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फतेहपुर मकबरा विवाद में बीजेपी जिलाध्यक्ष की भूमिका पर उठे सवाल, पुलिस पर मेहरबानी का आरोप

फतेहपुर मकबरा विवाद में बीजेपी जिलाध्यक्ष की भूमिका पर उठे सवाल, पुलिस पर मेहरबानी का आरोप

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में मकबरे को लेकर हुए विवाद में बीजेपी जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल की भूमिका पर सवाल उठे हैं। पुलिस ने हिंसा में शामिल उनके नाम को FIR से बाहर रखा, जिससे जांच की निष्पक्षता पर विवाद बढ़ गया है। इलाके में तनाव अभी भी बरकरार है।

फतेहपुर: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के आबुनगर रेडैया इलाके में 11 अगस्त को हुए विवाद में स्थानीय हिंदू संगठनों ने पुराने मकबरे को मंदिर बताते हुए भगवा झंडा फहराया, जिससे तनाव फैल गया। बीजेपी जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल ने पूजा की अनुमति ली थी, लेकिन विवाद के बाद हिंसा फैलने पर पुलिस ने उनके नाम को FIR में शामिल नहीं किया, जिससे जांच और प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल उठे हैं। इस मामले में अभी भी तनाव और राजनीतिक विरोध जारी है।

फतेहपुर विवाद में मुखलाल पाल की भूमिका संदेहास्पद

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के आबुनगर रेडैया इलाके में ईदगाह पर भगवा झंडा फहराने और 200 साल पुराने मकबरे को क्षतिग्रस्त करने के विवाद ने राजनीतिक और सामाजिक तनाव को भड़काया है। स्थानीय हिंदू संगठनों ने इस स्थल को मकबरे के बजाय ठाकुर जी का मंदिर बताया है, जहां पूजा होती थी। इस विवाद के बाद इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है, जबकि पुलिस ने बीजेपी जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल का नाम FIR में शामिल न कर जांच प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सोमवार को हुई हिंसक झड़प में हिंदू संगठनों की भीड़ ने भगवा झंडा फहराया, जिसके बाद स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने आक्रोश जताया और पथराव शुरू हो गया। इस दौरान तीन मजारों को नुकसान पहुंचा, लेकिन पुलिस ने केवल हल्का बल प्रयोग कर स्थिति को नियंत्रण में रखा। पुलिस ने 10 नामजद और करीब 150 अज्ञात आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, मगर विवादित यात्रा में शामिल मुखलाल पाल का नाम अभी तक FIR में नहीं है। इससे पुलिस की भूमिका और प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।

मुख्यालय विवाद और राजनीतिक तनाव

फतेहपुर मकबरा विवाद ने पूरे जिले का माहौल गर्म कर दिया है। स्थानीय हिंदू संगठनों का दावा है कि यह स्थल मंदिर है, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे 200 साल पुराना मकबरा मानता है।

बीजेपी जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल ने 11 अगस्त को जिलाधिकारी को पूजा की अनुमति मांगी थी, जिसके बाद बड़ी संख्या में लोग जुटे और विवादित स्थिति उत्पन्न हुई। इस विवाद ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस पर दबाव बढ़ा दिया है, जो स्थिति को शांत कराने में जुटे हैं।

पुलिस की जांच और नाम न होने पर सवाल

पुलिस ने इस मामले में 10 नामजद और करीब 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है, लेकिन मुखलाल पाल सहित किसी भी हिंदू संगठन के नेता का नाम FIR में नहीं है।

वीडियो फुटेज में मुखलाल पाल के साथ अन्य नेताओं को हिंसक यात्रा में शामिल दिखाया गया है, जिससे पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोग और विपक्षी दल पुलिस पर बीजेपी जिलाध्यक्ष को बचाने का आरोप लगा रहे हैं।

बीजेपी जिलाध्यक्ष का बयान और विवाद

मुखलाल पाल ने एबीपी न्यूज से बातचीत में कहा कि यात्रा पूरी तरह शांतिपूर्ण थी, लेकिन कुछ उपद्रवी तत्वों ने माहौल बिगाड़ दिया। उन्होंने प्रशासन और पुलिस की नाकामी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जांच निष्पक्ष होगी और प्रशासन स्वयं कार्रवाई करेगा।

हालांकि, उनके बयान पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि वीडियो में उनकी सक्रिय मौजूदगी साफ दिख रही है। जब उनसे पूछा गया कि यदि वे भीड़ को शांत करने की कोशिश कर रहे थे तो पुलिस को पहले क्यों नहीं सूचित किया गया, तो उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया।

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