नवरात्रि 2025 का समापन आज नौवें दिन के साथ हो रहा है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जिन्हें ज्ञान, शक्ति और पूर्णता की देवी माना जाता है। नवरात्रि के इस विशेष अवसर पर अभिनेत्री पत्रलेखा ने अपने जीवन के अनुभव साझा किए और बताया कि उनके लिए "असली शक्ति" का क्या अर्थ है।
एंटरटेनमेंट न्यूज़: करियर की शुरुआत में मुझे कई बार अस्वीकृति का सामना करना पड़ा। एक अभिनेता के रूप में हर ऑडिशन में मैं अपना सब कुछ देती थी, और जब चीजें मन मुताबिक नहीं होती थीं, तो यह बहुत दुखद और व्यक्तिगत लगने लगता था। उस समय मैं खुद से कई सवाल पूछती थी—क्या मैं सही रास्ते पर हूं? क्या मैं योग्य हूं? लेकिन मैं हमेशा याद रखती थी कि मैंने यह पेशा क्यों चुना: मुझे सच में कहानियां सुनाने का प्यार है। यही प्यार मेरे लिए आधार बन गया। धीरे-धीरे अवसर मिलने लगे, और आज पीछे मुड़कर देखती हूं तो लगता है कि उस दौर ने मुझे धैर्यवान और मजबूत बना दिया।
पत्रलेखा के करियर की शुरुआत और संघर्ष
पत्रलेखा कहती हैं कि उनके करियर के शुरुआती दिनों में अस्वीकृति (Rejection) आम बात थी। हर ऑडिशन में वे अपना सब कुछ दे देती थीं, लेकिन जब चयन नहीं होता था, तो वह पल बहुत व्यक्तिगत और कठिन लगते थे। वे बताती हैं, उस समय मैं खुद से कई सवाल पूछती थी – क्या मैं सही दिशा में हूं? क्या मैं योग्य हूं? लेकिन मैंने हमेशा खुद को याद दिलाया कि मैंने यह पेशा क्यों चुना था। मुझे कहानियां सुनाना पसंद है और वही मेरा आधार बना। धीरे-धीरे अवसर मिलने लगे और आज पीछे मुड़कर देखती हूं तो लगता है कि उस दौर ने मुझे धैर्यवान और मजबूत बनाया।
पत्रलेखा के करियर की बड़ी पहचान बनी फिल्म ‘सिटीलाइट्स’। हालांकि, इसके बाद उन्हें अनिश्चितताओं से गुजरना पड़ा। वे बताती हैं कि इंडस्ट्री अक्सर कलाकारों को एक ही छवि (Typecast) में बांध देती है और उससे बाहर निकलना आसान नहीं होता। पत्रलेखा कहती हैं, मेरे लिए यह एक टर्निंग प्वॉइंट था। मैंने सीखा कि दूसरों की राय से ज्यादा अपनी खुद की आवाज पर भरोसा करना जरूरी है। सही भूमिकाओं का इंतजार करना और गलत किरदारों को ठुकराने का साहस ही मेरी असली ताकत है।
छोटे-छोटे पल देते हैं आत्मबल
पत्रलेखा बताती हैं कि वे अपनी दिनचर्या को सरल रखती हैं। पढ़ना, ध्यान करना और खुद के साथ समय बिताना उन्हें अंदर से मजबूत बनाता है। वे कहती हैं, जब मैं खुद के साथ शांत बैठती हूं तो अपने विचारों और भावनाओं को समझ पाती हूं। उस समय मुझे अपनी असली ताकत का अहसास होता है और बाहरी शोर महत्वहीन हो जाता है। इसके अलावा, मेरे पति, परिवार और करीबी दोस्त हमेशा मेरा सहारा बने रहते हैं।
हाल ही में पत्रलेखा की फिल्म ‘फुले’ रिलीज हुई, जिसके बाद उन्हें कई नए और रोचक प्रोजेक्ट्स ऑफर हुए हैं। वे मानती हैं कि यह उनकी मेहनत और धैर्य का परिणाम है। यह अनुभव मुझे याद दिलाता है कि धैर्य और मेहनत का फल हमेशा मिलता है। भले ही वह तुरंत न दिखे, लेकिन समय आने पर उसका परिणाम अवश्य मिलता है।
महिलाओं के लिए खास संदेश
नवरात्रि के अवसर पर पत्रलेखा ने सभी महिलाओं से अपील की कि वे अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानें। उनका कहना है, कभी भी अपने अंदर की ताकत को कम मत आंकिए। जब भी आप असहाय महसूस करें, याद रखें कि सहनशीलता और धैर्य आपके भीतर ही हैं। नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा करने के साथ-साथ हमें अपने अंदर की शक्ति और स्थिरता का भी जश्न मनाना चाहिए। हर चुनौती का सामना साहस के साथ करें और आत्म-जागरूक बनें।