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Sawan 2025: भगवान विष्णु ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए पढ़ा था ये रहस्यमयी मंत्र

Sawan 2025: भगवान विष्णु ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए पढ़ा था ये रहस्यमयी मंत्र

सावन का पावन महीना जब शुरू होता है, तो हर शिव भक्त के दिल में भक्ति की गंगा बहने लगती है। मंदिरों में भोलेनाथ की आरती, जलाभिषेक और रुद्राभिषेक जैसे अनुष्ठानों का सिलसिला शुरू हो जाता है। यह माह शिव उपासना का सबसे महत्वपूर्ण समय माना जाता है। सावन सोमवार, कांवड़ यात्रा, बेल पत्र अर्पण जैसे कई धार्मिक कर्मों के साथ भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। लेकिन इस माह से जुड़ा एक प्राचीन रहस्य भी है, जिसे जानना हर शिव भक्त के लिए खास हो सकता है। यह रहस्य है एक ऐसे दिव्य मंत्र का, जिसे खुद भगवान विष्णु ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए उच्चारित किया था।

वह मंत्र जो स्वयं विष्णु ने शिवजी के लिए पढ़ा था

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब-जब भगवान विष्णु किसी संकट में होते थे या उन्हें शिवजी की कृपा की आवश्यकता होती थी, तब वे एक विशेष मंत्र का जाप करते थे। यह मंत्र भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है और उन्हें प्रसन्न करने का अचूक माध्यम माना जाता है। वह मंत्र है:

“कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि॥”

यह मंत्र कई ग्रंथों और स्तुतियों में वर्णित है और इसकी शक्ति को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। माना जाता है कि इस मंत्र का उच्चारण करने मात्र से शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।

विष्णु और शिव के बीच आपसी श्रद्धा का प्रतीक

हिंदू धर्म में शिव और विष्णु को परस्पर पूरक देवता माना गया है। कई जगहों पर ये एक-दूसरे के प्रति भक्ति और सम्मान प्रदर्शित करते हुए दिखते हैं। विष्णु पुराण, शिव पुराण और पद्म पुराण जैसे ग्रंथों में इसके उदाहरण मिलते हैं, जहां विष्णुजी ने शिवजी की स्तुति की है।

कहा जाता है कि जब एक बार भगवान विष्णु ने त्रैलोक्य की रक्षा के लिए शिवजी की सहायता चाही, तब उन्होंने इस मंत्र का जाप किया था। मंत्र की शक्ति और सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें आशीर्वाद दिया था। यह मंत्र तब से लेकर आज तक शिवभक्तों के लिए एक दिव्य साधना बन गया है।

मंत्र के हर शब्द का है विशेष अर्थ

इस मंत्र में हर शब्द भगवान शिव के एक खास रूप या गुण को दर्शाता है। आइए सरल भाषा में समझते हैं इस मंत्र की गहराई

  • कर्पूरगौरं: इसका अर्थ है – जो कपूर की तरह उज्जवल और गोरे हैं। यह शब्द शिवजी की पवित्रता और शुद्ध रूप को दर्शाता है।
  • करुणावतारं: यानी वे करुणा के अवतार हैं। शिवजी की दया और सहनशीलता का यह स्पष्ट परिचय है। वे सृष्टि के हर जीव पर दया रखने वाले देव हैं।
  • संसारसारम्: इसका अर्थ है – जो इस संसार का सार हैं। शिवजी को संहारक तो माना ही जाता है, लेकिन वे ही इस जगत की वास्तविकता भी हैं।
  • भुजगेन्द्रहारम्: यानी जो नागराज (शेषनाग) को हार की तरह गले में धारण किए हुए हैं। यह शिवजी के वैराग्य और निर्भयता का प्रतीक है।
  • सदा वसन्तं हृदयारविन्दे: इसका मतलब है – जो सदा भक्तों के हृदय कमल में वास करते हैं। यह उनके भक्तों से प्रेम को दर्शाता है।
  • भवं भवानीसहितं नमामि: अंत में इस मंत्र में भक्त शिवजी को माता पार्वती (भवानी) के साथ नमन करता है। यह शिव-पार्वती के अद्वितीय मिलन की महिमा को दर्शाता है।

सावन में इस मंत्र का जाप क्यों है खास

सावन का महीना शिवजी की भक्ति का सर्वोत्तम समय माना जाता है। ऐसे में इस दिव्य मंत्र का जाप करना पुण्यदायी और फलदायी माना गया है। यह मंत्र ध्यान, जप और पूजा के समय पढ़ा जाता है। कई लोग इसे रात्रि में सोते समय या सुबह पूजा के दौरान भी पढ़ते हैं। इस मंत्र के माध्यम से ना सिर्फ शिवजी को नमन किया जाता है, बल्कि उनके दिव्य गुणों की याद भी ताज़ा होती है।

पौराणिक कथाओं में इस मंत्र की झलक

कई कहानियां इस बात की पुष्टि करती हैं कि जब भी भगवान विष्णु किसी मुश्किल में होते थे, तो वे इस मंत्र को पढ़ते थे और भगवान शिव से सहायता प्राप्त करते थे। एक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब कालकूट विष निकला था, तब सभी देवता भयभीत हो गए थे। उस समय विष्णु जी ने शिवजी की आराधना इस मंत्र से की थी, जिसके बाद भोलेनाथ ने विषपान कर सभी की रक्षा की थी।

शिव-पार्वती के समर्पण का भी है संकेत

इस मंत्र में ‘भवं भवानीसहितं’ शब्द इस बात को दर्शाता है कि शिवजी को माता पार्वती के साथ ही पूजा जाए तो उनका आशीर्वाद और अधिक प्रभावशाली होता है। सावन के महीने में विशेषकर शिव-पार्वती की युगल पूजा का महत्व भी इसी कारण है। यह मंत्र उस दिव्य युगल के मिलन और शक्ति का स्मरण भी कराता है।

सावन 2025 में यह मंत्र क्यों बन सकता है हर शिवभक्त की धड़कन

सावन 2025 की शुरुआत 11 जुलाई से हुई है और 9 अगस्त तक चलेगी। इस पूरे माह में सोमवार व्रत, कांवड़ यात्रा और विशेष रुद्राभिषेक जैसे अनुष्ठान किए जा रहे हैं। ऐसे समय में अगर कोई शिवभक्त इस मंत्र का नियमित जाप करता है, तो इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। यह न सिर्फ आत्मिक शांति देता है, बल्कि शिवजी की विशेष कृपा भी प्राप्त कराता है।

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