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Jio-Airtel के रिचार्ज प्लान फिर होंगे महंगे! 10-12% तक बढ़ सकती हैं कीमत

Jio-Airtel के रिचार्ज प्लान फिर होंगे महंगे! 10-12% तक बढ़ सकती हैं कीमत

देश में मोबाइल रिचार्ज प्लान फिर महंगे हो सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, Jio और Airtel की यूजर ग्रोथ और Vodafone Idea की गिरावट से टैरिफ बढ़ाने का सही मौका बन गया है। साल के अंत तक प्लान्स में 10-12% तक बढ़ोतरी हो सकती है। 5G के हिसाब से टियर प्राइसिंग भी शुरू की जा सकती है।

Recharge Plans: अगर आप हर महीने अपना प्री-पेड या पोस्ट-पेड रिचार्ज सस्ते पैक से पूरा कर लेते हैं, तो अब कमर कस लीजिए। टेलीकॉम उद्योग से आ रही ताज़ा हलचलों के मुताबिक रिलायंस जियो और भारती एयरटेल साल 2025 की दूसरी छमाही में एक बार फिर रिचार्ज प्लान की कीमतें 10-12 फ़ीसदी तक बढ़ा सकते हैं। विश्लेषक मानते हैं कि Vodafone Idea की लगातार घटती ग्राहक-संख्या और पाँचवें महीने तक जियो-एयरटेल की तेज़ नेट-ऐडिशन ग्रोथ ने कंपनियों को टैरिफ बढ़ाने का 'परफेक्ट माहौल' दे दिया है।

जियो-एयरटेल को नए ग्राहक मिले, Vi को फिर नुकसान

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) के मई आंकड़ों के अनुसार देश में सक्रिय मोबाइल उपयोगकर्ता 1.08 अरब पर पहुँच गए— यह पिछले 29 महीनों का सर्वोच्च उछाल है। अकेले जियो ने 55 लाख नए ऐक्टिव यूज़र जोड़ कर बाजार-हिस्सेदारी 53 फ़ीसदी कर ली, जबकि एयरटेल ने 13 लाख यूज़र अपनी झोली में डाले। उसी दौरान Vi ने फिर ग्राहक खोए। विश्लेषक फ़र्म Jefferies कहती है, “लीडर्स के पास रेवेन्यू बढ़ाने के दो ही ट्रैक हैं— या तो मूल्य बढ़ाएँ, या फिर सब्सक्राइबर बेस; और जब बेस पहले से चढ़ रहा हो तो कीमतें बढ़ाना ज़्यादा आसान हो जाता है।”

महंगे होंगे हाई-स्पीड और 5G प्लान

याद दिला दें, जुलाई 2024 में कंपनियाँ 11-23 फ़ीसदी तक दाम बढ़ा चुकी हैं। तब ज़्यादातर बेस प्लान 179-199 रुपये से सीधे 209-239 रुपये की रेंज में पहुँच गए थे। एक्सपर्ट्स का आकलन है कि इस बार इज़ाफ़ा तुलनात्मक रूप से छोटा होगा, पर फ़र्क यह रहेगा कि “वन-साइज़ फ़िट्स ऑल” पैक के बजाय टियर-प्राइसिंग लागू होगी:

  • डेटा-केंद्रित यूज़र्स के लिए ज़्यादा स्पीड वाले हाई-कैप पैक महँगे होंगे।
  • बेसिक वॉइस-ओनली या लो-डाटा पैक में मामूली बढ़ोतरी हो सकती है।
  • 5G स्पेशल टॉप-अप— उच्च दर पर, लेकिन अल्ट्रा-लो लेटेंसी और कंटेंट-बंडल के साथ।

इस रणनीति से कंपनियाँ मिड-सेगमेंट व प्रीमियम ग्राहकों से अधिक कमाई करेंगी, जबकि लो-आरपीयू (ARPU) यूज़र पर सीधा बोझ थोड़ा कम पड़ेगा।

