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57 हजार करोड़ के कर्ज के बोझ में जेपी ग्रुप, अब बिकेगी कंपनी

57 हजार करोड़ के कर्ज के बोझ में जेपी ग्रुप, अब बिकेगी कंपनी

जेपी ग्रुप की प्रमुख इकाई जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) को खरीदने की प्रक्रिया तेज हो गई है। कंपनी के अधिग्रहण के लिए पांच दिग्गज कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। 

नई दिल्ली: देश की जानी-मानी इंफ्रास्ट्रक्चर और सीमेंट कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) इन दिनों अपनी सबसे मुश्किल घड़ी से गुजर रही है। करीब 57,185 करोड़ रुपये के भारी-भरकम कर्ज के बोझ तले दबी यह कंपनी अब बिकने की कगार पर है। इस संकटग्रस्त कंपनी को खरीदने के लिए कई बड़े कॉर्पोरेट घराने सामने आए हैं और पांच दिग्गज कंपनियों ने आधिकारिक रूप से बोली भी लगा दी है।

सूत्रों के अनुसार, अडानी एंटरप्राइजेज, वेदांता, डालमिया भारत सीमेंट, जिंदल पावर और पीएनसी इन्फ्राटेक ने जेएएल को खरीदने की दौड़ में हिस्सा लिया है। हालांकि कंपनी की तरफ से अभी इन नामों की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन इस बात की जानकारी संबंधित प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों ने दी है।

जेएएल को 3 जून 2024 को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की इलाहाबाद बेंच ने कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) के लिए मंजूरी दी थी। कंपनी समय पर कर्ज नहीं चुका सकी और इसके बाद इसे दिवाला कानून के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ा। कंपनी के खिलाफ 57,185 करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज का दावा बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों ने किया है।

अप्रैल में आई थीं 25 कंपनियों की रुचि

अप्रैल 2025 में जब जेएएल को लेकर समाधान योजना का प्रस्ताव मांगा गया था, तब देश की लगभग 25 कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी। लेकिन जब बयाना राशि जमा कराने और नियमों के अनुसार बोली लगाने की बारी आई, तो इनमें से सिर्फ पांच ही कंपनियां मैदान में टिक सकीं।

जेपी ग्रुप की एक और कंपनी जेपी इन्फ्राटेक पहले ही दिवाला प्रक्रिया का सामना कर चुकी है और उसे सुरक्षा ग्रुप ने खरीदा था। अब जेएएल की बारी है, और इस बार मुकाबला काफी रोमांचक माना जा रहा है क्योंकि इसमें अडानी, वेदांता और जिंदल जैसे दिग्गज शामिल हैं।

कंपनी का कारोबार कई सेक्टरों में फैला

जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड का कारोबार सिर्फ एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। कंपनी की मौजूदगी रियल एस्टेट, सीमेंट निर्माण, होटल इंडस्ट्री, इंजीनियरिंग और निर्माण के क्षेत्र में है। यही वजह है कि इसे खरीदने की होड़ मची हुई है क्योंकि जो भी कंपनी इसे हासिल करेगी, उसे एक साथ कई क्षेत्रों में विस्तार का मौका मिलेगा।

जेएएल के पास नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जेपी ग्रीन्स और जेपी विशटाउन जैसी प्रीमियम रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स हैं। इसके अलावा ग्रेटर नोएडा स्थित जेपी इंटरनेशनल स्पोर्ट्स सिटी भी कंपनी की बड़ी संपत्तियों में शामिल है। साथ ही दिल्ली-एनसीआर, मसूरी और आगरा जैसे शहरों में इसके होटल और वाणिज्यिक संपत्तियां भी हैं।

कभी प्रमुख रहा सीमेंट व्यापार अब बंद पड़ा है

जेएएल के पास उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में चार सीमेंट प्लांट्स हैं और एमपी में चूना पत्थर की कुछ खदानें भी हैं, जो सीमेंट उत्पादन में इस्तेमाल होती हैं। हालांकि इन प्लांट्स में अभी उत्पादन बंद है, लेकिन जानकारों का कहना है कि इन परिसंपत्तियों को फिर से चालू किया जाए तो ये फायदे का सौदा साबित हो सकती हैं।

डालमिया सीमेंट और वेदांता जैसी कंपनियां इसी संभावना को देखते हुए जेएएल की परिसंपत्तियों में रुचि दिखा रही हैं। उन्हें उम्मीद है कि सीमेंट सेक्टर में मांग बढ़ने के साथ यह निवेश लंबी अवधि में मुनाफा दिला सकता है।

कर्ज की वसूली के लिए जुटी एसीएलनएआर

जेपी एसोसिएट्स के कर्ज को नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (एनएआरसीएल) ने खरीद लिया है। एनएआरसीएल, जिसे बैड बैंक के नाम से भी जाना जाता है, इस पूरी प्रक्रिया का नेतृत्व कर रहा है। बैंक ऑफ इंडिया और एसबीआई जैसे बड़े बैंक जेएएल के प्रमुख लेनदारों में शामिल हैं।

बोली लगाने की आखिरी तारीख 24 जून तय की गई थी और उसी दिन इन कंपनियों की बोली खोलने के लिए ऋणदाताओं की बैठक भी हुई। अब बारी है इन प्रस्तावों का मूल्यांकन करने की ताकि यह तय हो सके कि जेएएल के लिए सबसे बेहतर समाधान कौन पेश कर रहा है।

क्यों बढ़ रही है जेएएल में खरीददारों की दिलचस्पी

जयप्रकाश एसोसिएट्स के पास जो रियल एस्टेट और अन्य संपत्तियां हैं, वो देश के प्रमुख इलाकों में स्थित हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे इलाकों में जहां रियल एस्टेट की मांग हमेशा बनी रहती है, वहां इस तरह की प्रॉपर्टी खरीदना कंपनियों के लिए बड़ा अवसर है। इसके अलावा कंपनी की होटल चेन और औद्योगिक संपत्तियां भी निवेशकों के लिए लाभदायक साबित हो सकती हैं।

जिंदल पावर जैसी कंपनी के लिए ये परिसंपत्तियां भविष्य में उनके ऊर्जा प्रोजेक्ट्स के लिए भी उपयोगी हो सकती हैं। वहीं अडानी एंटरप्राइजेज जैसी कंपनी जो देशभर में इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर ऊर्जा और खनन तक फैले हुए कारोबार कर रही है, वो जेएएल के ज़रिए अपने विस्तार को और गति दे सकती है।

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