आंध्र प्रदेश के कुरनूल में शुक्रवार तड़के हुए दर्दनाक हादसे ने कई जिंदगियों को एक पल में छीन लिया। कावेरी ट्रैवल्स की बस में अचानक लगी आग ने यात्रियों को बाहर निकलने का मौका तक नहीं दिया, जिससे कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई।
कुरनूल: आंध्र प्रदेश के कुरनूल में शुक्रवार तड़के हुई भीषण बस आग दुर्घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। कावेरी ट्रैवल्स की बस में अचानक लगी आग ने यात्रियों को बाहर निकलने का मौका नहीं दिया और इसमें कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई। इस हादसे ने न सिर्फ आम जनता को, बल्कि परिवहन सुरक्षा और नियामक प्रणालियों पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जांच में सामने आया है कि हादसे में शामिल DD01 N9490 नंबर वाली बस ने कई परिवहन नियमों की अनदेखी की थी। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, यह बस मूल रूप से सीटर कोच के रूप में पंजीकृत थी, लेकिन बिना किसी तकनीकी अनुमति और सुरक्षा मानकों के पालन के इसे स्लीपर कोच में बदल दिया गया।
बस का इतिहास और संदिग्ध दस्तावेज
जांच के मुताबिक, यह बस दो मई 2018 को दमन और दीव में खरीदी गई थी। बाद में 29 अप्रैल 2025 को इसका रजिस्ट्रेशन ओडिशा के रायगड़ा आरटीओ में जी बिजया लक्ष्मी के नाम पर ट्रांसफर किया गया। अधिकारियों ने कहा कि यह दस्तावेज़़ उन्हें संदिग्ध लग रहे हैं। हालांकि, आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार बस के पास वैध फिटनेस सर्टिफिकेट (31 मार्च 2027 तक), बीमा और रोड टैक्स थे। लेकिन असली तस्वीर इससे अलग थी। तकनीकी रूप से बस को मूल डिज़ाइन से हटाकर स्लीपर कोच में बदल दिया गया था, जिससे सुरक्षा मानकों का उल्लंघन हुआ।
रायगड़ा परिवहन विभाग के अधिकारियों ने दावा किया कि उन्हें बस को स्लीपर में बदलने की जानकारी नहीं थी और उन्होंने उपलब्ध रिकॉर्ड के आधार पर ही अनुमोदन दिया। वहीं परिवहन विभाग के सूत्रों ने कहा कि कई निजी बस ऑपरेटर अनधिकृत तरीके से वाहनों में बदलाव करते हैं और कुछ मामलों में आरटीए अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आती है।

यात्री सुरक्षा पर उठ रहे सवाल
एपीएसआरटीसी के उपाध्यक्ष व प्रबंध निदेशक च. द्वारका तिरुमला राव ने कहा कि बस बॉडी का निर्माण एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। इसमें वजन संतुलन, आपातकालीन निकास, अग्नि सुरक्षा और सीटों की दूरी जैसे पहलुओं पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कई निजी बस मालिक सीटों के बीच की दूरी घटाकर और अतिरिक्त बर्थ जोड़कर मूल डिज़ाइन में छेड़छाड़ करते हैं। इससे वाहन असंतुलित और असुरक्षित हो जाता है।
उन्होंने कहा, “यात्रियों की सुरक्षा की कीमत पर पैसा कमाया जा रहा है। यह बेहद गंभीर मामला है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के अनधिकृत संशोधन न केवल यात्री जीवन के लिए खतरा हैं, बल्कि बड़े हादसों के पीछे अक्सर नियामकीय विफलताएं भी होती हैं।
दुर्घटना का भयावह दृश्य
एनएच-44 पर हुए इस भीषण हादसे में स्थानीय लोगों और फायर ब्रिगेड ने मौके पर पहुँचकर बचाव कार्य किया। आग इतनी तेज थी कि अधिकांश यात्रियों के लिए बाहर निकलना मुश्किल हो गया। मृतकों में कई लोग अपने घर लौट रहे थे और उनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। जांच अधिकारी घटनास्थल और बस के मलबे का विश्लेषण कर रहे हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट से संकेत मिल रहे हैं कि बस की निर्माण गुणवत्ता और आपातकालीन निकासी मानक पूरी तरह से पालन नहीं किए गए थे।
कुरनूल दुर्घटना ने एक बार फिर निजी बस ऑपरेटरों के अनधिकृत संशोधन और परिवहन सुरक्षा नियमों की अनदेखी को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि तकनीकी नियमों और अनुमतियों का पालन किया जाता, तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था।













