निर्देशक रोहन सिप्पी एक बार फिर अपने क्राइम थ्रिलर अंदाज में लौट आए हैं। ‘क्रिमिनल जस्टिस’, ‘मिथ्या’ और ‘दुरंगा’ जैसी चर्चित वेब सीरीज के बाद अब वह अपनी नई सीरीज ‘सर्च: द नैना मर्डर केस’ लेकर आए हैं।
- वेब सीरीज रिव्यू: सर्च - द नैना मर्डर केस
- ऐक्टर: कोंकणा सेन शर्मा,सूर्या शर्मा,शिव पंडित,श्रद्धा दास,ध्रुव सहगल,गोविंद नामदेव
- श्रेणी: Hindi, Crime, Thriller
- डायरेक्टर: रोहन सिप्पी
- रेटिंग: 2.5/5
एंटरटेनमेंट न्यूज़: भारतीय डिजिटल स्पेस में पिछले कुछ सालों में क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज का क्रेज बढ़ा है। क्रिमिनल जस्टिस, मिथ्या और दुरंगा जैसी सीरीज ने दर्शकों के बीच एक खास जगह बनाई है। इन सभी का एक कॉमन लिंक है — डायरेक्टर रोहन सिप्पी। अब वे इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए लेकर आए हैं अपनी नई सीरीज ‘सर्च: द नैना मर्डर केस’, जो 2007 में रिलीज हुई मशहूर डैनिश सीरीज ‘द किलिंग’ का भारतीय रूपांतरण (Indian Adaptation) है।
यह सीरीज एक युवती नैना मराठे के रहस्यमयी रेप और मर्डर केस की कहानी है, जिसमें हर किरदार शक के घेरे में आता है और हर एपिसोड नए मोड़ पर खत्म होता है।
कहानी – नैना की मौत और सच की तलाश
कहानी की शुरुआत होती है एक होनहार कॉलेज छात्रा नैना मराठे की हत्या से। इस केस की जिम्मेदारी दी जाती है एसीपी संयुक्ता दास (कोंकणा सेन शर्मा) को, जो एक समझदार, दृढ़ और सेंसिटिव पुलिस ऑफिसर हैं। संयुक्ता अपनी निजी जिंदगी और प्रोफेशनल जिम्मेदारियों के बीच तालमेल बिठाने की कोशिश कर रही हैं। वह अहमदाबाद ट्रांसफर लेकर अपने परिवार के करीब जाना चाहती हैं, लेकिन नैना की हत्या का केस उन्हें रोक लेता है।
दूसरी ओर नए एसीपी जय कंवल (सूर्या शर्मा) की एंट्री होती है, जो संयुक्ता से लगातार टकराता है। उनके बीच की ईगो क्लैश और प्रोफेशनल राइवलरी कहानी को दिलचस्प बनाती है।
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती है, शक की सुई नैना के दोस्तों, उसके एक्स बॉयफ्रेंड, कॉलेज के टीचर और एक यूथ पॉलिटिकल लीडर तुषार सुर्वे (शिव पंडित) पर घूमती रहती है। मगर हर एपिसोड के बाद मामला और उलझता चला जाता है। सीरीज का अंत भी सस्पेंस के साथ होता है, क्योंकि असली कातिल का खुलासा अगले सीजन के लिए छोड़ दिया गया है।
निर्देशन और पटकथा
रोहन सिप्पी का निर्देशन हमेशा से यथार्थवादी और सूक्ष्म रहा है, और ‘सर्च: द नैना मर्डर केस’ में भी वही झलकता है। उन्होंने सिर्फ एक मर्डर मिस्ट्री नहीं बनाई, बल्कि इसके जरिए समाज में व्याप्त महिला पुलिस अधिकारियों के प्रति भेदभाव, मेल ईगो, और वर्क-लाइफ बैलेंस जैसे विषयों को भी बड़ी सहजता से उठाया है।
कहानी की रफ्तार हालांकि थोड़ी धीमी है। कई बार जांच की प्रक्रिया लंबी खिंचती है, जिससे थ्रिल कम महसूस होता है। लेकिन सीरीज का माहौल, कैमरा वर्क और बैकग्राउंड म्यूजिक इसे गंभीर और रियलिस्टिक टोन देता है।
एक्टिंग – कोंकणा सेन शर्मा ने फिर रचा कमाल
कोंकणा सेन शर्मा ने एसीपी संयुक्ता के रोल में जान डाल दी है। उन्होंने एक ऐसी औरत का किरदार निभाया है जो ऑफिस और घर दोनों जगह दबाव में है, लेकिन हर बार मजबूती से खड़ी रहती है। उनका किरदार दर्शकों से जुड़ता है और असलियत का एहसास कराता है। सूर्या शर्मा ने जय कंवल के किरदार को बखूबी निभाया है। उनका तुनकमिजाज और बड़बोला नेचर किरदार को असली बनाता है। शिव पंडित एक रहस्यमयी नेता के रूप में शानदार हैं, जबकि श्रद्धा दास (रक्षा के रोल में) अपने सीमित स्क्रीन टाइम में असर छोड़ती हैं।
सीरीज की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी धीमी गति है। इन्वेस्टिगेशन वाले सीन थ्रिलर के बजाय पुलिस प्रोसिजर जैसा महसूस होते हैं। कई सब-प्लॉट्स — जैसे नैना की फैमिली और राजनीतिक षड्यंत्र — को गहराई से दिखाया जा सकता था। और सबसे बड़ी बात, कातिल का सस्पेंस अगले सीजन तक खींचना दर्शकों को थोड़ा निराश करता है।
क्यों देखें
अगर आप क्राइम ड्रामा, इन्वेस्टिगेशन और स्ट्रॉन्ग फीमेल कैरेक्टर वाली सीरीज देखना पसंद करते हैं, तो ‘सर्च: द नैना मर्डर केस’ आपके लिए एक बढ़िया ऑप्शन है। कोंकणा सेन शर्मा की दमदार परफॉर्मेंस, रोहन सिप्पी का संवेदनशील निर्देशन और समाजिक मुद्दों पर सूक्ष्म टिप्पणी इसे एक वॉच-वर्थ सीरीज बनाते हैं।