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वैश्विक संकट के बीच तेज रफ्तार में भारतीय अर्थव्यवस्था: बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

वैश्विक संकट के बीच तेज रफ्तार में भारतीय अर्थव्यवस्था: बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) की ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वैश्विक स्तर पर मौजूद आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती से आगे बढ़ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में भारत में खपत और उत्पादन से जुड़े कई संकेतकों में सुधार देखा गया है।

स्टील, इलेक्ट्रॉनिक आयात और सरकारी खर्च में तेजी

रिपोर्ट में बताया गया है कि इस तिमाही के दौरान स्टील की खपत में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों के आयात और केंद्र सरकार के खर्च में भी तेजी दर्ज की गई है। इन आंकड़ों को देश में मजबूत घरेलू मांग और विकास की गति का संकेत माना जा रहा है।

सर्विस सेक्टर की रफ्तार बनी हुई

सर्विस पीएमआई, वाहन पंजीकरण, डीजल खपत, राज्य सरकारों का टैक्स कलेक्शन और ई-वे बिल जैसे आंकड़े यह दर्शाते हैं कि सर्विस सेक्टर की रफ्तार भी बनी हुई है। BOB का मानना है कि ये संकेतक घरेलू बाजारों की मजबूती और उपभोक्ताओं की सक्रिय भागीदारी की ओर इशारा कर रहे हैं।

टू-व्हीलर क्षेत्र में थोड़ी सुस्ती

हालांकि, दोपहिया वाहन बिक्री और एफएमसीजी तथा ड्यूरेबल वस्तुओं के उत्पादन में कुछ सुस्ती जरूर दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में महंगाई और मांग की अस्थिरता के चलते इन क्षेत्रों में अभी थोड़ी सुस्ती देखी जा रही है। हालांकि, इसके बावजूद समग्र आर्थिक संकेतक सकारात्मक हैं।

मानसून की मेहरबानी से कृषि क्षेत्र को राहत

9 जुलाई तक मानसून की बारिश सामान्य से 15 प्रतिशत अधिक रही है। इसका सीधा असर कृषि उत्पादन और ग्रामीण मांग पर पड़ने की उम्मीद है। कृषि क्षेत्र में अच्छी पैदावार से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा आ सकती है।

सरकारी बैलेंस शीट मजबूत

BOB की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा मई में घटकर 4.5 प्रतिशत हो गया है, जो अप्रैल में 4.6 प्रतिशत था। यह सरकार की खर्च प्रबंधन की दक्षता को दर्शाता है और यह संकेत देता है कि सरकारी नीतियां फिलहाल सही दिशा में जा रही हैं।

रुपये में गिरावट की रफ्तार थमी, स्थिति सुधर रही है

जहां मई में रुपये में 1.3 प्रतिशत की गिरावट आई थी, वहीं जून में यह गिरावट घटकर सिर्फ 0.2 प्रतिशत रह गई। जुलाई में डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति और मजबूत होने की संभावना जताई गई है। इसके पीछे डॉलर की कमजोरी और वैश्विक तनाव में कमी को प्रमुख कारण बताया गया है।

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की उम्मीद से रुपया होगा मजबूत

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि 1 अगस्त से पहले भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया जा सकता है। इससे भारतीय मुद्रा को वैश्विक स्तर पर और मजबूती मिलने की संभावना है।

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