स्वतंत्रता दिवस पर जावेद अख्तर ने जब देशवासियों को शुभकामनाएं दीं, तो एक ट्रोल ने उन्हें पाकिस्तानी नागरिक बताकर ताना मारा। इस पर गुस्से में राइटर ने करारा जवाब देते हुए कहा कि उनके पूर्वज आज़ादी के लिए जेल और काला पानी में शहीद हुए थे। उनका यह जवाब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
जावेद अख्तर ट्रोल विवाद: स्वतंत्रता दिवस पर मशहूर गीतकार और लेखक जावेद अख्तर ने सोशल मीडिया पर एक भावनात्मक पोस्ट साझा किया। इस पर एक यूजर ने उन्हें पाकिस्तानी नागरिक बताते हुए 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाने की नसीहत दी। इस कमेंट पर अख्तर भड़क गए और उन्होंने ट्रोल को करारा जवाब दिया, जिसमें अपने पूर्वजों के स्वतंत्रता संग्राम में दिए योगदान का भी जिक्र किया।
जावेद अख्तर का स्वतंत्रता दिवस संदेश
स्वतंत्रता दिवस पर जावेद अख्तर ने अपने दिल की बात रखते हुए लिखा –
'मेरे सभी भारतीय बहनों और भाइयों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह आज़ादी हमें थाली में परोसी नहीं गई। आज हमें उन लोगों को याद करना चाहिए और उन्हें नमन करना चाहिए, जिन्होंने हमें आज़ादी दिलाने के लिए जेल की यातनाएं सही और फांसी तक पर चढ़ गए। आइए, हम यह सुनिश्चित करें कि हम इस अनमोल उपहार को कभी न गंवाएं।'
उनका यह पोस्ट देशभक्ति से भरा हुआ था और हजारों लोगों ने इसे पसंद भी किया। लेकिन कुछ ट्रोलर्स को यह नागवार गुज़रा और उन्होंने जावेद अख्तर पर व्यक्तिगत हमले करने शुरू कर दिए।
ट्रोल्स पर भड़के जावेद अख्तर, दिया करारा जवाब
एक यूज़र ने उनकी पोस्ट पर कमेंट करते हुए लिखा –
'आपका स्वतंत्रता दिवस तो 14 अगस्त है, 15 अगस्त नहीं।'
यह कमेंट साफतौर पर उन्हें पाकिस्तानी नागरिक बताने का इशारा कर रहा था। इतना ही नहीं, ट्रोल ने उन्हें 'गद्दार' तक कह दिया।
जावेद अख्तर ने भी गुस्से में जवाब देते हुए लिखा –
'बेटा, जब तुम्हारे बाप-दादा अंग्रेज़ों के जूते चाट रहे थे, तब मेरे बुजुर्ग देश की आज़ादी के लिए काला पानी की सजा भुगत रहे थे। अपनी औकात में रहो।'
उनका यह जवाब देखते ही देखते वायरल हो गया और हजारों लोगों ने उनका समर्थन करना शुरू कर दिया।
कौन थे जावेद अख्तर के पूर्वज?
बहुत से लोग शायद यह नहीं जानते कि जावेद अख्तर का परिवार लंबे समय से साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा रहा है। उनके परदादा फजल-ए-हक खैराबादी 1857 के विद्रोह में शामिल हुए थे। खैराबादी एक जाने-माने विद्वान और क्रांतिकारी थे, जिन्होंने ब्रिटिश सरकार का विरोध किया था। इसके कारण उन्हें अंडमान की कुख्यात सेल्युलर जेल (काला पानी) की सजा मिली, जहां उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।
यानी, जावेद अख्तर का स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ाव केवल शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके खून में ही देशभक्ति है।
'गद्दार' कहे जाने पर भी दिया जवाब
ट्रोलर्स ने जब उन्हें 'गद्दार' कहा तो जावेद अख्तर और भी सख्त हो गए। उन्होंने लिखा –
'गद्दार वो हैं जो नॉन-कोऑपरेशन मूवमेंट और क्विट इंडिया मूवमेंट के खिलाफ खड़े थे। गद्दार वो हैं जिन्होंने अंग्रेजों का साथ दिया। गद्दार वो हैं जो तिरंगे और संविधान के विरोधी थे। जरा इतिहास पढ़ लो और पता करो कि वो लोग कौन थे। अपनी जहालत (अज्ञानता) थोड़ी कम करो।'
उनका यह बयान ट्रोलर्स के लिए किसी करारे तमाचे से कम नहीं था।
सोशल मीडिया पर समर्थन
जावेद अख्तर के जवाब ने सोशल मीडिया पर एक नई बहस छेड़ दी। जहां कुछ लोग उन्हें ट्रोल कर रहे थे, वहीं अधिकतर यूज़र्स उनके समर्थन में उतर आए। लोगों का कहना है कि स्वतंत्रता दिवस जैसे मौके पर नफरत फैलाने के बजाय एकता और भाईचारे का संदेश दिया जाना चाहिए।
कई यूज़र्स ने लिखा कि जावेद अख्तर जैसे लोगों ने हमेशा भारत के लिए अपनी कलम और आवाज का इस्तेमाल किया है। उनका गीत लेखन हो या विचार, हमेशा उसमें देश और समाज की झलक मिलती है।