पीएम मोदी ने तमिलनाडु दौरे के दौरान गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती और 1000वीं समुद्री विजय वर्षगांठ पर आयोजित उत्सव में भाग लिया।
Rajendra Chola Anniversary: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों तमिलनाडु के दो दिवसीय दौरे पर हैं। इस यात्रा के पहले दिन उन्होंने 4800 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। रविवार को प्रधानमंत्री प्रसिद्ध गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर पहुंचेंगे और तिरुवथिरई महोत्सव में भाग लेंगे। यह आयोजन महान चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती और उनकी दक्षिण-पूर्व एशिया की ऐतिहासिक समुद्री विजय यात्रा की 1000वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है।
राजेंद्र चोल प्रथम: चोल साम्राज्य के स्वर्ण युग के निर्माता
राजेंद्र चोल प्रथम भारत के इतिहास में एक ऐसे सम्राट माने जाते हैं जिन्होंने दक्षिण भारत को ही नहीं बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया। वह चोल सम्राट राजराजा चोल के पुत्र थे और उन्होंने अपने पिता के शासन की नींव पर एक सशक्त और समृद्ध साम्राज्य का निर्माण किया।
राजेंद्र चोल ने अपने शासनकाल के दौरान कई विजय यात्राएं कीं और 'गंगईकोंडा' की उपाधि प्राप्त की, जिसका अर्थ है "गंगा को जीतने वाला"। उन्होंने उत्तर भारत तक अभियान चलाया और गंगा के जल को दक्षिण लाकर अपनी राजधानी गंगईकोंडा चोलापुरम की स्थापना की।
गंगईकोंडा चोलापुरम मंदिर: चोल वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण
राजेंद्र चोल द्वारा बनवाया गया गंगईकोंडा चोलापुरम मंदिर आज UNESCO World Heritage Site में शामिल है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी भव्यता, शिल्पकला और चोल कालीन कांस्य प्रतिमाएं भारतीय कला और स्थापत्य की ऊंचाई को दर्शाती हैं।
तिरुवथिरई महोत्सव का महत्व
तिरुवथिरई महोत्सव तमिल शैव भक्ति परंपरा का प्रतीक है। यह उत्सव भगवान शिव को समर्पित होता है और खासकर चोल राजाओं द्वारा इसे राजकीय संरक्षण प्राप्त था। इस वर्ष यह महोत्सव विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सम्राट राजेंद्र चोल की दक्षिण-पूर्व एशिया विजय की 1000वीं वर्षगांठ का प्रतीक है। पीएम मोदी इस महोत्सव के समापन समारोह में शामिल होंगे और इस अवसर पर चोल साम्राज्य की गौरवगाथा को सम्मान देंगे।
चोल नौसेना और समुद्री विजय
राजेंद्र चोल की सैन्य ताकत केवल थलसेना तक सीमित नहीं थी। उन्होंने एक सशक्त Navy का निर्माण किया जो उस समय एशिया की सबसे शक्तिशाली नौसेनाओं में मानी जाती थी। उन्होंने Southeast Asia के कई हिस्सों जैसे श्रीविजय साम्राज्य (वर्तमान इंडोनेशिया) पर विजय प्राप्त की। इतिहासकार बताते हैं कि राजेंद्र चोल की नौसेना ने समुद्री तटों से एक साथ चौदह स्थानों पर गुप्त आक्रमण कर विजयतुंगवर्मन के साम्राज्य को पराजित किया। उनके पास विशाल युद्धपोत थे जिनमें हाथी और भारी युद्ध उपकरण ले जाए जा सकते थे।