राज्यसभा सांसद कमल हासन ने शिक्षा को तानाशाही और सामाजिक बेड़ियों को तोड़ने का सबसे मजबूत हथियार बताया। उन्होंने NEET परीक्षा में अवसरों की कमी और सनातन धर्म पर भी विवादास्पद टिप्पणी की।
Kamal Haasan: राज्यसभा सांसद और मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) पार्टी के प्रमुख कमल हासन ने हाल ही में शिक्षा को लेकर एक बड़ा और स्पष्ट संदेश दिया है। चेन्नई में अगरम फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि शिक्षा ही एकमात्र ऐसा हथियार है जिससे तानाशाही, सामाजिक अन्याय और भेदभाव की जंजीरों को तोड़ा जा सकता है।
शिक्षा को बताया सबसे जरूरी औजार
कमल हासन ने अपने भाषण में युवाओं और समाज से अपील करते हुए कहा, "अपने हाथ में कुछ और मत लो, सिर्फ़ शिक्षा लो। इसके बिना हम जीत नहीं सकते, क्योंकि बहुमत तुम्हें हरा सकता है। ज़्यादातर मूर्ख तुम्हें हरा देंगे।" उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें शिक्षा को मजबूती से पकड़ कर रखना चाहिए क्योंकि यही हमारे विकास और अस्तित्व की कुंजी है।
सनातन धर्म को लेकर भी दी विवादित टिप्पणी
हासन के बयान का एक और पहलू खासा चर्चा में है। उन्होंने अपने भाषण में यह भी कहा कि शिक्षा ही वह हथियार है जो तानाशाही और 'सनातन धर्म' जैसी सामाजिक व्यवस्थाओं को तोड़ सकती है। हालांकि, उन्होंने हिंदू धर्म पर सीधा सवाल नहीं उठाया लेकिन उनके बयान से एक वैचारिक बहस जरूर खड़ी हो गई है।

नीट परीक्षा पर भी उठाए सवाल
अपने संबोधन में कमल हासन ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा 'NEET' को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि 2017 में NEET की शुरुआत ने ग्रामीण और आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के अवसरों को कम कर दिया है। उनका मानना है कि यह परीक्षा प्रणाली कई योग्य छात्रों के लिए बाधा बन गई है।
मुख्यमंत्री स्टालिन से की चर्चा
कमल हासन ने बताया कि उन्होंने हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन से मुलाकात की थी। इस दौरान अगरम फाउंडेशन के कार्यों को लेकर उन्होंने विस्तार से चर्चा की। हासन ने कहा, "मैंने मुख्यमंत्री से कहा कि यह एनजीओ किसी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं मांग रहा, बल्कि सिर्फ काम करने की अनुमति चाहता है। मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया है कि इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।"
शिक्षा के साथ बदलाव का आह्वान
अपने भाषण के अंत में हासन ने जोर देकर कहा कि सच्चे नेताओं के कार्यों को भले ही समय रहते पहचान न मिले, लेकिन वे समाज में गहरा असर छोड़ते हैं। उन्होंने कहा, "नेतृत्व का मतलब सिर्फ सत्ता में बने रहना नहीं है, बल्कि बदलाव लाना है। भले ही वह नेता बाद में गुमनाम हो जाए, लेकिन उसका काम हमेशा याद रखा जाएगा।"













