जयपुर में मीट की दुकानों को बस्तियों से हटाने और उनके बाहर झटका या हलाल लिखना अनिवार्य करने के आदेश ने सियासी विवाद खड़ा कर दिया है। कांग्रेस ने इसे जनता को भटकाने की कोशिश बताया और मेयर पर अधिकारों के दुरुपयोग का आरोप लगाया।
राजस्थान न्यूज़: जयपुर की मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर ने आदेश जारी किया है कि शहर की सभी मीट की दुकानें अब बस्तियों से बाहर लगें और उनके बाहर बड़े अक्षरों में यह स्पष्ट लिखा जाए कि मीट झटका है या हलाल। इस फैसले ने तुरंत राजनीतिक तकरार को जन्म दे दिया। कांग्रेस का कहना है कि मेयर को इस तरह का फरमान जारी करने का कोई अधिकार नहीं है और यह कदम बीजेपी की ओर से जनता का ध्यान असली मुद्दों से हटाने की कोशिश है। मामला अब शहर की राजनीति में गरमाया हुआ है।
बस्तियों से हटेंगी मीट शॉप्स, हलाल-झटका लिखना जरूरी
राजस्थान की राजधानी जयपुर में ग्रेटर नगर निगम की मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर ने मीट दुकानों को लेकर बड़ा आदेश जारी किया है। इस आदेश के अनुसार, अब रिहायशी बस्तियों में मीट की दुकानें संचालित नहीं होंगी। साथ ही हर दुकान के बाहर बड़े अक्षरों में बोर्ड लगाना अनिवार्य होगा, जिसमें स्पष्ट लिखा होगा कि वहां बिकने वाला मांस हलाल है या झटका। मेयर ने कहा कि यह फैसला ग्राहकों की पारदर्शिता और सुविधा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उनका कहना है कि नॉनवेज खाने वालों को यह जानने का हक है कि वे किस तरह का मांस खा रहे हैं।
नगर निगम प्रशासन ने दुकानदारों को आदेश का पालन करने के लिए सात दिन की मोहलत दी है। इस अवधि के बाद निरीक्षण किया जाएगा और जो दुकानदार नियमों को नहीं मानेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। मेयर का कहना है कि रिहायशी इलाकों में छोटे जानवरों को काटे जाने से स्थानीय लोगों को असुविधा होती है, इसलिए दुकानों को बस्तियों से हटाना जरूरी है।
कारोबारियों ने फैसले का किया समर्थन, लेकिन जताई आपत्ति
जयपुर के मीट कारोबारियों ने इस आदेश पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। अधिकांश दुकानदारों ने कहा है कि उन्हें हलाल और झटका का बोर्ड लगाने पर कोई आपत्ति नहीं है और वे तय समय में इसे लगा देंगे। लेकिन बस्तियों से मीट शॉप्स हटाने के फैसले को लेकर वे सहमत नहीं हैं। उनका तर्क है कि जब अन्य दुकानें उन्हीं इलाकों में चल सकती हैं, तो मीट कारोबार पर ही रोक लगाना अनुचित है। कई दुकानदारों का कहना है कि इस फैसले से उनकी रोज़ी-रोटी पर असर पड़ेगा और व्यापार प्रभावित होगा।
कांग्रेस ने बताया सियासी प्रोपेगेंडा
इस आदेश ने राजनीतिक विवाद को भी जन्म दे दिया है। कांग्रेस ने इसे बीजेपी का राजनीतिक एजेंडा करार दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि मेयर को इस तरह का आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। उनके अनुसार, ऐसे फैसले केवल सरकार के स्तर पर ही लिए जा सकते हैं। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाने के लिए विवादित कदम उठाती रहती है और मीट दुकानों पर जारी यह फरमान भी उसी रणनीति का हिस्सा है।
राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र भी शुरू हो चुका है, ऐसे में यह मुद्दा सदन में भी गूंज सकता है। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह आदेश प्रदेश की सियासत का बड़ा विषय बन सकता है और कांग्रेस इसे और आक्रामक तरीके से उठाएगी।