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क्या 55:23:22 से बनेगा परफेक्ट पोर्टफोलियो? जानिए शेयर बाजार में निवेश का नया फॉर्मूला

क्या 55:23:22 से बनेगा परफेक्ट पोर्टफोलियो? जानिए शेयर बाजार में निवेश का नया फॉर्मूला

भारतीय शेयर बाजार में निवेश को लेकर एक नई समझ और रणनीति सामने आई है, जिसे 55:23:22 के फॉर्मूले के रूप में पहचाना जा रहा है। तेजी से बढ़ते डीमैट अकाउंट्स और रिटेल निवेशकों की भागीदारी के बीच यह फॉर्मूला अब उन लोगों के लिए खासा चर्चित हो गया है जो अपने पोर्टफोलियो में लार्ज, मिड और स्मॉल कैप शेयरों को संतुलित तरीके से शामिल करना चाहते हैं।

बीते कुछ महीनों में शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जरूर रहा है, लेकिन उसके बावजूद निवेशकों की संख्या में कमी नहीं आई है। खासकर कोरोना काल के बाद बिहार, झारखंड जैसे राज्यों में रिकॉर्ड संख्या में डीमैट अकाउंट्स खोले गए हैं। हालांकि, बड़ा सवाल यह रहा कि इन नए निवेशकों को स्थायी मुनाफा कैसे मिले। इसी सवाल का जवाब कई एक्सपर्ट 55:23:22 फॉर्मूले में देख रहे हैं।

क्या है 55:23:22 का फॉर्मूला?

यह फॉर्मूला निवेश के पैसों को तीन हिस्सों में बांटने की एक रणनीति है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई निवेशक 1000 रुपये बाजार में लगाना चाहता है, तो इसमें से:

  • 55 प्रतिशत यानी 550 रुपये लार्ज कैप स्टॉक्स में,
  • 23 प्रतिशत यानी 230 रुपये मिड कैप स्टॉक्स में,
  • और 22 प्रतिशत यानी 220 रुपये स्मॉल कैप स्टॉक्स में लगाए।

आनंद राठी के वरिष्ठ विश्लेषक शेनॉय का कहना है कि यह फॉर्मूला निवेशकों को बाजार के तीनों सेगमेंट में संतुलन बनाकर चलने में मदद करता है। लार्ज कैप से स्थिरता मिलती है, मिड कैप से ग्रोथ और स्मॉल कैप से संभावित ऊंचा रिटर्न।

छोटे निवेशकों के लिए भी बना सहारा

देश में बड़ी संख्या में ऐसे निवेशक हैं जो हर महीने सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए थोड़े-थोड़े पैसे निवेश करते हैं। इनके लिए सही एसेट एलोकेशन बेहद जरूरी है ताकि वे जोखिम को कम करते हुए मुनाफा कमा सकें।

शेनॉय का कहना है कि 55:23:22 फॉर्मूला उन लोगों के लिए भी सही है जो हर महीने 5000 या 10000 रुपये जैसे छोटे अमाउंट निवेश करते हैं। इस तरीके से तीनों कैटेगरी को जगह मिलती है और एक असंतुलित पोर्टफोलियो से बचा जा सकता है।

बाजार की चाल और आंकड़ों का बदलता मिजाज

चालू वित्त वर्ष यानी 2024-25 की शुरुआत से ही बाजार में नई तेजी देखने को मिली है। BSE स्मॉल कैप इंडेक्स ने अब तक 17.5 प्रतिशत, मिड कैप ने 14 प्रतिशत और लार्ज कैप ने करीब 10 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की है।

वहीं अगर फरवरी, 2025 की बात करें, तो उस दौरान बाजार में गिरावट का दौर था। उस समय लार्ज कैप में 6.6 प्रतिशत, मिड कैप में 7.1 प्रतिशत और स्मॉल कैप में 15 प्रतिशत तक की गिरावट आई थी। लेकिन अब हालात में सुधार देखा जा रहा है।

विश्लेषकों के मुताबिक, इस साल कंपनियों की आय में सुधार और वैश्विक तनाव में कमी के चलते भारतीय शेयर बाजार को मजबूती मिल रही है।

निवेशकों के व्यवहार में भी आया बदलाव

2020 के बाद से भारतीय निवेशकों का व्यवहार तेजी से बदल रहा है। अब लोग सिर्फ तेजी के वक्त ही निवेश नहीं कर रहे, बल्कि गिरावट के समय भी अपनी रणनीति बनाकर चल रहे हैं। ऐसे में 55:23:22 जैसी रणनीतियां उन्हें लंबे समय तक बाजार में टिके रहने में मदद करती हैं।

एक और अहम बात यह है कि लार्ज कैप स्टॉक्स जैसे रिलायंस, टीसीएस, एचडीएफसी बैंक जैसी कंपनियों में निवेश से स्थिरता मिलती है, वहीं मिड और स्मॉल कैप से बेहतर संभावनाएं मिलती हैं। इस संतुलन के जरिए निवेशक बड़ी गिरावट से बच सकते हैं।

क्यों खास है ये फॉर्मूला

बाजार के जानकारों का मानना है कि 55:23:22 का अनुपात निवेशकों को हर परिस्थिति में टिके रहने की ताकत देता है। बाजार चाहे तेजी में हो या मंदी में, जब पोर्टफोलियो में विविधता होगी तो एक हिस्से की गिरावट को दूसरा हिस्सा संभाल सकता है।

विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि यह फॉर्मूला केवल शुरुआती निवेशकों के लिए नहीं, बल्कि अनुभवी निवेशकों के लिए भी कारगर है। इस मॉडल को अपनाने वाले निवेशक खुद को बेहतर तरीके से जोखिम के लिए तैयार कर सकते हैं।

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