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सरकार ने क्यों बढ़ाई यूपीएस डेडलाइन? जानिए असली वजह क्या है

सरकार ने क्यों बढ़ाई यूपीएस डेडलाइन? जानिए असली वजह क्या है

केंद्रीय कर्मचारियों की कम प्रतिक्रिया को देखते हुए सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) चुनने की डेडलाइन दो महीने बढ़ाकर 30 नवंबर 2025 कर दी है। अभी तक 23 लाख पात्र कर्मचारियों में से केवल एक लाख ने ही UPS चुना है। नई योजना में कर्मचारियों और सरकार दोनों का योगदान शामिल होगा और पेंशन लाभ सुनिश्चित किया गया है।

UPS deadline: वित्त मंत्रालय ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के प्रति केंद्रीय कर्मचारियों की ठंडी प्रतिक्रिया को देखते हुए इसकी समयसीमा दो महीने और बढ़ाकर 30 नवंबर 2025 तक कर दी है। अप्रैल 2025 से एनपीएस के विकल्प के रूप में लागू UPS में कर्मचारियों को पेंशन लाभ की गारंटी है, जिसमें 10% कर्मचारी और 18.5% सरकार योगदान देती है। लेकिन अब तक केवल एक लाख कर्मचारियों ने इसे अपनाया है, जबकि पात्र कर्मचारियों की संख्या 23 लाख है। इसलिए सरकार ने अतिरिक्त समय देकर कर्मचारियों को निर्णय लेने का अवसर दिया है।

क्यों बढ़ाया गया समय

वित्त मंत्रालय ने साफ किया है कि यूपीएस स्कीम में हाल ही में कई अहम बदलाव किए गए हैं। इनमें इस्तीफा देने या अनिवार्य सेवानिवृत्ति की स्थिति में लाभ, कर छूट और स्विच विकल्प जैसी सुविधाएं शामिल हैं। ऐसे में कर्मचारी अच्छी तरह समझ-बूझकर फैसला कर सकें, इसके लिए अतिरिक्त समय दिया गया है।

सरकार ने कहा कि विभिन्न पक्षों से मांग उठी थी कि कर्मचारियों को विकल्प चुनने के लिए और वक्त मिलना चाहिए। यही कारण है कि अब 30 नवंबर तक केंद्रीय कर्मचारियों को मौका मिलेगा। यह निर्णय वित्त मंत्री की मंजूरी के बाद लिया गया है।

यूपीएस स्कीम क्या है

यूनिफाइड पेंशन स्कीम को सरकार ने एक अप्रैल 2025 से एनपीएस के विकल्प के रूप में पेश किया है। यह योजना योगदान आधारित है। यानी इसमें कर्मचारी को अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत देना होगा। वहीं, सरकार 18.5 प्रतिशत तक योगदान करेगी।

यूपीएस का सबसे बड़ा फायदा यह है कि कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन लाभ मिलेगा। यह पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की तरह सीधी गारंटी वाली नहीं है, लेकिन एनपीएस से अलग इसमें पेंशन की एक स्पष्ट व्यवस्था होगी।

अब तक कितने कर्मचारी जुड़े

देशभर में करीब 23 लाख केंद्रीय कर्मचारी इस स्कीम के लिए पात्र हैं। लेकिन अब तक केवल एक लाख कर्मचारियों ने ही यूपीएस का विकल्प चुना है। सरकार को उम्मीद थी कि यह संख्या कहीं ज्यादा होगी। यही कारण है कि डेडलाइन बढ़ाई गई है, ताकि कर्मचारी अच्छे से जानकारी लेने और सोचने के बाद इसमें शामिल हो सकें।

PFRDA को दिए गए निर्देश

वित्त मंत्रालय ने पेंशन फंड नियामक पीएफआरडीए को कहा है कि वह इस बदलाव को लागू करने के लिए अपनी प्रणाली और नियमों में आवश्यक संशोधन करे। मंत्रालय का मानना है कि स्कीम में हुए सुधार और नई सुविधाओं को देखते हुए आने वाले समय में अधिक कर्मचारी यूपीएस को चुन सकते हैं।

सरकारी कर्मचारियों की ओर से अब तक इस स्कीम को लेकर बहुत ज्यादा उत्साह नहीं दिखा है। कई कर्मचारी अभी भी पुरानी पेंशन योजना जैसी व्यवस्था चाहते हैं। वहीं, कुछ कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें स्कीम के फायदे और नुकसान समझने में समय लग रहा है। यही वजह है कि बड़ी संख्या में अभी भी कर्मचारी इंतजार कर रहे हैं।

सरकार की उम्मीदें

सरकार चाहती है कि नए बदलावों और अतिरिक्त समय का फायदा उठाकर ज्यादा से ज्यादा कर्मचारी यूपीएस से जुड़ें। पेंशन प्रणाली को स्थिर और टिकाऊ बनाने के लिए इसे एक बड़े सुधार के रूप में देखा जा रहा है। मंत्रालय का मानना है कि यह योजना कर्मचारियों के लिए भविष्य में सुरक्षित और स्पष्ट पेंशन लाभ की गारंटी देगी।

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