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हरियाली तीज पर करें ये खास 7 काम, मिलेगा शिव-पार्वती का वरदान

हरियाली तीज पर करें ये खास 7 काम, मिलेगा शिव-पार्वती का वरदान

हरियाली तीज का त्योहार महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन सोलह श्रृंगार करना परंपरा का हिस्सा माना जाता है। विवाहित महिलाएं अपने सुहाग को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए इस दिन खासतौर पर सजे-संवरे रूप में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां, बिछिया, आलता जैसे श्रृंगार के सभी तत्वों का उपयोग करना जरूरी होता है। ऐसा कहा जाता है कि बिना सोलह श्रृंगार किए तीज व्रत अधूरा रहता है।

हरे रंग से सजाएं अपना श्रृंगार

हरियाली तीज में हरे रंग का बहुत बड़ा महत्व होता है। यह रंग प्रकृति, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। इस दिन महिलाएं हरे रंग की साड़ी, चूड़ियां, पायल, मांग टीका आदि पहनती हैं। हरे रंग की पोशाक से तीज का उत्सव और भी आकर्षक हो जाता है। हरे वस्त्र पहनने से मानसिक प्रसन्नता बढ़ती है और दिनभर की पूजा में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

दान देना बनाता है दिन को और शुभ

हरियाली तीज के दिन दान करना बहुत पुण्यकारी माना गया है। महिलाएं इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार वस्त्र, भोजन, श्रृंगार सामग्री, फल या मिठाइयां दान कर सकती हैं। खासकर सुहागिन महिलाओं को सुहाग की वस्तुएं दान में देने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। दान करते समय मन में कोई दिखावा न होकर सच्ची श्रद्धा होनी चाहिए, तभी इसका फल मिलता है।

निर्जला व्रत से मिलती है शक्ति

हरियाली तीज का व्रत निर्जला होता है, यानी इस दिन जल भी नहीं पीया जाता। व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्योदय से लेकर रात को चंद्रदर्शन और पूजा के बाद ही जल ग्रहण करती हैं। यह व्रत कठिन जरूर होता है, लेकिन इसे पूरी श्रद्धा से करने पर कहा जाता है कि माता पार्वती का आशीर्वाद मिलता है और पति की दीर्घायु होती है। जिन महिलाओं की तबीयत सही हो, वे ही इस व्रत को पूरी तरह निर्जला रखें।

झूला झूलना तीज की परंपरा का हिस्सा

हरियाली तीज पर झूला झूलना एक पुरानी परंपरा है। गांवों में यह परंपरा आज भी जीवंत रूप में देखी जाती है, जहां महिलाएं पेड़ों की डालियों पर झूले बांधकर लोकगीत गाती हैं और झूला झूलती हैं। अगर झूला झूलना संभव न हो, तो महिलाएं घर में भजन, कीर्तन और लोकनृत्य कर इस दिन को आनंदमय बना सकती हैं। यह शिव-पार्वती की खुशी का प्रतीक माना जाता है।

पंचामृत से करें शिवलिंग का अभिषेक

हरियाली तीज के दिन शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करना अत्यंत शुभ माना गया है। पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल का उपयोग होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति के साथ मिलकर शिवलिंग पर पंचामृत अर्पित करती हैं। इस क्रिया को वैवाहिक सुख और परिवार की समृद्धि से जोड़ा गया है। पूजा के दौरान ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करना लाभदायक होता है।

हरियाली तीज की सुबह से शुरू हो जाती है तैयारी

इस पर्व की तैयारी एक दिन पहले से ही शुरू हो जाती है। महिलाएं मेहंदी लगाती हैं, श्रृंगार की सामग्री तैयार करती हैं और पूजा के लिए फल-फूल और प्रसाद का इंतजाम करती हैं। तीज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके नए वस्त्र पहनती हैं और पूरे दिन व्रत रखती हैं।

हरियाली तीज की पूजा विधि में शामिल होते हैं गीत और नृत्य

हरियाली तीज सिर्फ व्रत या पूजा का दिन नहीं है, यह एक उत्सव भी है। इस दिन महिलाएं समूह में इकठ्ठा होकर लोकगीत गाती हैं, नृत्य करती हैं और पारंपरिक व्यंजन बनाकर आपस में बांटती हैं। गीतों में माता पार्वती और शिव के विवाह की गाथा सुनाई जाती है। यह दिन महिलाओं के आपसी मेलजोल, प्रेम और साथ का प्रतीक भी है।

मंदिर में दर्शन का भी होता है विशेष महत्व

अगर संभव हो तो इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के मंदिर जाकर दर्शन करने चाहिए। वहां जाकर पूजा करना और आरती में भाग लेना विशेष पुण्यकारी माना गया है। मंदिर में जाकर की गई प्रार्थना से मन को शांति और शक्ति मिलती है।

मिठाइयों और खास व्यंजनों की होती है धूम

हरियाली तीज के दिन खास मिठाइयों जैसे घेवर, गुजिया, खीर आदि का विशेष महत्व होता है। महिलाएं घर पर यह सब व्यंजन बनाती हैं और पूजा के बाद सबको वितरित करती हैं। कई जगहों पर सामूहिक भोज का आयोजन भी होता है, जहां महिलाएं मिलकर त्योहार की खुशी मनाती हैं।

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