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लोकसभा में डिजिटल बदलाव: सांसद अब ऑनलाइन लगाएंगे उपस्थिति, लाइन में लगने की जरूरत खत्म

लोकसभा में डिजिटल बदलाव: सांसद अब ऑनलाइन लगाएंगे उपस्थिति, लाइन में लगने की जरूरत खत्म

लोकसभा में सांसदों की उपस्थिति अब ऑनलाइन दर्ज होगी। MMD डिवाइस के जरिए सांसद सीट पर बैठकर थंब इम्प्रेशन, पिन या कार्ड से अटेंडेंस लगा सकेंगे। इस नई व्यवस्था से समय बचेगा और प्रक्रिया आसान होगी।

New Delhi: लोकसभा में सांसदों के लिए उपस्थिति दर्ज कराने की प्रक्रिया अब पूरी तरह से डिजिटल हो गई है। अब सांसद अपनी एलॉटेड सीट पर बैठकर ही मल्टीमीडिया डिवाइस (MMD) के ज़रिए ऑनलाइन अटेंडेंस दर्ज करा सकेंगे। यह व्यवस्था इस सत्र से लागू की जा रही है। इससे समय की बचत होगी और प्रक्रिया अधिक सुविधाजनक बनेगी। राज्यसभा में फिलहाल यह सुविधा शुरू नहीं की गई है।

MMD से बदली उपस्थिति की परंपरा

लोकसभा में अब तक सांसदों को हर दिन अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए लाइन में लगकर अटेंडेंस रजिस्टर पर हस्ताक्षर करना होता था। लेकिन अब नई संसद में यह प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल हो गई है। लोकसभा सचिवालय ने इस सत्र से मल्टीमीडिया डिवाइस (MMD) के जरिए सांसदों की उपस्थिति दर्ज करने की नई प्रणाली शुरू कर दी है। यह डिवाइस सांसदों की एलॉटेड सीट पर लगी होगी और वे वहीं बैठकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकेंगे।

कैसे काम करेगा MMD सिस्टम

MMD यानी Multi Media Device एक डिजिटल प्रणाली है जिसके ज़रिए सांसद अपनी उपस्थिति तीन तरीकों से दर्ज कर सकते हैं – थंब इम्प्रेशन, पिन नंबर या फिर विशेष मल्टीमीडिया कार्ड के माध्यम से। यह प्रक्रिया सांसदों के लिए न केवल सरल है बल्कि सुरक्षित और तेज भी है। अब उन्हें लोकसभा में घुसने या हस्ताक्षर के लिए लाइन में लगने की जरूरत नहीं होगी।

सांसदों की सीट से ही दर्ज होगी उपस्थिति

नई व्यवस्था के तहत सांसदों को अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए किसी रजिस्टर या अलग काउंटर पर जाने की आवश्यकता नहीं होगी। वे सीधे अपनी सीट पर बैठकर ही MMD का उपयोग कर सकेंगे। यह सुविधा संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले हर सांसद को उपलब्ध होगी।

राज्यसभा में अभी पुरानी व्यवस्था लागू

जहां लोकसभा में यह डिजिटल उपस्थिति प्रणाली शुरू की जा चुकी है, वहीं राज्यसभा में फिलहाल पुरानी व्यवस्था ही जारी रहेगी। राज्यसभा में सांसदों को अभी भी अपने थंब इम्प्रेशन या stylus के जरिए टैबलेट में साइन करना होगा। लोकसभा स्पीकर की पहल पर यह बदलाव पहले निचले सदन में लागू किया जा रहा है।

इस डिजिटल बदलाव से सांसदों का कीमती समय भी बचेगा। संसद वर्ष में औसतन 70 दिन चलती है। एक सांसद को प्रतिदिन 2 से 3 मिनट अपनी अटेंडेंस दर्ज कराने में लगते हैं। इस नई प्रक्रिया से प्रत्येक सांसद का सालाना लगभग साढ़े तीन घंटे बच जाएगा।

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