बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए जदयू ने अपनी उम्मीदवार सूची को अंतिम रूप दे दिया है। पार्टी 103 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि भाजपा को 102 सीटें मिलेंगी। कमजोर प्रदर्शन वाले चार विधायकों का टिकट काटा गया है। एनडीए में सीट बंटवारा लगभग तय है।
Patna: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) यानी जदयू (JDU) ने अपने उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दे दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता के अनुसार जदयू इस बार 243 विधानसभा सीटों में से लगभग 103 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी ने जिन सीटों पर चुनाव लड़ना है उनकी पहचान पूरी कर ली है और उम्मीदवारों के नाम भी तय कर लिए गए हैं।
चार मौजूदा विधायकों का कटेगा टिकट
पार्टी नेतृत्व ने फैसला किया है कि जिन विधायकों का प्रदर्शन कमजोर रहा या जिन्होंने संगठन से दूरी बना ली, उन्हें इस बार मौका नहीं दिया जाएगा। जदयू के अंदर यह नीति अपनाई गई है कि जो विधायक जनता के बीच सक्रिय नहीं हैं या जिनकी छवि पर सवाल हैं, उन्हें टिकट से वंचित किया जाएगा। चार मौजूदा विधायकों की जगह नए उम्मीदवार उतारे जाएंगे। इनमें भागलपुर, नवादा और बांका जिलों की सीटें शामिल हैं जहां जनता से मिले फीडबैक (feedback) के आधार पर यह निर्णय लिया गया है।
पार्टी छोड़ने वाले विधायकों के क्षेत्र में नए चेहरे
खगड़िया जिले की परबत्ता सीट पर जदयू नया उम्मीदवार उतारेगी क्योंकि यहां के विधायक संजीव कुमार हाल ही में राजद (RJD) में शामिल हो गए हैं। इसी तरह रूपौली सीट पर भी नया चेहरा उतारा जाएगा जहां से बीमा भारती विपक्षी दल में चली गई हैं। पार्टी मानती है कि इन क्षेत्रों में नए उम्मीदवारों के जरिए जनता के बीच फिर से भरोसा (trust) कायम किया जा सकता है।
भाजपा लड़ेगी 102 सीटों पर
एनडीए (NDA) गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर लगभग सहमति बन गई है। भाजपा (BJP) इस बार 102 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि जदयू को 103 सीटें मिलेंगी। दोनों दलों के बीच संतुलित (balanced) साझेदारी बनाए रखने की रणनीति तैयार की गई है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि एनडीए में सब कुछ ठीक है और सीट शेयरिंग (seat sharing) की औपचारिक घोषणा जल्द ही की जाएगी।
लोजपा (रामविलास) की सीटों को लेकर खींचतान
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) यानी LJP (RV) इस बार पहले से ज्यादा सीटों की मांग कर रही है। पिछली बार पार्टी को करीब 20 से 22 सीटें मिली थीं, लेकिन अब चिराग पासवान का कहना है कि लोजपा का जनाधार (support base) बढ़ा है इसलिए सीटों की संख्या भी बढ़नी चाहिए। एनडीए के अंदर इस मुद्दे पर बातचीत जारी है और जल्द समझौता (agreement) होने की उम्मीद है।
छोटे सहयोगी दलों को भी मिलेगी सम्मानजनक हिस्सेदारी
एनडीए के अन्य घटक दलों जैसे हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) को भी इस बार सम्मानजनक सीटें दी जाएंगी। हम (HAM) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने कहा है कि वे सीटों की मांग नहीं बल्कि अनुरोध (request) कर रहे हैं, लेकिन पार्टी को सम्मानजनक संख्या में सीटें मिलनी चाहिए ताकि गठबंधन मजबूत बना रहे।
नीतीश कुमार की रणनीति – अनुभव और युवाओं का मेल
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की रणनीति इस बार अनुभव और युवाओं के बीच संतुलन (balance) बनाए रखने की है। जदयू उन उम्मीदवारों को प्राथमिकता दे रही है जो जनता के बीच लोकप्रिय (popular) हैं और संगठन से मजबूत जुड़ाव रखते हैं। पार्टी इस चुनाव में साफ छवि वाले, ग्राउंड लेवल (ground level) पर काम करने वाले नेताओं को टिकट देने की नीति पर काम कर रही है।
मतदाताओं से लिया गया फीडबैक बना आधार
जदयू ने इस बार टिकट वितरण से पहले जनता से सीधा फीडबैक लिया है। पार्टी के संगठनात्मक ढांचे ने विधानसभा क्षेत्रवार सर्वे (survey) कराकर विधायकों के कामकाज और जनसंपर्क की स्थिति का मूल्यांकन किया। जिन विधायकों का प्रदर्शन कमजोर पाया गया, उन्हें सूची से बाहर रखा गया है। नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया है कि “परफॉर्मेंस (performance) ही टिकट का आधार होगा।”
भाजपा और जदयू में बनी तालमेल की समझ
दोनों प्रमुख दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर जो समझ बनी है, उसके अनुसार जदयू को अपेक्षाकृत ज्यादा सीटें दी जा रही हैं ताकि गठबंधन के अंदर संतुलन बनाए रखा जा सके। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी इस फार्मूले पर अपनी सहमति दे दी है। एनडीए में यह रणनीति बनी है कि सहयोगी दलों को एकजुट रखकर विपक्षी महागठबंधन (grand alliance) के मुकाबले मजबूत मोर्चा तैयार किया जाए।
बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे। पहला चरण 6 नवंबर और दूसरा चरण 11 नवंबर को संपन्न होगा जबकि मतगणना (counting) 14 नवंबर को की जाएगी। जदयू और भाजपा अपने-अपने उम्मीदवारों की औपचारिक सूची जल्द जारी करेंगे ताकि प्रचार अभियान (campaign) को गति दी जा सके।