NSA अजीत डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कहा कि भारत को कोई नुकसान नहीं हुआ। स्वदेशी तकनीक से 9 पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। विदेशी मीडिया की झूठी रिपोर्टों को किया खारिज।
Operation Sindoor: हर पहलू पर गौर करते हुए यह साफ हो गया है कि ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जो भी अफवाहें उड़ रही थीं, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने उन्हें पूरी तरह से खारिज किया है। उन्होंने अमेरिकी मीडिया और अन्य विदेशी रिपोर्टरों से खुली चुनौती दी है कि अगर किसी को ऐसा कोई सबूत मिलेगा जिसमें भारत को नुकसान पहुंचा हो, तो उसे पेश करें। अब जानते हैं पूरी बात विस्तार से…
ऑपरेशन सिंदूर पर गर्व, स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल
डोभाल ने IIT मद्रास में अपने संबोधन में कहा कि टेक्नोलॉजी और वॉरफेयर के बीच गहरा संबंध है। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने केवल अपने अंदर निर्मित साधनों और सिस्टम्स का ही इस्तेमाल किया और कोई विदेशी तकनीक काम में नहीं लाई। उन्होंने जोर देकर कहा कि हम नाज़ करते हैं कि आपने देश की सीमाओं में रहकर ही यह ऑपरेशन किया।
फोटो से मंगाईं स्पष्टीकरण की चुनौती
उन्होंने विदेशी मीडिया की रिपोर्टों की कटु आलोचना की और कहा, ‘मुझे एक फोटो दिखाइए जिसमें भारत को कोई नुकसान हुआ हो।’ उनका तर्क था कि न तो कोई हमारी संपत्तियों को क्षति पहुँचाने में कामयाब हुआ और न ही हमारी ओर से कोई पड़ोसी देश की नागरिक संरचनाओं को टारगेट किया गया।
नौ पाकिस्तानी ठिकानों पर सटीक हमला
डोभाल ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर का मकसद केवल आतंकवादियों को निशाना बनाना था। इस अभियान में नौ ठिकानों को टारगेट किया गया, लेकिन उनमें से एक भी सीमा से जुड़े इलाके में नहीं था। सभी ठिकाने पाकिस्तानी शासन प्रदेश और PoK के अंदर हमलावर ठिकानों तक सीमित थे। हमारे सैटेलाइट इमेज से साफ दिखाई देता है कि हमारे सभी निशाने सही निशाना थे।
पूरे ऑपरेशन का समय और परिणाम
डोभाल ने बताया कि इस ऑपरेशन में मात्र 23 मिनट का समय लगा। उन्होंने फिर से मीडिया को चुनौती दी कि भारत को किस प्रकार का नुकसान हुआ, जब एक गिलास तक नहीं टूटा। साथ ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में 13 एयरबेस की तस्वीरों को ध्यान से देखें, जिसमें कोई भी क्षति नहीं दिखेगी।
पीछे नहीं हुई भारत की ओर से कोई गलती
उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिजफायर के बाद ही समाप्त हुआ। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने धमकी भरे हमले जारी रखे थे, लेकिन भारत ने उन्हें सफलतापूर्वक नाकाम किया। अंत में 10 मई को एक बार फिर, दोनों देशों ने DGMO स्तर की बातचीत के बाद दो ऐसे समझौते किए जिसमें तनाव को नियंत्रण में लाया जा सका।