5G रोल-आउट का खर्च भी वजह

कंपनियों ने 2024-25 में स्पेक्ट्रम नीलामी, रोल-आउट और बैक-हॉल पर अरबों डॉलर झोंके हैं। जियो-एयरटेल दोनों का लक्ष्य है कि दिसंबर 2025 तक भारत के 90 फ़ीसदी शहरी और 60 फ़ीसदी ग्रामीण क्षेत्र 5G‐रेडी हों। वित्तीय दबाव को देखते हुए ARPU 220-230 रुपये तक पहुँचाना अब उनकी प्राथमिकता है (फिलहाल जियो ~208 रु., एयरटेल ~215 रु.)।

Vodafone Idea की कमजोरी बनी जियो-एयरटेल की ताकत

वी-आई की कमजोर वित्तीय सेहत और नेटवर्क इंवेस्टमेंट में पिछड़ने से उसके मासिक यूज़र बेस में गिरावट जारी है। इसका अर्थ है कि टैरिफ-बढ़ोतरी के बाद भी जियो-एयरटेल को माइग्रेशन रिस्क कम दिखता है, क्योंकि विकल्प सीमित हैं। यही कारण है कि दोनों दिग्गज ‘सहज’ होकर मूल्य सुधार लागू कर सकते हैं।

आपके जेब पर होगा कितना असर?

  • ₹179 का मासिक पैक 10 % बढ़ा तो ~₹199
  • ₹399 का 84-दिन पैक 12 % बढ़ा तो ~₹449
  • प्रीमियम 5G अनलिमिटेड (मान लें ₹799) पर 10 % उछाल, ~₹879

हालाँकि अंतिम तस्वीर कंपनियों की घोषणा के बाद ही साफ़ होगी, पर रेंज इतनी ही मानी जा रही है।

क्या करें ग्राहक?

  • लॉन्ग-टर्म रिचार्ज: अगर आपके पास बजट है, अगले 6-12 महीने के पैक अभी करा लें।
  • डेटा-यूजेज मॉनिटर: बैकग्राउंड डेटा रोकें, ताकि ऊँचे-क्वोटा प्लान लेने की नौबत कम आए।
  • कंबाइंड पैक: OTT या कंटेंट सब्सक्रिप्शन वाले बंडल प्लान चुनें— अलग-अलग सेवा लेने से महँगा पड़ सकता है।
  • ई-वॉलेट कैशबैक: कुछ डिजिटल पेमेंट प्लेटफ़ॉर्म शुरुआती हफ़्तों में कैशबैक ऑफर करते हैं, नज़र रखें।

आगे की राह

टेलीकॉम सेक्टर विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में डेटा की खपत अभी भी तेज़ी से बढ़ रही है— एक रिपोर्ट के मुताबिक औसत उपभोक्ता हर महीने 23 GB डेटा खपा रहा है, जो 5G प्रसार के साथ 2027 तक 40 GB तक जा सकता है। ऐसे में कंपनियों को नेटवर्क-अपग्रेड और कैपिटल रिकवरी दोनों साधने हैं। टैरिफ बढ़ोतरी उस दिशा में स्वाभाविक कदम है, भले ही उपभोक्ता को थोड़ी मार झेलनी पड़े।

मोबाइल सेवाएँ पिछले कुछ सालों में जितनी सस्ती हुई थीं, अब उतनी ही तेज़ी से “दाम समायोजन” का दौर भी लौट रहा है। 5G युग में स्पीड और डेटा क्वॉलिटी बढ़ेगी, पर कीमत भी बढ़ना तय दिख रहा है। ऐसे में समझदारी यही है कि यूज़र अपने खर्च-पैटर्न का जायज़ा लें, ज़रूरत-भर डेटा चुनें और लंबी वैलिडिटी वाले विकल्पों पर ग़ौर करें— क्योंकि आने वाले महीनों में “डाटा का दाम” सचमुच जेब में चुभ सकता है।

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