डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान आर्मी चीफ आसिम मुनीर की सीक्रेट मीटिंग से अमेरिका की बदलती रणनीति का संकेत मिला है। चर्चा है कि ट्रंप पाकिस्तान में मिलिट्री बेस की योजना बना रहे हैं।
Trump to Meet Asim Munir: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के बीच व्हाइट हाउस में बंद कमरे में हुई मुलाकात ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह बैठक ऐसे समय हुई है जब वैश्विक राजनीति में बड़े बदलाव हो रहे हैं। इजरायल और ईरान के बीच तनाव, अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता और चीन के बढ़ते प्रभाव ने अमेरिका को फिर से दक्षिण एशिया की ओर देखने पर मजबूर कर दिया है।
कैसे और कहां हुई यह मुलाकात?
जनरल आसिम मुनीर इस समय अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर हैं। बुधवार को उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस के कैबिनेट रूम में दोपहर के लंच पर मुलाकात की। यह मीटिंग पूरी तरह प्राइवेट थी और मीडिया को इसकी कवरेज की अनुमति नहीं दी गई। अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यक्रम के मुताबिक यह बैठक दोपहर 1 बजे (वॉशिंगटन समयानुसार) शुरू हुई।
सूत्रों के अनुसार, इस दौरान जनरल मुनीर की अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो और रक्षा मंत्री पीट हेजसेथ से भी मुलाकात हो सकती है। जनरल मुनीर पांच दिन के दौरे पर वॉशिंगटन पहुंचे हैं और इसका मकसद अमेरिका-पाकिस्तान के रणनीतिक रिश्तों को फिर से मजबूत करना है।
ट्रंप की सोच में बदलाव क्यों आया?
साल 2018 में राष्ट्रपति रहते हुए ट्रंप ने पाकिस्तान पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने ट्वीट कर पाकिस्तान पर आतंकवादियों को पनाह देने और अमेरिका को धोखा देने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिका ने पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर की सहायता दी, लेकिन बदले में सिर्फ धोखा मिला। इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को दी जा रही सुरक्षा सहायता भी रोक दी थी।
लेकिन अब वही ट्रंप पाकिस्तान के सेना प्रमुख को व्हाइट हाउस बुला रहे हैं और उनके साथ गुप्त बैठकें कर रहे हैं। अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के प्रमुख ने हाल ही में पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ "एक असाधारण साझेदार" बताया। यह दर्शाता है कि ट्रंप की विदेश नीति में अब बड़ा बदलाव आ चुका है।
क्या अमेरिका पाकिस्तान में मिलिट्री बेस चाहता है?
इस मुलाकात के पीछे एक बड़ी रणनीति छिपी हो सकती है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अमेरिका पाकिस्तान में फिर से कोई सैन्य अड्डा (military base) स्थापित करना चाहता है। ऐसा करने से अमेरिका को कई रणनीतिक मोर्चों पर फायदा मिल सकता है:
1. ईरान पर नजर रखने की रणनीति
मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ता जा रहा है। इजरायल अब हमास के साथ-साथ ईरान से भी सीधी लड़ाई में उलझा है। अमेरिका पहले ही इजरायल का समर्थन कर चुका है और साफ कहा है कि वह ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने देगा। ऐसी स्थिति में अगर युद्ध बढ़ता है, तो अमेरिका को ईरान की पूर्वी सीमा पर सैन्य उपस्थिति चाहिए। पाकिस्तान में बेस मिलने से अमेरिका खुफिया गतिविधियों और ज़रूरत पड़ने पर सैन्य कार्रवाई के लिए बेहतर स्थिति में होगा।
2. चीन को संतुलित करने की रणनीति
चीन की Belt and Road Initiative (BRI) योजना में पाकिस्तान की भूमिका अहम है। CPEC (China-Pakistan Economic Corridor) पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से होकर गुजरता है, जो चीन की रणनीति का हिस्सा है। अमेरिका नहीं चाहता कि पाकिस्तान पूरी तरह चीन के प्रभाव में चला जाए। ऐसे में वहां सैन्य उपस्थिति से अमेरिका दक्षिण एशिया में चीन के प्रभाव को कम कर सकता है।
3. अफगानिस्तान और आतंकवाद पर नियंत्रण
अमेरिका के अफगानिस्तान से बाहर निकलने के बाद वहां तालिबान की सत्ता स्थापित हो चुकी है। अमेरिका को डर है कि आतंकवादी गतिविधियां फिर से शुरू हो सकती हैं। पाकिस्तान में सैन्य अड्डा होने से अमेरिका को अफगानिस्तान पर निगरानी रखने और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों पर दबाव बनाने में मदद मिलेगी। इससे संभावित आतंकवादी हमलों को रोका जा सकेगा।
पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति अमेरिका के लिए फायदेमंद
पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति अमेरिका की रणनीति के लिए अनुकूल मानी जा रही है। देश भारी कर्ज में डूबा है, आर्थिक संकट गहराया हुआ है और राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है। ऊपर से सेना और सरकार में भ्रष्टाचार की खबरें लगातार सामने आती रहती हैं। ऐसी स्थिति में अमेरिका जैसे ताकतवर देश के लिए पाकिस्तान से सामरिक सहयोग लेना मुश्किल नहीं होगा।