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बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को मिला नया बूस्ट, 4100 करोड़ का ठेका जारी

यह प्रोजेक्ट भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि सिग्नलिंग और टेलीकॉम सिस्टम ट्रेन की गति, सुरक्षा और संचालन की कुशलता के लिहाज़ से केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।

भारत के पहले हाई स्पीड रेल कॉरिडोर यानी मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को एक नया बल मिला है। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए एक बड़े ठेके की घोषणा की है। यह ठेका दिनेशचंद्र आर. अग्रवाल इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड (DRA) के नेतृत्व में गठित समूह को दिया गया है, जिसमें सीमेंस लिमिटेड और सीमेंस मोबिलिटी जीएमबीएच भी भागीदार हैं। यह ठेका लगभग 4100 करोड़ रुपये का है, जो कि भारत में रेलवे प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अब तक का एक बड़ा निवेश माना जा रहा है।

मॉडर्न सिग्नलिंग और टेलीकॉम सिस्टम की स्थापना का कार्य

इस ठेके के तहत मुंबई से अहमदाबाद तक के बुलेट ट्रेन मार्ग पर अत्याधुनिक सिग्नलिंग और टेलीकॉम सिस्टम की स्थापना की जाएगी। इस कार्य का उद्देश्य यात्रियों की सुरक्षा, तेज संचार व्यवस्था और संचालन में अधिक दक्षता लाना है। NHSRCL के मुताबिक, इस ठेके के तहत 54 महीनों में पूरा कार्य सम्पन्न किया जाएगा। यह परियोजना न केवल आधुनिक तकनीक को भारत में लागू करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि इससे 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान को भी बल मिलेगा।

सीमेंस लिमिटेड को मिलेगा 1230 करोड़ का हिस्सा

सीमेंस लिमिटेड ने इस बात की पुष्टि की है कि इस ठेके में उसका हिस्सा करीब 1230 करोड़ रुपये का है। कंपनी इस प्रोजेक्ट में तकनीकी सपोर्ट, उपकरणों की आपूर्ति, इंस्टॉलेशन और लंबे समय तक रखरखाव की सेवाएं देगी। इसके तहत सीमेंस अगले 15 वर्षों तक बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए मेंटेनेंस सेवाएं प्रदान करेगा। यह न केवल तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता को दर्शाता है, बल्कि भारत में लंबे समय तक तकनीकी भागीदारी की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है।

कंपनी के सीईओ की प्रतिक्रिया

सीमेंस लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ सुनील माथुर ने इस डील को लेकर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह प्रोजेक्ट न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण बनेगा कि कैसे टिकाऊ, भविष्य-उन्मुख और स्मार्ट ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर की दिशा में देश कदम बढ़ा रहा है। उन्होंने इसे 'मेक इन इंडिया' के तहत एक महत्वपूर्ण उपलब्धि करार दिया और कहा कि यह सौदा भारत में विश्व स्तरीय रेलवे नेटवर्क के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है।

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना का परिचय

मुंबई से अहमदाबाद के बीच चलने वाली यह बुलेट ट्रेन परियोजना भारत का पहला हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट है। इसकी कुल लंबाई 508 किलोमीटर है, जिसमें कुल 12 स्टेशन शामिल हैं: मुंबई, ठाणे, विरार, बोइसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वड़ोदरा, आणंद, अहमदाबाद और साबरमती। इस परियोजना के अंतर्गत बुलेट ट्रेन की गति 320 किमी प्रति घंटा होगी, जिससे यात्रा का कुल समय केवल 2.07 घंटे रह जाएगा। वर्तमान में सड़क या पारंपरिक रेल मार्ग से यह दूरी तय करने में लगभग 7 से 8 घंटे का समय लगता है।

समय और लागत का प्रबंधन

NHSRCL ने इस प्रोजेक्ट को एक निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा करने की योजना बनाई है। शुरुआत में इस प्रोजेक्ट की लागत लगभग 1.1 लाख करोड़ रुपये आंकी गई थी, जिसमें जापान सरकार का बड़ा योगदान है। जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) इस प्रोजेक्ट को 0.1 प्रतिशत की ब्याज दर पर कर्ज दे रही है, जो इसे दुनिया के सबसे किफायती हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट्स में से एक बनाता है।

स्थानीय रोजगार और तकनीकी विकास को मिलेगा बढ़ावा

इस प्रोजेक्ट से न केवल भारत में तेज परिवहन व्यवस्था की नींव मजबूत होगी, बल्कि इससे हजारों लोगों को रोजगार भी मिलेगा। इसके अलावा, आधुनिक तकनीक का हस्तांतरण और भारतीय इंजीनियरों का प्रशिक्षण भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिससे भविष्य में देश में अन्य हाई स्पीड रेल परियोजनाओं के लिए स्थानीय स्तर पर तकनीकी क्षमता विकसित होगी।

हरित तकनीक और पर्यावरण की रक्षा

NHSRCL ने इस प्रोजेक्ट को पर्यावरण अनुकूल बनाने की दिशा में भी कई कदम उठाए हैं। ट्रेन संचालन में ऊर्जा की खपत को कम करना, सौर ऊर्जा का उपयोग, और पर्यावरणीय प्रभावों की निगरानी जैसी प्रक्रियाएं इसमें शामिल हैं। इससे भारत के जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में भी सहायता मिलेगी।

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