर रखते हैं। जब इनमें किसी वजह से हल्की सी गड़बड़ी या उत्तेजना होती है, तो डायाफ्राम में अचानक सिकुड़न होती है और हिचकी आ जाती है।
कहावतों में चाहे इसे “याद करने” से जोड़ा जाए, लेकिन विज्ञान साफ कहता है कि हिचकी का यादों से कोई वास्ता नहीं। हालांकि मनोवैज्ञानिक तौर पर जब हम किसी का नाम लेने लगते हैं, तो दिमाग का ध्यान डायवर्ट होता है, जिससे हमारी नर्वस एक्टिविटी शांत हो जाती है, और हिचकी रुक सकती है। यही वजह है कि दादी-नानी के नुस्खों में किसी का नाम लेने, गहरी सांस लेने, या पानी पीने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह सब दिमाग को थोड़ा डिस्ट्रैक्ट कर देते हैं, और डायाफ्राम की अचानक मसल्स मूवमेंट को रोकते हैं।