हिमाचल प्रदेश में मंगलवार को 11 स्थानों पर बादल फटने की घटनाएं हुईं, जिससे बड़े पैमाने पर तबाही मची। इन घटनाओं में 20 मकानों और 15 पशुशालाओं को नुकसान पहुंचा है।
मंडी: हिमाचल प्रदेश एक बार फिर भीषण प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गया है। राज्य के कई हिस्सों में बादल फटने और लगातार भारी बारिश से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। मंडी जिले में मंगलवार को सात स्थानों पर बादल फटने की वजह से 10 लोगों की जान चली गई, जबकि 30 से अधिक लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है, लेकिन बिगड़े हालातों के बीच प्रशासन को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
प्रदेश में अभी तक 406 सड़कें बंद पड़ी हैं, जिससे कई इलाकों का संपर्क टूट गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आपदा के बाद 500 करोड़ रुपये से अधिक नुकसान का आकलन किया है और प्रभावित क्षेत्रों में राहत व पुनर्वास कार्यों को तेज करने के निर्देश जारी किए हैं।
मंडी में सबसे ज्यादा तबाही
मंडी जिले के गोहर, करसोग, थुनाग और धर्मपुर इलाकों में बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं। स्यांज क्षेत्र में ज्यूणी खड्ड का पानी रिहायशी इलाकों में घुस गया, जिससे दो मकान बह गए और नौ लोग लापता हो गए। इनमें से देवकू देवी का शव देहरा इलाके में और उमा देवी का शव जोगिंद्रनगर में बरामद किया गया। शेष लोगों की तलाश में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें जुटी हैं।
बाड़ा पंचायत में मलबे में दबकर एक मां-बेटे की मौत हो गई, जबकि चार लोगों को तीन घंटे के ऑपरेशन के बाद सुरक्षित निकाला गया। परवाड़ा गांव में मां, बेटा और बहू तेज नाले में बह गए, जिनमें बेटे का शव बरामद कर लिया गया है, जबकि पांच साल की बच्ची को ग्रामीणों ने बचा लिया। सराज के बगस्याड़, थुनाग और जंजैहली इलाकों में भी बादल फटने से कई मकान ढह गए। एक स्कूल कर्मचारी के परिवार सहित 19 लोग बह गए, जिनमें से चार के शव बरामद कर लिए गए हैं और 15 अभी भी लापता हैं।
जनजीवन पूरी तरह प्रभावित
पूरे मंडी जिले में 24 मकान और 12 पशुशालाएं पूरी तरह जमींदोज हो चुकी हैं। 70 से अधिक मवेशियों की मौत हो चुकी है। बिजली, पानी और संचार सेवाएं पूरी तरह ध्वस्त हैं, खासकर सराज हलके में हालात और खराब हैं। लारजी और डैहर पावर हाउस में बिजली उत्पादन 28 घंटे से बंद पड़ा है। सड़क नेटवर्क भी ध्वस्त हो गया है। कीरतपुर-मनाली फोरलेन पर झलोगी के पास मलबा आने से 1000 से ज्यादा वाहन फंसे रहे, वहीं पठानकोट-मंडी फोरलेन पर बिजणी सुरंग के पास भूस्खलन से निर्माणाधीन स्ट्रक्चर को गंभीर नुकसान पहुंचा है।
मंडी शहर में ब्यास नदी का जलस्तर बढ़कर 1.63 लाख क्यूसेक तक पहुंच गया, जिससे निचले इलाकों में पानी भर गया और लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट करना पड़ा।
ऊना, सोलन और कांगड़ा में भी आफत
ऊना जिले के बसाल गांव में पांच प्रवासी मजदूर स्वां नदी में मछली पकड़ते हुए फंस गए, जिन्हें पुलिस ने दो घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सुरक्षित बाहर निकाला। सोलन शहर में कोटलानाला के पास निर्माणाधीन भवन पर पहाड़ी दरकने से मजदूरों में दहशत फैल गई, लेकिन किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
कालका-शिमला रेलमार्ग भी प्रभावित हुआ। सोलन और सलोगड़ा के बीच भूस्खलन से रेलवे ट्रैक पर मलबा आने के कारण ट्रेनों का आवागमन घंटों बाधित रहा। रेलवे कर्मचारियों ने पत्थर हटाकर पटरियां साफ कीं, जिसके बाद ट्रेनों को धीरे-धीरे रवाना किया गया।
मौसम विभाग की चेतावनी
मौसम विभाग ने तीन जुलाई तक प्रदेश में भारी बारिश की चेतावनी दी है। 4 और 5 जुलाई को भी कई जिलों में मूसलधार बारिश का पूर्वानुमान है। खासकर कांगड़ा, सोलन, मंडी, ऊना, शिमला और सिरमौर जिलों में अति भारी वर्षा की आशंका जताई गई है। जुलाई माह में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना बताई गई है।
सरकार की तैयारियां
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार हर आपदाग्रस्त परिवार के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा, हमारी प्राथमिकता राहत और बचाव है। 287 लोगों को अब तक रेस्क्यू किया गया है। लापता लोगों की खोज के लिए पुलिस, एनडीआरएफ और होमगार्ड के जवानों को तैनात किया गया है। सुक्खू ने अधिकारियों को प्रभावित इलाकों में राहत शिविरों की पर्याप्त व्यवस्था करने और लोगों को जल्द बिजली-पानी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन ने भी लगातार राहत कार्यों की निगरानी कर प्रभावित गांवों का दौरा किया और बताया कि हर जरूरतमंद को तत्काल मदद पहुंचाने की कोशिश हो रही है।