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Nimisha Priya Case: फांसी से बचाने में नाकाम रही भारत सरकार, सुप्रीम कोर्ट में दिया स्पष्टीकरण

Nimisha Priya Case: फांसी से बचाने में नाकाम रही भारत सरकार, सुप्रीम कोर्ट में दिया स्पष्टीकरण

यमन में फांसी की सजा पाए निमिषा प्रिया को बचाने में भारत सरकार विफल रही है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अब केवल मृतक परिवार द्वारा मुआवजा स्वीकार करने से ही फांसी रोकी जा सकती है।

Nimisha Priya Case: यमन में भारतीय नागरिक और केरल की नर्स निमिषा प्रिया को फांसी की सजा सुनाए जाने के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया है कि उन्होंने हर स्तर पर प्रयास किया, लेकिन अब स्थिति उनके नियंत्रण से बाहर है। सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर.वेंकटरमणी ने कहा कि निमिषा की फांसी टालने का अब एक ही रास्ता बचा है, और वह है मृतक के परिवार द्वारा मुआवजा स्वीकार करना।

16 जुलाई को तय है फांसी की तारीख

निमिषा प्रिया को यमन की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है और यह सजा 16 जुलाई को लागू की जानी है। केंद्र सरकार ने इससे पहले कूटनीतिक स्तर पर कई प्रयास किए, लेकिन मृतक के परिवार को मुआवजा देने का प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया गया। इसके चलते सरकार के पास अब कोई प्रभावी विकल्प नहीं बचा है।

1 मिलियन डॉलर का प्रस्ताव भी असफल

सरकार की ओर से बताया गया कि मृतक महदी के परिवार को 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 8.5 करोड़ रुपये) का मुआवजा ऑफर किया गया था। यह प्रस्ताव भी अस्वीकार कर दिया गया। सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय कानून और यमन के कानूनी ढांचे में दखल की एक सीमा है और अब सरकार के लिए ज्यादा कुछ कर पाना संभव नहीं है।

सरकार ने क्या कहा सुप्रीम कोर्ट में

अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ को बताया कि इस मामले में सरकार की भूमिका सीमित है। उन्होंने कहा, "हमने जो किया, वह हमारी जिम्मेदारी के अंतर्गत किया गया। अब मृतक के परिवार की सहमति ही एकमात्र रास्ता बचा है।" उन्होंने मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि केंद्र सरकार अब इसमें और कुछ नहीं कर सकती।

निमिषा प्रिया कौन हैं

निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ की रहने वाली एक नर्स हैं। साल 2008 में वह नौकरी के लिए यमन गई थीं और वहां के एक अस्पताल में काम करने लगीं। 2011 में उन्होंने भारत लौटकर ऑटो ड्राइवर टॉमी थॉमसन से शादी की और फिर पति के साथ यमन वापस चली गईं। 2012 में उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया।

यमन में गृहयुद्ध और निजी संघर्ष की शुरुआत

साल 2014 के आसपास यमन में गृहयुद्ध के हालात बनने लगे। इस दौरान टॉमी थॉमसन भारत लौट आए और बेटी को अपने साथ ले गए। निमिषा यमन में ही रहकर अस्पताल में काम करती रहीं। बाद में उन्होंने खुद का क्लीनिक खोलने का फैसला किया और इसके लिए उन्होंने एक यमनी नागरिक महदी को अपना बिजनेस पार्टनर बनाया।

महदी से बढ़ा विवाद और शोषण के आरोप

कथित रूप से महदी ने निमिषा के साथ विश्वासघात किया। वह ड्रग्स के प्रभाव में आकर निमिषा का मानसिक और शारीरिक शोषण करता था। साथ ही उसने निमिषा का पासपोर्ट भी जब्त कर लिया।

हत्या की घटना और गिरफ्तारी

2017 में निमिषा ने महदी को बेहोशी की दवा दी ताकि वह अपना पासपोर्ट वापस लेकर यमन से भाग सके। लेकिन गलती से दवा का डोज ज्यादा हो गया, जिससे महदी की मौत हो गई। घटना के लगभग एक महीने बाद यमन-सऊदी बॉर्डर पर निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया।

यमन की अदालत ने सुनाई फांसी की सजा

यमन की अदालत ने निमिषा को हत्या का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई। तब से यह मामला अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है। कई मानवाधिकार संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता इस सजा को हटाने की मांग कर रहे हैं।

माफी का एक ही विकल्प - 'ब्लड मनी'

यमन के कानून के अनुसार, हत्या के मामलों में 'ब्लड मनी' यानी मुआवजा देकर फांसी की सजा से राहत मिल सकती है, लेकिन यह मृतक के परिवार की स्वीकृति पर निर्भर करता है। सरकार ने इसी विकल्प के तहत 8.5 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन मृतक के परिवार ने इसे ठुकरा दिया।

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