अनुपम खेर ने 23 साल बाद 'ओम जय जगदीश' के फ्लॉप अनुभव के बाद डायरेक्शन में वापसी की है और इस बार उन्होंने एक बेहद इमोशनल और संवेदनशील विषय को चुना है।
- Movie Review : तन्वी द ग्रेट
- कलाकार : अनुपम खेर , शुभांगी दत्त , बोमन ईरानी , पल्लवी जोशी , जैकी श्रॉफ , इयान ग्लेन , करण टैकर और अरविंद स्वामी
- लेखक : अभिषेक दीक्षित , अनुपम खेर और सुमन अंकुर
- निर्देशक : अनुपम खेर
- निर्माता : अनुपम खेर
- रिलीज : 18 जुलाई 2025
- रेटिंग : 2.5/5
Tanvi The Great Review: अनुपम खेर 23 साल बाद निर्देशक के तौर पर फिल्म 'तन्वी: द ग्रेट' के साथ वापसी कर चुके हैं। साल 2002 में उनकी पहली फिल्म 'ओम जय जगदीश' बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप हो गई थी, जिसके बाद अनुपम ने डायरेक्शन से दूरी बना ली थी। लेकिन इस बार वे अपने दिल के बेहद करीब विषय के साथ लौटे हैं। फिल्म की कहानी उनकी ही भांजी तन्वी की रियल लाइफ से इंस्पायर्ड है, जो ऑटिज्म से जूझती हैं।
फिल्म की कहानी
'तन्वी: द ग्रेट' की कहानी 21 साल की तन्वी (शुभांगी दत्त) के इर्द-गिर्द घूमती है। तन्वी ऑटिज्म से ग्रसित हैं और अपनी मां विद्या (पल्लवी जोशी) के साथ रहती हैं। विद्या पेशे से ऑटिज्म एक्सपर्ट हैं और कुछ समय के लिए अमेरिका जाती हैं। इस दौरान तन्वी को अपने नाना कर्नल प्रताप रैना (अनुपम खेर) के पास छोड़ जाती हैं। तन्वी को यहां पता चलता है कि उनके शहीद पिता कैप्टन समर रैना का सपना था कि वह सियाचिन ग्लेशियर पर तिरंगा फहराएं।
फिल्म की कहानी इसी संघर्ष और तन्वी की हिम्मत की यात्रा के इर्द-गिर्द बुनी गई है। कैसे एक ऑटिज्म पीड़ित लड़की अपने पिता के सपनों को सच करने निकल पड़ती है, यही फिल्म की आत्मा है।
एक्टिंग
फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष इसकी परफॉर्मेंस है। शुभांगी दत्त ने अपने डेब्यू में ऐसा शानदार अभिनय किया है कि एक भी फ्रेम में ये नहीं लगता कि वह पहली बार कैमरे के सामने आई हैं। उनकी मासूमियत, दर्द और जुनून पर्दे से झलकता है। अनुपम खेर इस फिल्म की जान हैं। उन्होंने एक सख्त मगर दिल के बेहद नरम नाना के किरदार को पूरी ईमानदारी से निभाया है।
करण टैकर ने भी अच्छा अभिनय किया है। पल्लवी जोशी, जैकी श्रॉफ, अरविंद स्वामी और बोमन ईरानी अपने-अपने किरदारों में फिट नजर आते हैं। इयान ग्लेन और नास्सर जैसे विदेशी कलाकारों के कैमियो में कुछ खास करने के लिए ज्यादा स्कोप नहीं था।
डायरेक्शन और स्क्रीनप्ले
फिल्म में अनुपम खेर की सोच और भावनाएं साफ झलकती हैं। उन्होंने इस संवेदनशील विषय को बड़े दिल से दिखाया है। लेकिन निर्देशन के मामले में वह अब भी परिपक्व नहीं लगे। फिल्म कई जगहों पर बहुत धीमी हो जाती है। कई सीन जबरदस्ती खींचे गए लगते हैं। कुछ इमोशनल सीन इतने दिल छूने वाले हैं कि आंखों में आंसू आ सकते हैं, वहीं कुछ सीन बेसिर-पैर के और अविश्वसनीय लगते हैं।
फिल्म का वीएफएक्स बेहद कमजोर है। एक सीन में जब ट्रक खाई में गिरता है और उसमें आग लगती है तो दर्शक उसे देखकर हंस पड़ते हैं। यह फिल्म भले ही इमोशनल ड्रामा हो, लेकिन टेक्निकल क्वालिटी पर ध्यान देना जरूरी था। फिल्म का संगीत इसकी सबसे कमजोर कड़ी है। गाने लंबे और स्लो हैं, लिरिक्स थोड़े रॉ और अटपटे लगते हैं। 'सेना की जय...' थोड़ा बेहतर है, लेकिन बाकी गाने कहानी की रफ्तार को और धीमा कर देते हैं। ऐसा लगता है जैसे ये फिल्म बच्चों के लिए बनाई गई हो।
देखें या नहीं?
अगर आप इमोशनल, इंस्पिरेशनल और फैमिली ड्रामा पसंद करते हैं तो 'तन्वी: द ग्रेट' एक बार देखा जा सकता है, खासकर बच्चों के लिए। फिल्म समाज को यह संदेश देती है कि कोई भी कमी सपनों के रास्ते की रुकावट नहीं है। हालांकि फिल्म में कई जगह रीयलिटी से हटकर बातें दिखाई गई हैं, इसलिए आपको थोड़ी सहनशीलता के साथ इसे देखना होगा।