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PM मोदी और RSS पर आपत्तिजनक कार्टून मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- 'ऐसे लोगों से देश का सौहार्द बिगड़ता है'

PM मोदी और RSS पर आपत्तिजनक कार्टून मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- 'ऐसे लोगों से देश का सौहार्द बिगड़ता है'

सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कथित तौर पर अपमानजनक कार्टून बनाने के आरोप में गिरफ्तार कार्टूनिस्ट की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी की है।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर कथित तौर पर आपत्तिजनक और अपमानजनक कार्टून बनाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। इस मामले में आरोपी कार्टूनिस्ट की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे रवैये के कारण समाज में सौहार्द और शांति को ठेस पहुंचती है। अदालत ने फिलहाल कार्टूनिस्ट को कोई राहत नहीं दी है और मामले की सुनवाई मंगलवार तक के लिए टाल दी गई है।

क्या है पूरा मामला?

इस पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई जब एक कार्टूनिस्ट पर आरोप लगा कि उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस के खिलाफ आपत्तिजनक और अपमानजनक कार्टून सोशल मीडिया पर साझा किए। इन कार्टूनों को लेकर देशभर में विरोध देखने को मिला और संबंधित राज्य पुलिस ने आईटी एक्ट और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। अब इस मामले में आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल की, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

सोमवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने कार्टूनिस्ट के रवैये पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा, आप ये सब क्यों करते हैं? इन लोगों का रवैया देखिए, इनमें कोई संवेदनशीलता नहीं है। बाद में कहते हैं कि माफ़ी मांग लो और केस खत्म कर दो। ऐसा रवैया ठीक नहीं है। ऐसे लोगों की वजह से देश का सौहार्द बिगड़ता है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि "देश में आपसी भाईचारे और सामाजिक सौहार्द को इस तरह के कार्टून नुकसान पहुंचाते हैं।" अदालत ने स्पष्ट किया कि वह फिलहाल कोई राहत नहीं दे रही।

कार्टूनिस्ट की तरफ से क्या दलील दी गई?

इस मामले में कार्टूनिस्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने पैरवी की। उन्होंने कहा, मान लीजिए कार्टून घटिया या खराब है, लेकिन क्या ये अपराध है? यह अधिकतम आपत्तिजनक हो सकता है, मगर इसे अपराध मानना कानूनन उचित नहीं है। मैं किसी बात को सही ठहराने की कोशिश नहीं कर रही, लेकिन कानून के दायरे में रहकर बात कर रही हूं। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि उनका मुवक्किल विवादित कार्टून हटाने के लिए तैयार है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा, बाद में आकर कहते हैं कि माफ़ी मांग लो, केस खत्म कर दो। ये रवैया सही नहीं है। सोशल मीडिया का दुरुपयोग करके लोग देश के माहौल को खराब कर रहे हैं। कानून और समाज में जिम्मेदारी नाम की चीज होती है।

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