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पहली बार कांवड़ यात्रा पर जा रहे हैं? इन नियमों को नजरअंदाज न करें, वरना यात्रा अधूरी रह सकती है

पहली बार कांवड़ यात्रा पर जा रहे हैं? इन नियमों को नजरअंदाज न करें, वरना यात्रा अधूरी रह सकती है

सावन का पावन महीना शुरू होते ही उत्तर भारत के कई हिस्सों में भगवान शिव के भक्तों की भारी भीड़ सड़क पर कांवड़ लेकर निकलती दिखाई देने लगी है। हरिद्वार, गौमुख, गंगोत्री और अन्य पवित्र स्थानों से गंगाजल लेकर शिवालयों तक पहुंचाने की इस यात्रा को कांवड़ यात्रा कहा जाता है।

हर साल लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होते हैं, लेकिन जो पहली बार यह यात्रा करने का मन बना रहे हैं, उनके लिए कुछ नियमों को जानना बेहद जरूरी है। ये नियम सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि आपकी यात्रा को सफल, सुरक्षित और भक्तिपूर्ण बनाने के लिए बनाए गए हैं।

कांवड़ यात्रा क्या है और क्यों है खास

कांवड़ यात्रा सावन मास में भगवान शिव को गंगाजल अर्पित करने की एक पवित्र परंपरा है। श्रद्धालु नंगे पांव लंबी दूरी तय कर गंगा नदी से जल भरते हैं और फिर उसे अपने क्षेत्र के शिव मंदिर में जाकर मासिक शिवरात्रि या सावन के किसी विशेष दिन शिवलिंग पर चढ़ाते हैं।

मान्यता है कि इस जल से अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

पहली बार जा रहे हैं तो ये सामग्री जरूर रखें

जो लोग पहली बार कांवड़ यात्रा पर जा रहे हैं, उनके लिए जरूरी है कि वे इस यात्रा से जुड़ी सामग्री पहले से तैयार रखें। इनमें शामिल हैं:

  • मजबूत और संतुलित कांवड़
  • जल पात्र (जिसमें गंगाजल भर सकें)
  • भगवान शिव की छोटी मूर्ति या फोटो
  • त्रिशूल, डमरू, रुद्राक्ष माला
  • कांवड़ सजाने के लिए लाल और पीले रंग के कपड़े
  • गमछा, नी कैप, दातुन, पानी की बोतल
  • पहचान पत्र और इमरजेंसी नंबर

इनके अलावा कुछ प्राथमिक दवाएं, टॉर्च, मोबाइल चार्जर और मौसम के अनुसार हल्के गर्म कपड़े भी साथ रखें।

ब्रह्मचर्य का पालन

कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं से अपेक्षा की जाती है कि वे पूरी यात्रा के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें, यानी संयमित जीवन जिएं।

इसके साथ ही यात्रा के दौरान जमीन पर सोना, मांसाहार से दूर रहना, नशे से परहेज, और शुद्धता का ध्यान रखना भी जरूरी माना गया है।

पुरानी मान्यताओं के अनुसार, यदि ये नियमों का उल्लंघन होता है तो यात्रा का फल नहीं मिलता और शिवजी नाराज हो सकते हैं।

बाल कटवाना और शेविंग मना है

कांवड़ यात्रा के समय एक और परंपरा का पालन करना जरूरी है कि इस दौरान श्रद्धालु अपने बाल न कटवाएं और न ही शेविंग कराएं। यह एक प्रकार का व्रत माना जाता है, जिसमें संपूर्ण तन, मन और वाणी की पवित्रता का पालन होता है।

महिला श्रद्धालुओं के लिए जरूरी बातें 

आजकल बड़ी संख्या में महिलाएं भी कांवड़ यात्रा में हिस्सा ले रही हैं। ऐसे में उनके लिए सुरक्षा और सुविधा दोनों जरूरी है।

  • महिलाओं को हमेशा समूह में यात्रा करनी चाहिए
  • रात में यात्रा से बचें
  • महिला सुरक्षा हेल्पलाइन नंबर हमेशा अपने पास रखें
  • हल्के और ढके हुए कपड़े पहनें
  • किसी अजनबी से खाने-पीने की चीजें न लें

शिवभक्ति में डूबा माहौल

कांवड़ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक कर्तव्य नहीं बल्कि शिवभक्ति का उत्सव भी है। यात्रा के दौरान "बोल बम", "हर हर महादेव" जैसे जयकारों से आसमान गूंजता रहता है।

रास्ते भर जगह-जगह सेवा शिविर, भोजन वितरण, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, और आराम स्थल भक्तों की सुविधा के लिए लगाए जाते हैं।

यात्रा के दौरान ये सावधानियां जरूरी

  • कांवड़ को कभी जमीन पर न रखें, उसे हमेशा किसी ऊंचे और साफ स्थान पर ही रखें
  • गंगाजल के पात्र को कभी भी झुकाकर या गिराकर न रखें
  • डीजे की आवाज को सीमित रखें ताकि स्थानीय लोगों और मरीजों को असुविधा न हो
  • सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता बनाए रखें
  • पानी और भोजन का अपव्यय न करें

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