नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने विजयादशमी उत्सव मनाते हुए शताब्दी वर्ष समारोह की शुरुआत की। संघ प्रमुख मोहन भागवत और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि थे, जबकि देशभर की शाखाओं में भी उत्सव और शस्त्र प्रदर्शन आयोजित किए गए।
New Delhi: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नागपुर में विजयादशमी उत्सव बड़े धूमधाम से मना रहा है। इस वर्ष यह उत्सव विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसी अवसर से संघ का शताब्दी वर्ष समारोह भी शुरू हो रहा है। संघ की स्थापना 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। पूरे देश में संघ की शाखाओं में भी इस उत्सव को मनाया जा रहा है।
इस अवसर पर संघ प्रमुख मोहन भागवत, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित हैं। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
डॉ. हेडगेवार को अर्पित श्रद्धांजलि
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति डॉ. रामनाथ कोविंद ने भी उनका सम्मान करते हुए नमन किया। मोहन भागवत ने कार्यक्रम की शुरुआत में शस्त्र पूजन किया और इसके बाद योग, प्रात्यक्षिक, नियुद्ध, घोष और प्रदक्षिणा का आयोजन किया जाएगा।
रामनाथ कोविंद ने व्यक्त किए विचार
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संघ को पवित्र, विशाल वट वृक्ष की तरह बताया जो भारत के लोगों को एक साथ जोड़ता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय-निर्माताओं में दो डॉक्टर हैं जिनका उनके जीवन निर्माण में विशेष महत्व रहा। ये महापुरुष हैं- डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर।
रामनाथ कोविंद ने महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती का भी स्मरण किया और उनके योगदान को नमन किया। उन्होंने विजयादशमी उत्सव को संघ के शतक-पूर्ण-उत्सव के रूप में देखा।
मोहन भागवत के संदेश
मोहन भागवत ने बताया कि इस वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज के 350 वर्ष पावन देहोत्सर्ग का अवसर है। उन्होंने कहा कि गुरुजी का बलिदान हिन्दू समाज की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण था। मोहन भागवत ने पहलगाम हमले के बाद विभिन्न देशों के रुख का भी जिक्र किया और कहा कि इससे भारत के साथ उनकी मित्रता की सीमा और प्रकृति स्पष्ट हुई।
देशभर में शाखाओं में उत्सव
विजयादशमी उत्सव केवल नागपुर तक ही सीमित नहीं है। संघ की देशभर में 83 हजार से अधिक शाखाओं में यह उत्सव मनाया जा रहा है। शाखाओं में योगाभ्यास, शस्त्र प्रात्यक्षिक, राष्ट्रभक्ति गीत और प्रदक्षिणा जैसे कार्यक्रम आयोजित होते हैं। यह आयोजन संघ की एकता और संगठनात्मक शक्ति को दर्शाता है।