Columbus

कनाडा ने 80% भारतीय छात्रों के स्टूडेंट वीज़ा किए रिजेक्ट, जर्मनी बन रहा पसंदीदा विकल्प

कनाडा ने 80% भारतीय छात्रों के स्टूडेंट वीज़ा किए रिजेक्ट, जर्मनी बन रहा पसंदीदा विकल्प

कनाडा ने 2025 में 80% भारतीय छात्रों के स्टूडेंट वीज़ा रिजेक्ट किए। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने भी वीज़ा प्रक्रिया कड़ी की। छात्र अब जर्मनी और यूरोप के देशों में पढ़ाई के लिए रुचि दिखा रहे हैं।

Canada Visa: 2025 में कनाडा ने भारतीय छात्रों के स्टूडेंट वीज़ा की प्रक्रिया में कड़ाई बढ़ा दी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, लगभग 80 प्रतिशत भारतीय छात्रों के वीज़ा एप्लिकेशन रिजेक्ट किए गए हैं। यह पिछले दशक में सबसे ज्यादा वीज़ा रिजेक्शन माना जा रहा है। कनाडा में शिक्षा और रोजगार के संसाधनों की सीमितता, स्थानीय प्रतिभाओं को प्राथमिकता देने और शिक्षा संस्थानों में उच्च गुणवत्ता बनाए रखने के दबाव के कारण यह कदम उठाया गया है। इस फैसले ने न केवल भारतीय छात्रों बल्कि एशिया और अफ्रीका के अन्य अंतरराष्ट्रीय छात्रों को भी प्रभावित किया है।

कनाडा में वीज़ा प्रक्रिया में कड़ाई

कनाडा सरकार ने स्टूडेंट वीज़ा प्रक्रिया को और सख्त कर दिया है। अब छात्रों को आवेदन के दौरान वित्तीय स्रोत का प्रमाण, स्टडी प्लान, और भविष्य की योजना पेश करना अनिवार्य है। भाषा से जुड़ी प्रक्रिया भी पहले से अधिक कठोर कर दी गई है। इसके अलावा पोस्ट-ग्रेजुएट छात्रों के लिए रोजगार के अवसरों में कटौती की गई है और छात्रों के काम करने की सीमाएँ भी बढ़ाई गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 2025 में कनाडा केवल 4,37,000 स्टडी परमिट जारी करने की तैयारी में है। इनमें 73,000 पोस्ट-ग्रेजुएट, 243,000 ग्रेजुएट और अन्य छात्रों के लिए, और लगभग 120,000 रिन्यूवल और स्कूल छात्रों के लिए होंगे।

इस नीति के चलते कनाडा में भारतीय छात्रों की संख्या घट रही है। 2024 में कुल अंतरराष्ट्रीय छात्रों में केवल 9 प्रतिशत भारतीय छात्र थे, जबकि 2022 में यह आंकड़ा 18 प्रतिशत था। यह दिखाता है कि कनाडा अब भारतीय छात्रों के लिए पहले जैसी आकर्षक जगह नहीं रही।

कनाडा की नीति के पीछे कारण

कनाडा सरकार का कहना है कि यह कदम मनमानी नहीं है। उन्होंने इसे घरेलू आवश्यकताओं और शिक्षण संसाधनों की सीमाओं से जोड़ा है। शिक्षा और रोजगार के संसाधनों की कमी, कमजोर इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्थानीय प्रतिभाओं को अवसर देने की राजनीतिक मांगों के कारण यह फैसला लिया गया।

इस फैसले का असर सीधे छात्रों और संस्थानों दोनों पर पड़ा है। विशेषकर छोटे कॉलेज, जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों की फीस पर निर्भर हैं, वे आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। फीस का मुख्य स्रोत कम होने से कुछ कॉलेज मर्जर या बंद होने की कगार पर हैं।

अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की स्थिति

कनाडा के साथ ही अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने भी भारतीय छात्रों के वीज़ा में सख्ती बढ़ा दी है। अमेरिका में 2023-24 में लगभग 41 प्रतिशत F-1 वीज़ा रिजेक्ट किए गए, जो पिछले दस वर्षों में सबसे अधिक हैं। अमेरिकी इमीग्रेशन और कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) ने अनुपस्थिति और अवैध गतिविधियों के चलते 4,700 से अधिक भारतीय छात्रों के वीज़ा रद्द किए।

सितंबर 2025 से भारतीय छात्रों के लिए अमेरिकी स्टूडेंट वीज़ा पर कुछ प्रतिबंध भी लगाए गए हैं। वहीं ऑस्ट्रेलिया में 2024-25 में 23,500 से अधिक शरण (asylum) आवेदन आए, जिसमें केवल 4,000 को मंजूरी मिली। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के छात्रों पर भी कुछ ऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटीज ने प्रतिबंध लगाए हैं।

जर्मनी बन रहा भारतीय छात्रों की पहली पसंद

कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में वीज़ा कठिन होने के चलते अब जर्मनी भारतीय छात्रों के लिए सबसे आकर्षक विकल्प बन रहा है। जर्मनी में मजबूत इकोनॉमी, पब्लिक-फंडेड यूनिवर्सिटीज और अंग्रेज़ी में पढ़ाई के विकल्प छात्रों को आकर्षित कर रहे हैं। उत्तरी अमेरिका की तुलना में शिक्षा और रहने का खर्च कम होने के कारण जर्मनी में भारतीय छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

जर्मनी के फेडरल स्टेटिस्टिकल ऑफिस के अनुसार, पिछले पाँच सालों में वहां भारतीय छात्रों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। 2023 में लगभग 49,500 भारतीय छात्र थे, जो 2025 में बढ़कर लगभग 60,000 हो गए हैं। टेक्नोलॉजी, मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्र वहां बेहद लोकप्रिय हो रहे हैं।

Leave a comment