हिमाचल प्रदेश के नए औद्योगिक क्षेत्र वाकनाघाट में उद्योग विभाग ने प्लॉट आवंटन की प्रक्रिया पूरी कर ली है। इस क्षेत्र में दवाओं और कलपुर्जों के निर्माण से जुड़ी यूनिटें स्थापित की जा रही हैं। उद्योगों के शुरू होने से स्थानीय युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
शिमला: हिमाचल प्रदेश में औद्योगिकरण को नई रफ्तार मिलने जा रही है। प्रदेश के नए औद्योगिक क्षेत्र वाकनाघाट में उद्योग विभाग ने प्लॉट आवंटन की प्रक्रिया पूरी कर ली है। यहां फार्मा और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की कई यूनिट्स स्थापित की जा रही हैं। विशेष रूप से दवाइयों और कलपुर्जों का उत्पादन यहां होगा, जिससे न केवल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी बल्कि युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी प्राप्त होंगे।
बुनियादी सुविधाओं का विकास
वाकनाघाट औद्योगिक क्षेत्र के बसने से हजारों युवाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। रोजगार सृजन के साथ ही यह क्षेत्र हिमाचल की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देगा। उद्योग विभाग का मानना है कि जैसे-जैसे यहां अधिक यूनिट्स शुरू होंगी, वैसे-वैसे राज्य की बेरोजगारी दर में कमी आएगी। युवा अब स्थानीय स्तर पर ही रोजगार पा सकेंगे, जिससे उन्हें बाहर दूसरे राज्यों में पलायन नहीं करना पड़ेगा।
उद्योग विभाग की ओर से इस औद्योगिक क्षेत्र को बेहतर सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है। प्लॉट्स तक सड़क मार्ग को दुरुस्त किया गया है ताकि सामान की आवाजाही में कोई कठिनाई न हो। क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट्स लगाई गई हैं, जिससे सुरक्षा और सुविधा दोनों सुनिश्चित हों। बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है ताकि आने वाले समय में यहां बड़े पैमाने पर औद्योगिक गतिविधियां संचालित हो सकें।
सात उद्योगपतियों ने खरीदे प्लॉट
अब तक वाकनाघाट औद्योगिक क्षेत्र में सात उद्योग मालिकों ने प्लॉट खरीदे हैं। इनमें से चार यूनिट्स ने उत्पादन शुरू कर दिया है, जबकि एक अन्य उद्योग ने यूनिट स्थापित कर दी है और अगले एक महीने में उत्पादन आरंभ हो जाएगा। बाकी प्लॉट्स पर भी यूनिट्स की स्थापना का कार्य तेज गति से चल रहा है। यहां स्थापित होने वाले उद्योगों में दवाइयों के अलावा कलपुर्जों का निर्माण भी होगा। इससे वाकनाघाट न केवल प्रदेश बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना सकेगा।
वाकनाघाट औद्योगिक क्षेत्र को प्रथम चरण में 23 प्लॉट्स के साथ विकसित किया गया है। उद्योग विभाग के अनुसार इनमें से लगभग सभी प्लॉट्स आवंटित हो चुके हैं। कुछ कंपनियों ने अपनी उत्पादन क्षमता को ध्यान में रखते हुए एक से अधिक प्लॉट भी लिए हैं।